राजबली पाण्डेय
साँचा:ज्ञानसन्दूक
| label1      = करौनी गाँव, रुद्रपुर, उ.प्र.
| data1       = साँचा:Birth date
करौनी गाँव, रुद्रपुर, उ.प्र.
| label2      = मौत
| data2       = साँचा:Death date and age
वाराणसी, भारत
| label3      = मौत की वजह
| data3       = 
| data4       = 
| label4      = शरीर मिला
| label5      = समाधि
| class5      = label
| data5       = वाराणसी, भारत
| label6      = आवास
| class6      = label
| data6       = 
| label7      = राष्ट्रीयता
| data7       = भारत
| label8      = उपनाम
| class8      = उपनाम
| data8       = 
| label9 = जाति
| data9 = 
| label10 = नागरिकता
| data10 = भारत
| label11 = शिक्षा
| data11 = बी.ए.(प्रतिष्ठा) संस्कृत (1931)
 एम.ए. (1933)
डी.लिट् (1936)
| label12 = शिक्षा की जगह
| data12 = कला संकाय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
| label13 = पेशा
| class13 = भूमिका
| data13 = 
| label14 = कार्यकाल
| data14 = 1930–71
| label15 = संगठन
| data15 = 
| label16 = गृह-नगर
| data16 = वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत
| label17 = पदवी
| data17 = 
| label18 = वेतन
| data18 = 
| label19 = कुल दौलत
| data19 = 
| label20 = ऊंचाई
| data20 = 
| label21 = भार
| data21 = {{{भार}}}
| label22 = प्रसिद्धि का कारण
| data22 = 
| label23 = अवधि
| data23 = 
| label24 = पूर्वाधिकारी
| data24 = 
| label25 = उत्तराधिकारी
| data25 = 
| label26 = राजनैतिक पार्टी
| data26 = 
| label27 = बोर्ड सदस्यता
| data27 = 
| label28 = धर्म
| data28 = 
| label29 = जीवनसाथी
| data29 = 
| label30 = साथी
| data30 = 
| label31 = बच्चे
| data31 = 
| label32 = माता-पिता
| data32 = 
| label33 = संबंधी
| data33 = 
| label35 = कॉल-दस्तखत
| data35 = 
| label36 = आपराधिक मुकदमें
| data36 = 
| label37 = 
| data37 = साँचा:Br separated entries
| class38 = label
| label39 = पुरस्कार
| data39 = 
| data40 = 
| data41 = 
| data42 = 
}}
डॉक्टर राजबली पाण्डेय एक भारतीय लेखक, जिन्होंने हिंदू संस्कारों और वेदों के सामाजिक-धार्मिक अध्ययन पर अनेक पुस्तकें लिखीं।
जीवन
डॉ. राजबली पाण्डेय ने अपने जीवन की शुरुआत गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित "कल्याण" के संपादक और रामकृष्ण डालमिया की पुत्री रमाबाई के ट्यूटर के रूप में की थी। उन्हें 1936 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में नियुक्त किया था। उन्हें तत्कालीन उपकुलपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा रीडर के रूप में पदोन्नत किया गया। उन्हें 1952 में कॉलेज ऑफ इंडोलॉजी (भारती महाविद्यालय) के प्रमुख और प्राचार्य के रूप में नियुक्त किया गया था। राजनीतिक दबाव के कारण[१] उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय छोड़ दिया और प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग के प्राचार्य और अध्यक्ष के रूप में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (जबलपुर विश्वविद्यालय) से जुड़ गए।