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जापानी या जापानी-रयुक्युवी एक भाषा-परिवार है जिसमें जापानी भाषा शामिल है, जो जापान के मुख्य द्वीपों में बोली जाती है, और रयुक्युवी भाषाएँ, जो रयुक्यु द्वीपों में बोली जाती हैं। भाषाविज्ञानिकों में यह भाषा-परिवार सार्वकाम्य रूप से स्वीकार किया गया है, और इस की आदिम-भाषा की पुनर्रचना में बहुत प्रगति हुई है।साँचा:Sfnp इज़ू द्वीप पर बोली जाने वाली हचिजो भाषा भी इस में शामिल है, पर परिवार के अंदर इसकी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
आदिम-जापानी
इसकी आदिम-भाषा प्राचीन जापानी की आभ्यंतर पुनर्रचना और प्राचीन जापानी और रयुक्युवी भाषाएँ की तुलनात्मक प्रणाली के संयोग से पुनर्रचना की गई है।साँचा:Sfnp 20वीं सदी की प्रमुख पुनर्चनाएँ सैम्युएल एल्मो मार्टिन(Samuel Elmo Martin) और शिरो हत्तोरी(Shirō Hattori) द्वारा प्रस्तुत की गई थीं।साँचा:Sfnpसाँचा:Sfnp
आदिम-जापानी के शब्द आम तौर पर अनेकाक्षरी(polysyllabic) होते हैं, जिनके अक्षर (C)V के रूप से होते हैं।साँचा:Sfnp
द्वयोष्ठ्य (Bilabial) |
वर्त्स्य (Alveolar) |
तालव्य (Palatal) |
कण्ठ्य (Velar) | |
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नासिक्य (Nasal) |
साँचा:IPA | साँचा:IPA | ||
स्पर्श (Plosive) |
साँचा:IPA | साँचा:IPA | साँचा:IPA | |
संघर्षी (Fricative) |
साँचा:IPA | |||
अन्तस्थ (Approximant) |
साँचा:IPA | साँचा:IPA | ||
तरल स्वन (Liquid) |
साँचा:IPA |
प्राचीन जापानी में घोष व्यंजन "b", "d", "z", "g" जो शामिल थे, जो शब्द-आद्य स्थिति पर कभी आते नहीं थे, वो बीच वाले स्वर के लोप के बाद मौजूद हुए नासिक्य व्यंजन और अघोष व्यंजनों के गुच्छ से पाए हैं।साँचा:Sfnp
अधिकांश लेखक मानते हैं कि आदिम-जापानी में छह स्वर मौजूद थे:साँचा:Sfnp
अग्रस्वर | मध्यस्वर | पश्वस्वर | |
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संवृत | साँचा:IPA | साँचा:IPA | |
बीच का | साँचा:IPA | साँचा:IPA | साँचा:IPA |
विवृत | साँचा:IPA |
कुछ लेखक एक संवृत मध्यस्वर साँचा:IPA का भी प्रस्ताव करते हैं।साँचा:Sfnpसाँचा:Sfnp बीच के स्वर साँचा:IPA और साँचा:IPA क्रमशः "i" और "u" तक हर जगह आरोह हुए थे, शब्द-अंत्य के सिवाए।साँचा:Sfnpसाँचा:Sfnp अन्य प्राचीन जापानी स्वर आदिम-जापानी के स्वर के अनुक्रम से आए थे।साँचा:Sfnp
माना जाता है कि एक शाब्दिक स्वराघात की पुनर्रचना होनी चाहिए, पर उसका सटीक रूप विवादग्रस्त है।साँचा:Sfnp