मेनू टॉगल करें
Toggle personal menu
लॉग-इन नहीं किया है
Your IP address will be publicly visible if you make any edits.

आत्म ख्यातिवाद

भारतपीडिया से
WikiDwarf (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित २२:३५, ३१ अगस्त २०२१ का अवतरण (नया लेख बनाया गया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

भ्रम सम्बन्धी विचार को ख्याति विचार कहते है।

आत्म ख्यातिवादयोगाचार, विज्ञानवादी, का भ्रम सिद्धांत आत्म ख्यातिवाद कहलाता है। इनके अनुसार विज्ञान ही एकमात्र सत है इससे भिन्न स्वतंत्र, पृथक बाह्य पदार्थ की सत्ता नहीं है। वस्तुएँ मन के प्रत्यय मात्र है। ये प्रत्यय आत्म निहित है ये आत्म निहित प्रत्यय ही बाह्य पदार्थ का रूप लेकर बहिर्वत प्रतीत होते है, चूंकि आत्म निहित विज्ञान ही गलत प्रकिया के चलते बर्हिवत प्रतीत होते है।

इनका भ्रम संबंधी सिद्धांत आत्म ख्यातिवाद कहलाया है ये भ्रम को विषयगत के स्थान पर आत्मगत मानते है

आलोचना

1 आत्म ख्यातिवाद को मानने पर यर्थाथ ज्ञान तथा अयर्थाथ का भेद समाप्त हो जाता है
2 आत्मख्यातिवाद को मानने पर ज्ञान की सम्यक रूपेण व्याख्या नही हो पाती है यहाँ ज्ञाता, ज्ञान, ज्ञेय मॅ भेद नहीं हो पाता है परिणाम स्वरूप ज्ञान प्रक्रिया की आवश्य्क शर्तें यहाँ पूरी नहीं हो पाती

इन्हें भी देखें