संस्मरण
चित्र:Biographical Memoir of Samuel George Morton - George Bacon Wood.djvu
स्मृति के आधार पर किसी विषय पर अथवा किसी व्यक्ति पर लिखित आलेख संस्मरण कहलाता है। यात्रा साहित्य भी इसके अन्तर्गत आता है। संस्मरण को साहित्यिक निबन्ध की एक प्रवृत्ति भी माना जा सकता है। ऐसी रचनाओं को 'संस्मरणात्मक निबंध' कहा जा सकता है। व्यापक रूप से संस्मरण आत्मचरित के अन्तर्गत लिया जा सकता है। किन्तु संस्मरण और आत्मचरित के दृष्टिकोण में मौलिक अन्तर है। आत्मचरित के लेखक का मुख्य उद्देश्य अपनी जीवनकथा का वर्णन करना होता है। इसमें कथा का प्रमुख पात्र स्वयं लेखक होता है। संस्मरण लेखक का दृष्टिकोण भिन्न रहता है। संस्मरण में लेखक जो कुछ स्वयं देखता है और स्वयं अनुभव करता है उसी का चित्रण करता है। लेखक की स्वयं की अनुभूतियाँ तथा संवेदनायें संस्मरण में अन्तर्निहित रहती हैं। इस दृष्टि से संस्मरण का लेखक निबन्धकार के अधिक निकट है। वह अपने चारों ओर के जीवन का वर्णन करता है। इतिहासकार के समान वह केवल यथातथ्य विवरण प्रस्तुत नहीं करता है। पाश्चात्य साहित्य में साहित्यकारों के अतिरिक्त अनेक राजनेताओं तथा सेनानायकों ने भी अपने संस्मरण लिखे हैं, जिनका साहित्यिक महत्त्व स्वीकारा गया है।
इतिहास
संस्मरणों को साहित्यिक रूप में लिखे जाने का प्रचलन आधुनिक काल में पाश्चात्य प्रभाव के कारण हुआ है। किन्तु हिन्दी साहित्य में संस्मरणात्मक आलेखों की गद्य विधा का पर्याप्त विकास हुआ है। संस्मरण लेखन के क्षेत्र में हमें अत्यन्त प्रौढ तथा श्रेष्ठ रचनायें हिन्दी साहित्य में उपलब्ध होती हैं।
हिन्दी में संस्मरण
हिन्दी के प्रारंभिक संस्मरण लेखकों में पकृ सिंह शर्मा हैं। इनके अतिरिक्त बनारसीदास चतुर्वेदी, महादेवी वर्मा तथा रामवृक्ष बेनीपुरी आदि हैं। चतुर्वेदी ने "संस्मरण" तथा "हमारे अपराध" शीर्षक कृतियों में अपने विविध संस्मरण आकर्षक शैली में लिखे हैं। हिन्दी के अनेक अन्य लेखकों तथा लेखिकाओं ने भी बहुत अच्छे संस्मरण लिखे हैं। उनमें से कुछ साहित्यकारों का उल्लेख करना प्रासंगिक होगा। श्रीमती महादेवी वर्मा की "स्मृति की रेखाएँ" तथा "अतीत के चलचित्र" संस्मरण साहित्य की श्रेष्ठ कृतियाँ हैं। रामबृक्ष बेनीपुरी की कृति "माटी की मूरतें" में जीवन में अनायास मिलने वाले सामान्य व्यक्तियों का सजीव एवं संवेदनात्मक कोमल चित्र्ण किया गया है।
