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राहु काल वेला

भारतपीडिया से
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राहु काल

राहु नैसर्गिक पाप ग्रह है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राहु शुभ कार्यो में विघ्न और बाधा डालने वाला ग्रह है अत: राहु काल में किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत नहीं करनी चाहिए। ग्रहों के गोचर के क्रम में सभी ग्रहों का अपना नियत समय होता है इसी प्रकार प्रत्येक दिवस एक निश्चित समय तक राहु काल होता है।

राहु काल के सम्बन्ध में ज्योतिष मत

वैदिक ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक दिन का एक भाग राहु काल होता है। सूर्योंदय और सूर्यास्त के आधार पर अलग अलग स्थानों पर राहुकाल की अवधि में अंतर होता है। राहु काल प्रातकाल में किसी भी दिन नहीं होता है। हफ्ते के सातों दिन इसका अलग अलग समय होता है। सोमवार को यह दिन के द्वितीय भाग में, शनिवार को तीसरे भाग में, शुक्रवार को चतुर्थ भाग में, बुधवार को पांचवें भाग में, गुरूवार को छठे भाग में, मंगलवार को सातवें भाग में और रविवार के दिन आठवें भाग पर राहु का प्रभाव होता है।

राहु काल ज्ञात करने की विधि

राहु काल ज्ञात करने के लिए वैदिक ज्योतिष में विशेष नियम बताया गया है। इस नियम के अनुसार सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूरे दिन को आठ बराबर भागों में विभाजित किया जाता है। इस गणना में सूर्योदय का सामन्य समय 6 बजे सुबह माना जाता है और सूर्यास्त का 6 बजे शाम.इस प्रकार एक दिन 12 घंटे का होता है। 12 घंटे को 8 से विभाजित किया जता है। इस गणना के आधार पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन का प्रत्येक भाग 1.5 घंटे का होता है। इस प्रकार प्रत्येक दिन राहु काल होता है।

दिन का विभाजन और राहु काल

वैदिक ज्योतिष में वर्णित है कि प्रत्येक दिन का कुछ समय अलग अलग ग्रहों के प्रभाव में रहता है। ग्रहों के प्रभाव से प्रत्येक काल का अपना महत्व होता है। मुख्य रूप से समय के तीन भागों का इनमें विशेष महत्व होता है। समय के ये तीन मुख्य भाग हैं यम गण्ड, राहु काल और कुलिक काल.इनमें कुलिक काल में शुभ कार्य शुरू किया जा सकता है जबकि राहु काल और यम गण्ड को किसी भी शुभ काम को शुरू करने के लिए शुभ नहीं माना गया है।

राहु काल में कार्य

राहु को नैसर्गिक अशुभ कारक ग्रह माना गया है। गोचर में राहु के प्रभाव में जो समय होता है उस समय राहु से सम्बन्धित कार्य किये जाये तो उनमें सकारात्मक परिणाम प्राप्त होता है। इस समय राहु की शांति के लिए यज्ञ किये जा सकते हैं। इस अवधि में शुभ ग्रहों के लिए यज्ञ और उनसे सम्बन्धित कार्य को करने में राहु बाधक होता है। शुभ ग्रहों की पूजा व यज्ञ इस अवधि में करने पर परिणाम अपूर्ण प्राप्त होता है। अत: किसी कार्य को शुरू करने से पहले राहु काल का विचार कर लिया जाए तो परिणाम में अनुकूलता की संभावना अधिक रहती है।

बाहरी कड़ियाँ

किसी भी दिन एवं समय का राहुकाल पता कीजिये साँचा:वैदिक साहित्य