मेनू टॉगल करें
Toggle personal menu
लॉग-इन नहीं किया है
Your IP address will be publicly visible if you make any edits.

निधि

भारतपीडिया से
WikiDwarf (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित २२:५३, २५ अप्रैल २०२१ का अवतरण (नया लेख बनाया गया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हिन्दू धर्मग्रन्थों के सन्दर्भ में कुबेर के कोष (खजाना) का नाम निधि है जिसमें नौ प्रकार की निधियाँ हैं। 1. पद्म निधि, 2. महापद्म निधि, 3. नील निधि, 4. मुकुंद निधि, 5. नंद निधि, 6. मकर निधि, 7. कच्छप निधि, 8. शंख निधि और 9. खर्व या मिश्र निधि।

माना जाता है कि नव निधियों में केवल खर्व निधि को छोड़कर शेष 8 निधियां पद्मिनी नामक विद्या के सिद्ध होने पर प्राप्त हो जाती हैं, लेकिन इन्हें प्राप्त करना इतना भी सरल नहीं है।

नव निधियों का विवरण

1. पद्म निधि

पद्म निधि के लक्षणों से संपन्न मनुष्य सात्विक गुण युक्त होता है, तो उसकी कमाई गई संपदा भी सात्विक होती है। सात्विक तरीके से कमाई गई संपदा से कई पीढ़ियों को धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। ऐसे व्यक्ति सोने-चांदी रत्नों से संपन्न होते हैं और उदारता से दान भी करते हैं।

2. महापद्म निधि

महापद्म निधि भी पद्म निधि की तरह सात्विक है। हालांकि इसका प्रभाव 7 पीढ़ियों के बाद नहीं रहता। इस निधि से संपन्न व्यक्ति भी दानी होता है और 7 पीढियों तक सुख ऐश्वर्य भोगता है।

3. नील निधि

नील निधि में सत्व और रज गुण दोनों ही मिश्रित होते हैं। ऐसी निधि व्यापार द्वारा ही प्राप्त होती है इसलिए इस निधि से संपन्न व्यक्ति में दोनों ही गुणों की प्रधानता रहती है। इस निधि का प्रभाव तीन पीढ़ियों तक ही रहता है।

4. मुकुंद निधि

मुकुंद निधि में रजोगुण की प्रधानता रहती है इसलिए इसे राजसी स्वभाव वाली निधि कहा गया है। इस निधि से संपन्न व्यक्ति या साधक का मन भोगादि में लगा रहता है। यह निधि एक पीढ़ी बाद खत्म हो जाती है।

5. नंद निधि

नंद निधि में रज और तम गुणों का मिश्रण होता है। माना जाता है कि यह निधि साधक को लंबी आयु व निरंतर तरक्की प्रदान करती है। ऐसी निधि से संपन्न व्यक्ति अपनी तारीफ से खुश होता है।

6. मकर निधि

मकर निधि को तामसी निधि कहा गया है। इस निधि से संपन्न साधक अस्त्र और शस्त्र को संग्रह करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति का राजा और शासन में दखल होता है। वह शत्रुओं पर भारी पड़ता है और युद्ध के लिए तैयार रहता है। इनकी मृत्यु भी अस्त्र-शस्त्र या दुर्घटना में होती है।

7. कच्छप निधि

कच्छप निधि का साधक अपनी संपत्ति को छुपाकर रखता है। न तो स्वयं उसका उपयोग करता है, न करने देता है। वह सांप की तरह उसकी रक्षा करता है। ऐसे व्यक्ति धन होते हुए भी उसका उपभोग नहीं कर पाता है।

8. शंख निधि

शंख निधि को प्राप्त व्यक्ति स्वयं की ही चिंता और स्वयं के ही भोग की इच्छा करता है। वह कमाता तो बहुत है, लेकिन उसके परिवार वाले गरीबी में ही जीते हैं। ऐसा व्यक्ति धन का उपयोग स्वयं के सुख-भोग के लिए करता है, जिससे उसका परिवार गरीबी में जीवन गुजारता है।

9. खर्व निधि

खर्व निधि को मिश्रत निधि कहते हैं। नाम के अनुरुप ही इस निधि से संपन्न व्यक्ति अन्य 8 निधियों का सम्मिश्रण होती है। इस निधि से संपन्न व्यक्ति को मिश्रित स्वभाव का कहा गया है। उसके कार्यों और स्वभाव के बारे में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। माना जाता है कि इस निधि को प्राप्त व्यक्ति विकलांग या घमंडी होता हैं, यह मौके मिलने पर दूसरों का धन भी सुख भी छीन सकता है।