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दुर्गम ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी तथा घाटी मार्गों से पैदल यात्रा करने को ट्रेकिंग कहते हैं। ट्रैकिंग के दौरान मनुष्य जुझारु एवं निडर बनता है। मिल कर काम करने से उसमें सहयोग की भावना भी विकसित होती हैं। ट्रैकिंग रास्ते के पेड़-पौधे, जीव-जन्तु एवं नयनाभिराम दृश्य व्यक्ति की सारी थकान हर लेते हैं। व्यक्ति सब कुछ भूलकर अपने आप को प्रकृति की गोंद में विजय पाने के बाद व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ जाता है तथा उसे आत्मसंतोष की अनुभूति होती है।