मेनू टॉगल करें
Toggle personal menu
लॉग-इन नहीं किया है
Your IP address will be publicly visible if you make any edits.

अपरशैल

भारतपीडिया से
WikiDwarf (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित १७:२२, २ मार्च २०२१ का अवतरण (नया लेख बनाया गया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

साँचा:स्रोतहीन

अपरशैल प्राचीन धान्यकटक के निकट का एक पर्वतभोटिया ग्रंथों से ज्ञात होता है कि पूर्वशैल और अपरशैल धान्यकटक (आंध्र) के पूर्व और पश्चिम में स्थित पर्वत थे जिनके ऊपर बने विहार पूर्वशैलीय और अपरशैलीय कहलाते थे। ये दोनों चैत्यवादी थे और इन्हीं नामों से उस काल में दो बौद्ध निकाय भी प्रचलित थे। कथावत्थु नामक बौद्ध ग्रंथ में जिन अशोककालीन आठ बौद्ध निकायों का खंडन किया गया है उनमें ये दोनों सम्मिलित हैं। कथावत्थु के अनुसार अपरशैलीय मानते थे कि भोजन-पान के कारण अर्हत्‌ का भी वीर्यपतन संभव है, व्यक्ति का भाग्य उसके लिए पहले से ही नियत है तथा एक ही समय अनेक वस्तुओं की ओर हम ध्यान दे सकते हैं। कुछ स्रोतों से ज्ञात होता है कि इस निकाय के प्रज्ञाग्रंथ प्राकृत में थे।