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तत्त्वमीमांसा

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साँचा:आधारसाँचा:स्रोत कम दर्शनशास्त्र की कई शाखाएँ हैं,जिनमें से एक तत्व मीमांसा भी है। तत्त्व मीमांसा दर्शनशास्त्र की वह शाखा है,जो ब्रह्मांड के परम तत्व / ईश्वर की खोज करते हुये उसके परम स्वरूप का विवेचन करती है। इसका प्रमुख विषय वो परम तत्व ही होता है जो इस संसार के होने का कारण है और इस संसार का आधार है। इसमें उस परम तत्व के अस्तित्व को खोजने की कोशिश की जाती है। इसमें परम तत्व की व्याख्या कई प्रकार से की जाती है। कई उसे आकार रूप मानकर परिभाषित करते हैं,तो कई उसे निराकर रूप मानते हैं।

(Metaphysics), दर्शन की वह शाखा है जो किसी ज्ञान की शाखा के वास्तविकता (reality) का अध्ययन करती है। परम्परागत रूप से इसकी दो शाखाएँ हैं - ब्रह्माण्ड विद्या (Cosmology) तथा सत्तामीमांसा या आन्टोलॉजी (ontology)।

तत्वमीमांसा में प्रमुख प्रश्न ये हैं-

  1. ज्ञान के अतिरिक्त ज्ञाता और ज्ञेय का भी अस्तित्व है


तत्वमीमांसा

साँचा:मुख्य जैन दर्शन के अनुसार तत्त्व सात है। यह हैं-

  1. जीव- जैन दर्शन में आत्मा के लिए "जीव" शब्द का प्रयोग किया गया हैं। आत्मा द्रव्य जो चैतन्यस्वरुप है। साँचा:Sfn
  2. अजीव- जड़ या की अचेतन द्रव्य को अजीव (पुद्गल) कहा जाता है।
  3. आस्रव - पुद्गल कर्मों का आस्रव करना
  4. बन्ध- आत्मा से कर्म
  5. संवर- कर्म बन्ध को रोकना
  6. निर्जरा- कर्मों को शय करना
  7. मोक्ष -
  8. मरण के चक्र से मुक्ति को मोक्ष कहते हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ सूची

साँचा:टिप्पणीसूची

साँचा:तत्त्वमीमांसा