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बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल

भारतपीडिया से
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साँचा:Infobox officeholder बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल (1918 - 1982) एक भारतीय राजनेता थे जो भारतीय संसद के सदस्य, बिहार के मुख्यमंत्री एवं मंडल आयोग (अन्य पिछड़ा वर्ग) के निर्माता व अध्यक्ष रहे।[१]

बीपी मंडल का जन्म 25 अगस्त 1918 को बनारस में हुआ था। वे जाने-माने अधिवक्ता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय रासबिहारी मंडल व श्रीमती स्वर्गीय सीतावती मंडल की सातवीं संतान थे। इनका बचपन बिहार राज्य के मधेपुरा के मुरहो गांव में बीता। ये एक जमींदार परिवार से नाता रखते थे। [२][३][४]

इन्होंने अपने गांव के ही एक सरकारी स्कूल से अपनी शिक्षा हासिल की। उसके बाद ये पटना चले गए थे और यहां के कॉलेज से इन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई जारी की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मजिस्ट्रेट के तौर पर कार्य किया और 1945 से 1951 तक इस पद पर अपनी सेवाएं दी। इन्होंने अपनी नौकरी को छोड़कर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ली। यहां से इनके राजनीतिक करीयर की शुरूआत हुई। बाद में इन्होंने कांग्रेस को छोड़ दिया था और जनता पार्टी में शामिल हो गए थे।

बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल ने बिहार की मधेपुरा से चुनाव लड़ा और ये इस सीट से 1967 से 1970 और 1977 से 1979 तक सांसद रहे थे।

वर्ष 1968 में वे बिहार के सातवें मुख्य मंत्री बने। 1 फरवरी 1968 को इन्होने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली किन्तु 30 दिनों के बाद इन्हें बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

जनता पार्टी के शासनकाल में बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया और इसे भारत के सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के हितों के विषय में रिपोर्ट तैयार करने का कार्य सौंपा गया था। इस कमीशन का गठन साल 1978 में किया गया था और इस कमीशन ने अपनी रिपोर्ट 1980 में तैयार की थी।

इस कमीशन द्वारा बनाई गई रिपोर्ट में कई सारी सिफारिशें की गई थी जिसमें से नौकरियों व शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने की सिफारिश की गयी थी। वर्ष 1990 में तत्कालीन वी पी सिंह सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिसों को लागू करने की अधिसूचना जारी की, जिसको लेकर देश के कई सारे हिस्सों में विरोध भी हुआ था।

बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल ने अपने जीवन की आखिरी सांस 13 अप्रैल 1982 में ली थी। इनकी पत्नी का नाम सीता मंडल था और इनके कुल सात बच्चे थे। जिसमें से पांच बेटे और दो बेटियां हैं। इनके परिवार के लोग आज भी राजनीति से जुड़े हुए हैं। भारत सरकार ने साल 2001 में उनके सम्मान में डाक टिकट जारी की थी। इनके सम्मान में एक इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना 2007 की गई थी।

सन्दर्भ

साँचा:टिप्पणीसूची

इन्हें भी देखें

साँचा:बिहार के मुख्यमंत्री

साँचा:जीवनचरित-आधार

  1. साँचा:Cite web
  2. साँचा:Cite book
  3. Kumar, Sajjan (2020-10-24). "In Bihar, the importance of being Nitish Kumar". अभिगमन तिथि 2020-12-22.
  4. साँचा:Cite book