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चेष्टा बल

भारतपीडिया से
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किसी ग्रह को सूर्य की परिक्रमा करने से जो बल प्राप्त होता है। इस प्रकार जो बल प्राप्त होता है। उसे चेष्टा बल कहते है।

सूर्य के पास ग्रह अपनी कक्षा में घूमते हुए सदैव मार्गी होते है। परन्तु पृ्थ्वी से वे कभी कभी वक्री प्रतीत होते है। चेष्ठा बल निकालने के लिये चेष्टा केन्द्र निकाला जाता है। चेष्टा केन्द्र में 3 जमा करने के बाद चेष्टा बल प्राप्त होता है। साँचा:वैदिक साहित्य