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यूरोपा (Europa), हमारे सौर मण्डल के पाँचवे ग्रह बृहस्पति का चौथा सब से बड़ा उपग्रह है। इसका व्यास (डायामीटर) लगभग 3,138 किमी है जो हमारे चन्द्रमा से चंद किलोमीटर ही छोटा है।
अन्य भाषाओँ में
यूरोपा को अंग्रेज़ी में "Europa" लिखा जाता है। प्राचीन यूनानी सूत्रों के अनुसार यूरोपा एक फ़ोनीकीयाई राज-महिला का नाम था।
बनावट और सम्भावित समुद्र
यूरोपा मुख्य रूप से पत्थरीले पदार्थों का बना हुआ है और इसका केंद्र लोहे का है।[१] इसकी सतह पानी की बर्फ़ की बनी हुई है और पूरे सौर मंडल की सब से समतल सतहों में गिनी जाती है।[२] इस सतह पर दरारें तो नज़र आती हैं लेकिन प्रहार क्रेटर बहुत कम हैं। दरारों में भी नई बर्फ़ से भरी हुई लगतीं हैं। सतह को देख कर बहुत से वैज्ञानिकों को लगता है के उसके नीचे ज़रूर एक पानी का समुद्र होगा। उनकी सोच है के जब भी सतह किसी उल्कापिंड के गिरने से फटती है या उसमें बृहस्पति के ज्वारभाटा बल की खींचातानी से दरारें पड़ती हैं, तो नीचे से सागर के पानी से सम्पर्क रखने वाली गर्म बर्फ़ ऊपर आ जाती है और सख़्ती से जमकर घाव भर देता है। अगर वास्तव में ऐसा समुद्र है तो सम्भव है के उसमें जीवन पनप रहा हो।[३] इस सम्भावना की वजह से यूरोप और अमेरिका की अंतरिक्ष क्षोध एजेंसियाँ यूरोपा पर और अनुसंधान करने की योजनाएँ बना रही हैं।[४][५] वैज्ञानिक यह भी अनुमान लगते हैं के यूरोपा की सख़्त बर्फ़ीली सतह अरबों साल पहले हुए अपने निर्माण के बाद 80° घूम चुकी है। इस से यह शंका और तीव्र होती है की सतही बर्फ़ का खोल एक पानी के गोले के ऊपर तैर रहा है और आराम से हिल-डुल सकता है।[६] अन्य वैज्ञानिकों का कहना है के ऐसा कोई समुद्र नहीं है और बाहर की सख़्त बर्फ़ के नीचे केवल नरम बर्फ़ है - लेकिन ऐसा विश्वास रखने वाले वैज्ञानिक अल्प संख्या में हैं।
यदि वास्तव में समुद्र है तो उसकी गहराई 100 किमी तक हो सकती है। इस समुद्र में पृथ्वी के सारे समुद्रों के पानी से दुगने से भी अधिक पानी होगा।
विकिरण
यूरोपा की सतह पर बृहस्पति के विकिरण (रेडीयेशन) का प्रभाव काफ़ी है। हर रोज़ सतह पर औसतन 540 रॅम (rem) का विकिरण पड़ता है। अगर किसी मनुष्य को इन हालात में रहना पड़े तो उसको जानलेवा विकिरण रोग का हो जाना निश्चित है।
वायुमंडल
यूरोपा का एक बहुत ही पतला वायुमंडल है जिसमें अधिकतर आणविक आक्सीजन (O2) मौजूद है। इस वायु की तादाद इतनी कम है के पृथ्वी पर वायु का दबाव यूरोपा से दस खरब गुना ज़्यादा है।[७][८]
क्षोध यान का प्रस्ताव
यूरोपा के इर्द-गिर्द अंतरिक्ष से उसे ग़ौर से देखने के लिए यान भेजने के बहुत से प्रस्ताव हैं। उसके अलावा एक ऐसा भी प्रस्ताव है के एक यान को यूरोपा पर उतारा जाए। इस यान में परमाणु शक्ति से गरमी पैदा करने वाला एक भाग होगा जो सतह की बर्फ़ को पिघलाकर युरोपा में तब तक धंसता चला जाएगा जब तक के वह या तो समुद्र में प्रवेश कर ले या फिर यह साबित कर दे के ऐसा कोई समुद्र है ही नहीं। क्योंकि वैज्ञानिक मानते हैं के ऊपरी बर्फ़ की सतह 10 किमी से अधिक मोटी है इसलिए इस यान को समुद्र तक पहुँचने के लिए बहुत गहराई तक धंसना होगा।[९] यह भी आवश्यक होगा के इसकी प्रसारण शक्ति बहुत हो ताकि बर्फ़ की इतनी गहराई के नीचे से भी वह सन्देश और तस्वीरें भेज सके। इस यान में ऐसी क़ाबलियत भी होगी कि वह स्वयं ही समुद्र में घूमता रहे और अपनी दिशा चुन सके क्योंकि पृथ्वी से उस तक निर्देश पहुँचने में कुछ मिनट लगेंगे।[१०][११]
इन्हें भी देखें
बहरी कड़ियाँ
सन्दर्भ
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- ↑ साँचा:Cite journal
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- ↑ Cowen, Ron (2008-06-07). "A Shifty Moon". Science News. मूल से 23 मार्च 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 जून 2011.
- ↑ Hall, Doyle T.; et al.; Detection of an oxygen atmosphere on Jupiter's moon Europa साँचा:Webarchive, Nature (journal), Vol. 373 (23 फ़रवरी 1995), pp. 677–679 (accessed 15 अप्रैल 2006)
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- ↑ P. Weiss, K.L. Yung, N. Koemle, S.M. Ko, E. Kaufmann, G. Kargl ; Thermal drill sampling system onboard high-velocity impactors for exploring the subsurface of Europa, Advances in Space Research (18 जनवरी 2010)
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