More actions

जैन प्रतीक चिन्ह : परस्परोपग्रहो जीवानाम्
परस्परोपग्रहो जीवानाम् संस्कृत भाषा में लिखे गए प्रथम जैन ग्रंथ, तत्त्वार्थ सूत्र का एक श्लोक है [५.२१]। इसका अर्थ होता है : "जीवों के परस्पर में उपकार हैं।साँचा:Sfn" सभी जीव एक दूसरे पर आश्रित है। [१]
जैन धर्म का मन्त्र
परस्परोपग्रहो जीवानाम् जैन धर्म का आदर्श-वाक्य है। यह जैन प्रतीक चिन्ह के अंत में लिखा जाता है। यह जैन सिंद्धांत अहिंसा पर आधारित है।
सन्दर्भ
सन्दर्भ सूची
- ↑ साँचा:Cite book p. 123