जगत नारायण मुल्ला

WikiDwarf (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०५:०१, १५ जून २०२० का अवतरण (नया लेख बनाया गया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पंडित जगत नारायण मुल्ला (जन्म- 14 दिसम्बर 1864 ई., कश्मीर; मृत्यु- 11 दिसम्बर 1938 ई.) अपने समय में उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध वकील और सरकारी अभियोजक थे। 'मुल्ला' उनका उपनाम था। वें 3 वर्ष तक लखनऊ विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रहे। पंडित जगत नारायण , पंडित मोती लाल नेहरू के भाई नन्द लाल नेहरू के समधी थे। नन्दलाल नेहरू के पुत्र किशन लाल नेहरू का विवाह जगत नारायण की पुत्री स्वराजवती मुल्ला से हुआ था। ref>Jagat Narain Mulla (1863 - 1938)</ref>

सरकारी वकील जगतनारायण 'मुल्ला'

परिचय

जगत नारायण मुल्ला के पिता पंडित काली सहाय मुल्ला उत्तर प्रदेश में सरकारी सेवा में थे। इसीलिए जगत नारायण की शिक्षा उत्तर प्रदेश में ही हुई। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से क़ानून की परीक्षा उत्तीर्ण की और लखनऊ में वकालत करने लगे। शीघ्र ही उनकी गणना प्रसिद्ध वकीलों में होने लगी। अपने समय के प्रमुख व्यक्तियों, जैसे-पंडित मोतीलाल नेहरू, बाबू गंगा प्रसाद वर्मा, सी. वाई. चिन्तामणि, बिशन नारायण दर आदि से उनके घनिष्ठ सम्बन्ध थे।

1916 ई. की लखनऊ कांग्रेस की स्वागत-समिति के अध्यक्ष वही थे। लगभग 15 वर्षों तक लखनऊ नगरपालिका के अध्यक्ष रहे। मांटेग्यू चेम्सफ़ोर्ड सुधारों के बाद उत्तर प्रदेश कौंसिल के सदस्य निर्वाचित हुए और प्रदेश के स्वायत्त शासन विभाग के मंत्री बने। जगत नारायण मुल्ला 3 वर्ष तक वे लखनऊ विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रहे। हंटर कमेटी के सदस्य

जब भारत में जलियांवाला बाग़ के हत्याकाण्ड सहित दमन का नया दौर शुरू हो गया था और इन घटनाओं की जाँच के लिए सरकार ने जो ‘हंटर कमेटी’ गठित की थी, उसके तीन भारतीय सदस्यों में एक जगत नारायण मुल्ला भी थे। इन तीनों ने कमेटी की रिपोर्ट में अपनी असहमति दर्ज की थी।

निधन

जीवन के अन्तिम वर्षों में जगत नारायण मुल्ला अस्वस्थ रहने लगे थे। इलाज के लिए स्विट्ज़रलैण्ड तक गए। बाद में 11 दिसम्बर 1938 को उनका देहान्त हो गया।

सन्दर्भ

साँचा:टिप्पणीसूची