इनके अतिरिक्त देवेन्द्र सत्यार्थी ने लोकगीतों का संग्रह करने हेतु देश के विभिन्न क्षेत्रें की यात्रायें की थीं, इन स्थानों के संस्मरणों को भावात्मक शैली में उन्होंने लिखा है। "क्या गोरी क्या साँवली" तथा "रेखाएँ बोल उठीं" सत्यार्थी के संस्मरणों के अपने ढंग के संग्रह हैं। भदन्त-आनन्द कोसल्यायन ने अपने यात्र जीवन की विविध घटनाओं तथा परिस्थितियों के संदर्भ में जो अनेक पात्र मिले उनके सम्बन्ध में अपने संस्मरणात्मक आलेखों को दो संकलनों "जो न भूल सका" तथा "जो लिखना पड़ा" में संगृहीत किया है। कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर ने "भूले हुए चेहरे" तथा "दीपजले शंख बजे" में अपने कतिपय अच्छे और आकर्षक संस्मरण संकलित किये। संस्मरण को साहित्यिक निबन्ध की एक प्रवृत्ति भी माना जा सकता है। ऐसी रचनाओं को संस्मरणात्मक निबंध कहा जा सकता है। गुलाबराय की कृति "मेरी असफलताएँ" को संस्मरणात्मक निबन्ध की कोटि में रखा जा सकता है। हिन्दी के अन्य अनेक लेखकों ने भी अच्छे संस्मरण लिखे हैं जिनमे प्रमुख है राजा राधिकारमण सिंह की 'सावनी समां', और 'सूरदास', रामधारी सिंह 'दिनकर' की 'लोकदेव नेहरु' व संस्मरण और श्रद्धांजलियाँ', डॉ रामकुमार वर्मा की 'संस्मरणों के सुमन' आदि।
| वर्ष | संस्मरण का शीर्षक | संस्मरणकार |
|---|---|---|
| 1905 | अनुमोदन का अन्त, अतीत स्मृति | महावीरप्रसाद द्विवेदी |
| 1907 | इंग्लैंड के देहात में महाराज बनारस का कुआं | काशीप्रसाद जायसवाल |
| 1907 | सभा की सभ्यता | महावीरप्रसाद द्विवेदी |
| 1908 | लन्दन का फाग या कुहरा | प्यारेलाल मिश्र |
| 1909 | मेरी नई दुनिया सम्बन्धिनी रामकहानी | भोलदत्त पांडेय |
| 1911 | अमेरिका में आनेवाले विद्यार्थियों की सूचना | जगन्नाथ खन्ना |
| 1913 | मेरी छुट्टियों का प्रथम सप्ताह | जगदीश बिहारी सेठ |
| 1913 | वाशिंगटन महाविद्यालय का संस्थापन दिनोत्सव | पांडुरंग खानखोजे |
| 1918 | इधर-उधर की बातें | रामकुमार खेमका |
| 1921 | कुछ संस्मरण (सुधा 1921 में प्रकाशित) | वृन्दालाल वर्मा |
| 1921 | मेरे प्राथमिक जीवन की स्मृतियां (सुधा 1921 में प्रकाशित) | इलाचन्द्र जोशी |
| 1932 | मदन मोहन के सम्बन्ध की कुछ पुरानी स्मृतियां | शिवराम पांडेय |
| 1937 | क्रान्तियुग के संस्मरण | मन्मथनाथ गुप्त |
| 1937 | बोलती प्रतिमा | श्रीराम शर्मा |
| 1937 | साहित्यिकों के संस्मरण (हंस के प्रेमचन्द स्मृति अंक 1937 सं. पराड़कर) | ज्योतिलाल भार्गव |
| 1938 | झलक | शिवनारायण टंडन |
| 1940 | टूटा तारा (स्मरण : मौलवी साहब, देवी बाबा) | राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह |
| 1942 | गोर्की के संस्मरण | इलाचन्द्र जोशी |
| 1942 | तीस दिन मालवीय जी के साथ | रामनरेश त्रिपाठी |
| 1946 | पंच चिह्न | शांतिप्रसाद द्विवेदी |
| 1946 | वे दिन वे लोग | शिवपूजन सहाय |
| 1947 | पुरानी स्मृतियां और नए स्केच | प्रकाशचन्द्र गुप्त |
