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नारायण दास ग्रोवर

भारतपीडिया से
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महात्मा नारायण दास ग्रोवर (15 नवम्बर 1923 - 6 फ़रवरी 2008) भारत के महान शिक्षाविद थे। वे आर्य समाज के कार्यकर्ता थो जिन्होने 'दयानन्द ऐंग्लो-वैदिक कालेज आन्दोलन' (डीएवी आंदोलन) के प्रमुख भूमिका निभायी। उन्होने अपना पूरा जीवन डीएवी पब्लिक स्कूलों के विकास में लगा दिया। उन्होंने इस संस्था की आजीवन अवैतनिक सेवा प्रदान की। वे डीएवी पब्लिक स्कूल पटना प्रक्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक के साथ-साथ डीएवी कालेज मैनेजिंग कमेटी नई दिल्ली के उपाध्यक्ष थे। महात्मा ग्रोवर के द्वारा प्रारम्भ किये सन्कल्प DAV सन्कल्प सर्व शिक्षा DAV सन्कल्प नेत्र ज्योति के माध्यम से हजारो उपेक्षितों जनजातियों गरीब बेसहारा अनाथ बच्चो की शिक्षा और दयानंद नेत्रालय खूंटी में 40 हज़ार से ऊपर मोतियाबिंद के ऑपरेशन 1983 से लाखों रोगियो की निःशुल्क चिकित्सा ये कार्य उनके अन्यंतम सहयोगी पद्मभूषण कड़िया मुंडा, गोंविन्द चन्द्र महतो, रोशन लाल शर्मा , राजेन्द्र आर्य, शत्रुघ्न लाल गुप्ता, प्रेम आर्य के प्रयास से आज भी चल रहा है, इन्ही सेवा कार्य हेतु महात्मा ग्रोवर द्वारा स्थापित Sarvangin Gram Vikas Sanstha, द्वारा कई स्कूल जनजातिय एरिया में संचालित है खूंटी के नागरिकों द्वारा आज भी उनके द्वारा प्रारम्भ कार्य जनसहयोग से सुचारु रूप से चल रहे है, इन कार्यो में भारत सरकार और वैदेशिक संस्थाएं सहयोगी है , प्रति दिन 10निशुल्क मोतियाबिंद के ऑपरेशन किये जा रहे है 3 एकड़ में फैले इस अस्पताल आज एक शोध का विषय है स्मृति में महात्मा के सन्कल्प को आज कड़िया मुंडा जी आगे बढ़ा रहे है ।

परिचय

महात्मा नारायण दास ग्रोवर का जन्म ईशल्केल में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। वर्ष 1939 में मैट्रिक करने के बाद नारायण दास ने स्नातक की शिक्षा लाहौर के डीएवी कॉलेज से ली। पंजाब विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में मास्टर डिग्री ग्रहण करने के उपरान्त उन्होने लाहौर के डीएवी कालेज में सन् १९४५ में शिक्षण आरम्भ किया। भारत के विभाजन के उपरान्त वे अम्बाला नगर के डीएवी कॉलेज में सन् १९६० तक अपनी सेवाएँ दीं।

आप वर्ष 1960 में ही अबोहर डीएवी कॉलेज के संस्थापक प्राचार्य बन गये। यहां ये वर्ष 1977 तक कार्यरत रहे। इस दौरान मिजाज से कर्मयोगी नारायण दास ने अबोहर व फाजिल्का इलाके में करीब एक दर्जन से भी अधिक शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की। वर्ष 1977 से 1982 तक आपने डीएवी कॉलेज हिसार का भी सफल संचालन किया। इस दौरान आपने पंजाब विश्वविद्यालय में सीनेट सदस्य व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा में स्पोर्ट्स कमेटी के अध्यक्ष पद को भी सुशोभित किया।

बाद में उन्होंने बिहार की ओर रुख किया और बिहार, बंगाल, ओडिशा और झारखंड के सुदूरवर्ती पिछड़े और आदिवासी बहुल इलाकों में 200 से भी अधिक स्कूलों की स्थापना की, जो आज भी सफलता पूर्वक संचालित हो रहे हैं। यह उनके दलित, पिछड़े और शिक्षा से वंचित आदिवासी बच्चों के प्रति विशेष लगाव का सूचक है। उन्होंने युद्ध में शहीद होनेवाले सैनिकों के बच्चों व नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई डीएवी स्कूलों में लड़कियों के लिए निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की।

मानव सेवा के लिए समर्पित नारायण दास ने भुज के भूकंप-पीड़ितों, ओडिशा के तूफान पीड़ितों, बिहार के बाढ़ पीड़ितों और दक्षिण भारत में आये सुनामी के पीड़ितों की सहायता में न केवल स्वयं आगे रहे बल्कि शिक्षकों, विद्यार्थियों व अभिभावकों को भी जरूरतमंदों की सहायता के लिए प्रेरित किया।[१]

सन्दर्भ

साँचा:टिप्पणीसूची

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