"आई लव् मोहम्मद विवाद": अवतरणों में अंतर
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स्थानीय हिन्दू निवासियों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि हिन्दू मोहल्लों में सड़कों के किनारे हिन्दू धर्म से सम्बन्धित धार्मिक पोस्टर-बैनर इत्यादि लगे हुए थे। बारावफात जुलूस में सम्मिलित होने वाले अज्ञात मुस्लिम युवाओं द्वारा हिन्दुओं के धार्मिक पोस्टरों को जानबूझ कर फाड़ा अथवा नष्ट किये गये। प्राथमिकी (FIR) में आरोप लगाया गया है कि 5 सितम्बर के जुलूस में एक वाहन में लाठी लिये सवार लोगों ने साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने के उद्देश्य से उन पोस्टरों को क्षतिग्रस्त किया। | स्थानीय हिन्दू निवासियों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि हिन्दू मोहल्लों में सड़कों के किनारे हिन्दू धर्म से सम्बन्धित धार्मिक पोस्टर-बैनर इत्यादि लगे हुए थे। बारावफात जुलूस में सम्मिलित होने वाले अज्ञात मुस्लिम युवाओं द्वारा हिन्दुओं के धार्मिक पोस्टरों को जानबूझ कर फाड़ा अथवा नष्ट किये गये। प्राथमिकी (FIR) में आरोप लगाया गया है कि 5 सितम्बर के जुलूस में एक वाहन में लाठी लिये सवार लोगों ने साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने के उद्देश्य से उन पोस्टरों को क्षतिग्रस्त किया। | ||
कानपुर पुलिस ने कथित तौर पर लाइटबोर्ड/बैनर को हटाकर या स्थानान्तरित कर के और पारम्परिक तम्बू व्यवस्था को बहाल किया। FIR से यह भी पता चलता है कि कथित कार्रवाइयों का CCTV फुटेज भी प्राप्त किया गया था और पुलिस का कहना है कि FIR केवल बैनर पर नहीं अपितु विनाश और अशान्ति फैलाने के कृत्यों पर दर्ज की गयी है।<ref name=OpIndiaKanpur/> | |||
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११:४६, २ अक्टूबर २०२५ का अवतरण
बारावफात में जुलूस के समय “I Love Mohammad” लिखे हुए बैनर तथा पोस्टर लगाने और अन्य धर्मों के बैनर तथा पोस्टर फाड़ने और हटाने से आरम्भ हुए विवादों को ‘आई लव् मोहम्मद’ विवाद कहा जाता है। प्रदर्शनकारियों द्वारा पथराव, अन्य धर्मों के पोस्टरों को नष्ट करने और हिंसा के बाद पोस्टर लगाने पर विवाद अभिकथित रूप से इतना बढ़ गया। जिस से पुलिस को विधि एवं व्यवस्था बहाल करने के लिए कानून के तहत कार्रवाई करनी पड़ी।[१][२]
पृष्ठभूमि
यह विवाद कानपुर के रावतपुर से आरम्भ हुआ था। जहाँ 4 सितम्बर 2025 को रावतपुर पुलिस स्टेशन के अधिकारक्षेत्र में जफरवाली गली में "आई लव मुहम्मद" वाला एक लाइट बोर्ड या बैनर लगाया गया था। प्राथमिकी (जैसा कि ऑपइंडिया में उद्धृत किया गया है) में कहा गया है कि यह मुस्लिम समुदाय के बारावफात कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा यह नयी प्रथा चालू की गयी है। इस वर्ष से पहले तक बारावफात कार्यक्रम पर शिविर (टेण्ट) लगाने की प्रथा थी।
स्थानीय हिन्दू निवासियों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि हिन्दू मोहल्लों में सड़कों के किनारे हिन्दू धर्म से सम्बन्धित धार्मिक पोस्टर-बैनर इत्यादि लगे हुए थे। बारावफात जुलूस में सम्मिलित होने वाले अज्ञात मुस्लिम युवाओं द्वारा हिन्दुओं के धार्मिक पोस्टरों को जानबूझ कर फाड़ा अथवा नष्ट किये गये। प्राथमिकी (FIR) में आरोप लगाया गया है कि 5 सितम्बर के जुलूस में एक वाहन में लाठी लिये सवार लोगों ने साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने के उद्देश्य से उन पोस्टरों को क्षतिग्रस्त किया।
कानपुर पुलिस ने कथित तौर पर लाइटबोर्ड/बैनर को हटाकर या स्थानान्तरित कर के और पारम्परिक तम्बू व्यवस्था को बहाल किया। FIR से यह भी पता चलता है कि कथित कार्रवाइयों का CCTV फुटेज भी प्राप्त किया गया था और पुलिस का कहना है कि FIR केवल बैनर पर नहीं अपितु विनाश और अशान्ति फैलाने के कृत्यों पर दर्ज की गयी है।[२]
सन्दर्भ
- ↑ "What is 'I Love Muhammad' row and why it sparked protests across India". India Today. 22 September 2025.
- ↑ २.० २.१ "Kanpur: Read the truth behind the "I Love Muhammad" poster controversy". OpIndia. 20 September 2025.