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अंतिम गति

भारतपीडिया से
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परिचय

अंतिम गति अथवा वेग (en: terminal velocity) किसी वस्तु के द्वारा प्राप्य उच्चतम वेग होता है, जब वह वस्तु किसी तरल पदार्थ या हवा के माध्यम से चलती या गिरती है। यह स्थिति तब आती है जब किसी वस्तु को खींचने पर लगने वाला बल और उस वस्तु का वज़न दोनों जुड़कर उस वास्तु पर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल के बराबर हो जाये। अतः उस पर लगने वाला कुल बल 0 हो जाता है। अतः उस समय उस वस्तु का त्वरण भी 0 होता है।

टर्मिनल वेग के समय उस वस्तु की गति न तो बढती है न ही घटती है, वह एक समान रहती है।

जैसे ही वस्तु कि गति पद्धति जाती है, तो जिस के माध्यम से वह वस्तु गुजर रही है (पानी और हवा इत्यादि) वह उस पर उल्टा बल भी लगता है। जिस बल के चलते उस वस्तु कि गति पर फर्क पड़ता है। और अन्तः एक समय ऐसा अत है जब उस वस्तु कि गति न तो बढती है न ही घटती है। ऐसी स्थिति में उस वस्तु कों खींचने वाला बल पृथ्वी के गुरुत्वकर्ष्ण बल के बराबर हो जाता है।

किसी भी वस्तु को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने के लिए यह आवश्यक है कि उसकी गति टर्मिनल गति से अधिक हो।

सन्दर्भ

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