| 1947 | मिट्टी के पुतले | प्रकाशचन्द्र गुप्त |
| 1947 | स्मृति की रेखाएं | महादेवी वर्मा |
| 1948 | सन् बयालीस के संस्मरण | श्रीराम शर्मा |
| 1949 | एलबम | सत्यजीवन वर्मा ‘भारतीय’ |
| 1949 | ज़्यादा अपनी, कम पराई | उपेन्द्रनाथ 'अश्क' |
| 1952 | संस्मरण | बनारसीदास चतुर्वेदी |
| 1954 | गांधी कुछ स्मृतियां | जैनेन्द्र |
| 1954 | ये और वे | जैनेन्द्र |
| 1955 | मुझे याद है | रामवृक्ष बेनीपुरी |
| 1955 | बचपन की स्मृतियां | राहुल सांकृत्यायन |
| 1955 | मैं भूल नहीं सकता | कैलाशनाथ काटजू |
| 1956 | मील के पत्थर | रामवृक्ष बेनीपुरी |
| 1956 | जिनका मैं कृतज्ञ, मेरे असहयोग के साथी | राहुल सांकृत्यायन |
| 1956 | मंटो मेरा दुश्मन या मेरा दोस्त मेरा दुश्मन | उपेन्द्रनाथ अश्क |
| 1957 | जंजीरें और दीवारें | रामवृक्ष बेनीपुरी |
| 1957 | वे जीते कैसे हैं | श्रीराम शर्मा |
| 1959 | कुछ मैं कुछ वे | रामवृक्ष बेनीपुरी |
| 1959 | ज़्यादा अपनी कम परायी | अश्क |
| 1959 | मैं इनका ऋणी हूं | इन्द्र विद्यावाचस्पति |
| 1959 | स्मृति-कण | सेठ गोविन्ददास |
| 1960 | प्रसाद और उनके समकालीन | विनोद शंकर व्यास |
| 1962 | अतीत की परछाइयां | अमृता प्रीतम |
| 1962 | कुछ स्मृतियां और स्फुट विचार | डॉ॰ सम्पूर्णानन्द |
| 1962 | जाने-अनजाने | विष्णु प्रभाकर |
| 1962 | नए-पुराने झरोखे | हरिवंशराय 'बच्चन' |
| 1962 | समय के पांव | माखनलाल चतुर्वेदी |
| 1963 | जैसा हमने देखा | क्षेमचन्द्र 'सुमन' |
| 1963 | दस तस्वीरें | जगदीशचन्द्र माथुर |
| 1963 | साठ वर्ष : एक रेखांकन | सुमित्रानन्दन पन्त |
| 1965 | कुछ शब्द : कुछ रेखाएं | विष्णु प्रभाकर |
| 1965 | जवाहर भाई : उनकी आत्मीयता और सहृदयता | रायकृष्ण दास |
| 1965 | मेरे हृदय देव | हरिभाऊ उपाध्याय |
| 1965 | लोकदेव नेहरू | रामधारीसिंह 'दिनकर' |
| 1965 | वे दिन वे लोग | शिवपूजन सहाय |
| 1966 | चेहरे जाने-पहचाने | सेठ गोविन्ददास |
| 1966 | स्मृतियां और कृतियां | शान्तिप्रय द्विवेदी |
| 1967 | चेतना के बिम्ब | डॉ॰ नगेन्द्र |
| 1968 | गांधी संस्मरण और विचार | काका साहेब कालेलकर |
| 1968 | घेरे के भीतर और बाहर | डॉ॰ हरगुलाल |
| 1968 | बच्चन निकट से | अजित कुमार एवं ओंकारनाथ श्रीवास्तव |
| 1968 | स्मृति के वातायन | जानकीवल्लभ शास्त्री |
| 1969 | चांद | पद्मिनी मेनन |
| 1969 | संस्मरण और श्रद्धांजलियां | रामधारी सिंह दिनकर |
| 1970 | व्यक्तित्व की झांकियां | लक्ष्मीनारायण सुधांशु |
| 1971 | जिन्होंने जीना जाना | जगदीशचन्द्र माथुर |
| 1971 | स्मारिका | महादेवी वर्मा |
