"कवलाहार": अवतरणों में अंतर

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१२:२५, ६ मार्च २०२० के समय का अवतरण

कवलाहार मुनि के आहार का पर्यायवाची है। आगम में किए गए मुनि के आहार के छः भेद बताये गये हैं- नोकर्माहार, कर्माहार, कवलाहार, लेप्याहार, ओजाहार और मानसाहार। भगवतीसूत्र, गाथा २११ में मुनि का अधिकतम आहार ३२ और आर्यिका (साध्वी) का २८ कवल (कौर) बताया है। एक कवल का उत्कृष्ट प्रमाण ५० चावलों का भात है। ज्ञातव्य है कि मुनि का छठा बाह्य तप अवमौदर्य (खुराक से कम खाना) है।

मूल मान्यता यही है कि केवली (जीवन्मुक्त) के कवलाहार नहीं होता है क्योंकि उनके शरीर की स्थिति के लिए नोकर्म-कर्माहार ही पर्याप्त होते हैं। उत्तर काल में सवस्त्र मुक्ति के समान केवली के कवलाहार की भी कल्पना की गई। फलत: कवलाहार दिगंबर तथा श्वेतांबर संप्रदायों की मुख्य तीन भिन्नताओं में से भी एक है।