"धम्मचक्कप्पवत्तनसुत्त": अवतरणों में अंतर
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११:०३, २० मार्च २०२१ के समय का अवतरण
धम्मचक्कप्पवत्तनसुत्त (पालि में) या धर्मचक्रप्रवर्तनसूत्र (संस्कृत में) बौद्ध ग्रन्थ है जिसमें गौतम बुद्ध द्वारा ज्ञानप्राप्ति के बाद दिया गया प्रथम उपदेश संगृहित है।
बुद्ध ने यह उपदेश ज्ञान प्राप्ति के सात सप्ताह के बाद आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन ऋषिपत्तन (वर्तमान सारनाथ) में अपने पाँच पूर्व साथियों (कौण्डिन्य, अस्सजि, वप्प, महानाम, भद्दिय) को दिया था। इन पाँच भिक्षुओं को 'पञ्चवर्गिक' कहते हैं। इस सुत्त में चार आर्य सत्यों का प्रमुखता से वर्णन है। इसमें 'मध्यमार्ग' के दर्शन का भी वर्णन है।
विविध रूप
धर्मचक्रप्रवतनसूत्र बीस से भी अधिक रूपों में उपलब्ध है, जिसमें पालि, संस्कृत, तिब्बती और चीनी रूप सम्मिलित हैं।