| 1972 | अन्तिम अध्याय | पदुमलाल पुन्नालाल बख़्शी |
| 1973 | जिनके साथ जिया | अमृतलाल नागर |
| 1974 | स्मृति की त्रिवेणिका | लक्ष्मीशंकर व्यास |
| 1975 | मेरा हमदम मेरा दोस्त | कमलेश्वर |
| 1975 | रेखाएं और संस्मरण | क्षेमचन्द्र सुमन |
| 1975 | चन्द सतरें और | अनीता राकेश |
| 1976 | बीती यादें | परिपूर्णानन्द |
| 1976 | मैंने स्मृति के दीप जलाए | रामनाथ सुमन |
| 1977 | मेरे क्रान्तिकारी साथी | भगत सिंह |
| 1977 | हम हशमत | कृष्णा सोबती |
| 1978 | कुछ ख़्वाबों में कुछ ख़यालों में | शंकर दयाल सिंह |
| 1978 | संस्मरण को पाथेय बनने दो | विष्णुकान्त शास्त्री |
| 1979 | अतीत के गर्त से | भगवतीचरण वर्मा |
| 1979 | पुनः | सुलोचना रांगेय राघव |
| 1979 | श्रद्धांजलि संस्मरण | मैथिलीशरण गुप्त |
| 1980 | यादों के झरोखे | कुंवर सुरेश सिंह |
| 1980 | लीक-अलीक | भारतभूषण अग्रवाल |
| 1981 | औरों के बहाने | राजेन्द्र यादव |
| 1981 | यादों की तीर्थयात्रा | विष्णु प्रभाकर |
| 1981 | जिनके साथ जिया | अमृतलाल नागर |
| 1981 | सृजन का सुख-दुख | प्रतिभा अग्रवाल |
| 1982 | संस्मरणों के सुमन | रामकुमार वर्मा |
| 1982 | स्मृति-लेखा | अज्ञेय |
| 1982 | आदमी से आदमी तक | भीमसेन त्यागी |
| 1983 | निराला जीवन और संघर्ष के मूर्तिमान रूप | डॉ॰ ये॰ पे॰ चेलीशेव |
| 1983 | मेरे अग्रज : मेरे मीत | विष्णु प्रभाकर |
| 1983 | युगपुरुष | रामेश्वर शुक्ल 'अंचल' |
| 1984 | बन तुलसी की गन्ध | रेणु |
| 1984 | दीवान ख़ाना | पद्मा सचदेव |
| 1986 | रस गगन गुफा में | भगवतीशरण उपाध्याय |
| 1988 | हज़ारीप्रसाद द्विवेदी : कुछ संस्मरण | कमल किशोर गोयनका |
| 1989 | भारत भूषण अग्रवाल : कुछ यादें, कुछ चर्चाएं | बिन्दु अग्रवाल |
| 1990 | सृजन के सेतु | विष्णु प्रभाकर |
| 1992 | जिनकी याद हमेशा रहेगी | अमृत राय |
| 1992 | निकट मन में | अजित कुमार |
| 1992 | याद हो कि न याद हो | काशीनाथ सिंह |
| 1992 | सुधियां उस चन्दन के वन की | विष्णुकान्त शास्त्री |
| 1994 | लाहौर से लखनऊ तक | प्रकाशवती पाल |
| 1994 | सप्तवर्णी | गिरिराज किशोर |
| 1995 | अग्निजीवी | प्रफुल्लचन्द्र ओझा |
| 1995 | मितवा घर | पदमा सचदेव |
| 1995 | लौट आ ओ धार | दूधनाथ सिंह |
| 1995 | स्मृतियों के छंद | रामदरश मिश्र |
| 1996 | अभिन्न | विष्णुचन्द्र शर्मा |
| 1996 | सृजन के सहयात्री | रवीन्द्र कालिया |
| 1998 | यादें और बातें | बिन्दु अग्रवाल |
| 1998 | हम हशमत | भाग-2, कृष्णा सोबती |
| 2000 | अमराई | पदमा सचदेव |
| 2000 | नेपथ्य नायक लक्ष्मीचन्द्र जैन | मोहनकिशोर दीवान |
| 2000 | याद आते हैं | रमानाथ अवस्थी |
