मेनू टॉगल करें
Toggle personal menu
लॉग-इन नहीं किया है
Your IP address will be publicly visible if you make any edits.

गंधर्व विवाह

भारतपीडिया से
WikiDwarf (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित १६:३६, १८ मई २०२१ का अवतरण (नया लेख बनाया गया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

साँचा:में विलय साँचा:विलय साँचा:Underlinked

प्राचीन भारतीय स्मृतिकारों ने विवाह के जो आठ प्रकार मान्य किए थे, गंधर्व विवाह उनमें से एक है। इस विवाह में वर-वधू को अपने अभिभावकों की अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। युवक युवती के परस्पर राजी होने पर किसी श्रोत्रिय के घर से लाई अग्नि से हवन करने के बाद हवन कुंड के तीन फेरे परस्पर गठबंधन के साथ कर लेने मात्र से इस प्रकार का विवाह संपन्न मान लिया जाता था। इसे आधुनिक प्रेम विवाह का प्राचीन रूप भी कह सकते हैं। इस प्रकार का विवाह करने के पश्चात् वर-वधू दोनों अपने अभिभावकों को अपने विवाह की निस्संकोच सूचना दे सकते थे क्योंकि अग्नि को साक्षी मान कर किया गया विवाह भंग नहीं किया जा सकता था। अभिभावक भी इस विवाह को स्वीकार कर लेते थे। किंतु इस प्रकार का विवाह जातिगत-पूर्वानुमति या 'लोकभावना' के विरुद्ध समझा जाता था, लोग इस प्रकार किए गए विवाह को उतावली में किया गया विवाह ही मानते थे। कुछ अर्थशास्त्रियों की धारणा थी कि इस प्रकार के विवाह का परिणाम अच्छा नहीं होता। भारतीय परिप्रेक्ष्य में शकुंतला-दुश्यंत, पुरुरवा-उर्वशी, वासवदत्ता-उदयन के विवाह गंधर्व-विवाह के प्रख्यात उदाहरण हैं।