| 2000 | यादों के काफिले | देवेन्द्र सत्यार्थी |
| 2000 | वे देवता नहीं हैं | राजेन्द्र यादव |
| 2001 | अंतरंग संस्मरणों में प्रसाद | पुरुषोत्तमदास मोदी |
| 2001 | एक नाव के यात्री | विश्वनाथप्रसाद तिवारी |
| 2001 | प्रदक्षिणा अपने समय की | नरेश मेहता |
| 2001 | अपने-अपने रास्ते | रामदरश मिश्र |
| 2002 | काशी का अस्सी | काशीनाथ सिंह |
| 2002 | नेह के नाते अनेक | कृष्णविहारी मिश्र |
| 2002 | लखनऊ मेरा लखनऊ | मनोहर श्याम जोशी |
| 2002 | स्मृतियों का शुक्ल पक्ष | डॉ॰ रामकमल राय |
| 2002 | चिडि़या रैन बसेरा | विद्यानिवास मिश्र |
| 2002 | लौट कर आना नहीं होगा | कान्तिकुमार जैन |
| 2003 | आंगन के वंदनवार | विवेकी राय |
| 2003 | रघुवीर सहाय : रचनाओं के बहाने एक संस्मरण | मनोहर श्याम जोशी |
| 2004 | तुम्हारा परसाई | कान्तिकुमार जैन |
| 2004 | पर साथ-साथ चली रही याद | विष्णुकान्त शास्त्री |
| 2004 | आछे दिन पाछे गए | काशीनाथ सिंह |
| 2004 | नंगा तलाई का गांव | डॉ॰ विश्वनाथ त्रिपाठी |
| 2004 | लाई हयात आए | लक्ष्मीधर मालवीय |
| 2005 | मेरे सुहृद : मेरे श्रद्धेय | विवेकी राय |
| 2005 | सुमिरन को बहानो | केशवचन्द्र वर्मा |
| 2006 | घर का जोगी जोगड़ा | काशीनाथ सिंह |
| 2006 | जो कहूंगा सच कहूंगा | डाॅ॰ कान्ति कुमार जैन |
| 2006 | ये जो आईना है | मधुरेश |
| 2007 | अब तो बात फैल गई | कान्तिकुमार जैन |
| 2007 | एक दुनिया अपनी | डॉ॰ रामदरश मिश्र |
| 2009 | कविवर बच्चन के साथ | अजीत कुमार |
| 2009 | कालातीत | मुद्राराक्षस |
| 2009 | कितने शहरों में कितनी बार | ममता कालिया |
| 2009 | कुछ यादें : कुछ बातें | अमरकान्त |
| 2009 | दिल्ली शहर दर शहर | डॉ॰ निर्मला जैन |
| 2009 | मेरे भोजपत्र | चन्द्रकान्ता |
| 2009 | हाशिए की इबारतें | चन्द्रकान्ता |
| 2010 | अ से लेकर ह तक, यानी अज्ञेय से लेकर हृदयेश तक | डॉ॰ वीरेन्द्र सक्सेना |
| 2010 | अंधेरे में जुगनू | अजीत कुमार |
| 2010 | जे॰ एन॰ यू॰ में नामवर सिंह | सं॰ सुमन केशरी |
| 2010 | बैकुंठ में बचपन | कान्तिकुमार जैन |
| 2011 | अतीत राग | नन्द चतुर्वेदी |
| 2011 | कल परसों बरसों | ममता कालिया |
| 2011 | स्मृति में रहेंगे वे | शेखर जोशी |
| 2012 | हम हशमत भाग-3 | कृष्णा सोबती |
| 2012 | अपने-अपने अज्ञेय [दो खंड] | ओम थानवी |
| 2012 | आलोचक का आकाश | मधुरेश |
| 2012 | गंगा स्नान करने चलोगे | डॉ॰ विश्वनाथ त्रिपाठी |
| 2012 | माफ़ करना यार | बलराम |
| 2012 | यादों का सफ़र | प्रकाश मनु |
| 2012 | स्मृतियों के गलियारे से | नरेन्द्र कोहली |
| 2013 | मेरी यादों का पहाड़ | देवेंद्र मेवाड़ी |