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स्क्रिप्ट त्रुटि: "Infobox" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। {{template other|{{#ifeq: राव जोधा}}infobox|{{#ifeq:{{strleft राव जोधा|7}}|Infobox [[Category:Infobox templates|{{remove first word|राव जोधा}}}}}}</noinclude> {{#ifeq: राव जोधा | sandbox
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इतिहास
मेवाड़ का शासन कार्य भी इनकी सहमति से चलता था अतः मेवाड़ के कुछ सरदार इनसे अप्रसन थे और इन्होने मेवाड़ नरेश महाराणा कुम्भा व उनकी माता सोभाग्य देवी को राव रणमल जी के विरुध बहका दिया। वि॰सं॰ 1495(1438 AD) में एक साजिश के तहत गहरी निंद में सोये राव रणमल को मार डाला गया व रावत चुडा लाखावत सिसोदिया के नेत्रत्व में मेवाड़ की सेना मंडोर पर आक्रमण कर मारवाड़ राज्य पर अधिकार जमा लिया। अपने पिता के निधन के साथ ही राव जोधा का पेत्रक राज्य भी हाथ से निकल गया, लेकिन राव जोधा ने यह कभी नहीं भुला की धरती वीरों की वधु होती है और युद्ध क्षत्रिय का व्यवसाय ।
वसुन्धरा वीरा रि वधु, वीर तीको ही बिन्द ।
रण खेती राजपूत रि, वीर न भूले बाल ।। जोधा का जन्म 1 अप्रैल 1416 को हुआ था। वीर साहसी व पराक्रमी राव जोधा ने मारवाड़ राज्य को पुनः विजय करने हेतु निरंतर संघर्ष जरी रखा और अंत में अपने भाईयों के सक्रिए सहयोग से मंडोर, कोसना व चौकड़ी पर विजय ध्वज लहराकर मारवाड़ में पुनः राठौर राज्य वि॰सं॰ 1510 स्थापित कर अपने पैत्रिक राज्य को मेवाड़ से मुक्त कर लिया |इस विजय के बाद राव जोधा व उनके भाईयों ने सोजत, पाली, खैरवा, नाडोल, नारलोई आदि पर हमला कर जीत लिया। राव जोधा ने अपने भाईयों व पुत्रों के सहयोग से अपने राज्य को मंडोर,मेड़ता, फलोदी,पोकरण, भाद्रजुन,सोजत,पाली, सिवाना,साम्भर,अजमेर,नागौर,डीडवाना तक बड़ा कर एक विशाल राठौर राज्य स्थापित कर दिया। इनके वीर पुत्रों में दुदोजी ने मेड़ता, राव बीका जी ने जाग्लुदेश (बीकानेर) व बिदाजी ने छापर विजय कर अलग अलग स्व्तांतर राठोड़ राज्यों की स्थापना की |मंडोर को असुरक्षित समझ कर जेस्ठ शुक्ला 11 शनिवार वि॰सं॰ 1515 में राव जोधा ने जोधपुर के किले मेहरानगढ़की नीवं दल कर जोधपुर नगर बसाया। राव जोधा जी ने अपने राज्य का शासन सुव्यवस्थित चलाने हेतु राज्य के अलग अलग भाग अपने भाईयों व पुत्रों को बाँट दिया.वि॰सं॰ 1545 में राव जोधा जी का निधन हुआ ।[१]
राव जोधा की रानी जसमादे ने जोधपुर में रानीसर झील का निर्माण कराया, मारवाड़ में राव जोधा केे पश्चात् राव सातल तथा राव सूजा का नाम आता है, लेकिन इन दोनों शासकों के बाद 1515 ई. मेंं एक महत्वपूर्ण शासक राव गांगा हुुुआ |
इन्हें भी देखें
कांधल जी, रूपा जी, मांडल जी, नथु जी और नन्दा जी ये पाँच सरदार जो जोधा के भाई थे राव मंडल ने जांगलप्रदेश पर सर्व प्रथम अधिकार किया था 1- मारणोत - राठौड़ - शाखाएं 2- मारणोत राठौड़ - श्री राव मांडल जी के वंशज मारणोत राठौड़ हैं | 3- श्री राव मांडल जी - श्री रिडमल जी के पुत्र राव जोधा के भाई राव बीका के काकोसा है | 4- श्री राव मांडल जी - स्मारक : छत्री शिलालेख : वि. सं. (1539) पलाना - शाखा उदगम स्थल | 5- मारणोत - राठौड़ : नख : कुल पांच : ( सदावत, राणावत, जगतावत, मनहोरदासोत, शिवसियोत )
1- मनहोरदासोत मारणोत राठौड़ 2- राव मूल सिंह उर्फ मनहोर सिंह के वंशज मनहोरदासोत उर्फ मुलावत मारणोत कहलाते हैं 3- मनहोरदासोत मारणोत राठौड़ौ का ठिकाणा पलाणा गांव कहां जाता हैं 4- मारणोत राठौड़ौ का ताजीमी ठिकाणा अलाय व प्रमुख ठिकाणा पलाणा कहा जाता है 5- राव मांडल जी जोधपुर घराने से थे कु. सवाई सिंह मारणोत राठौड़ ठिकाणा पलाणा M.7062916662
टिप्पणी
- दशरथ शर्मा (1970). राजपूत इतिहास और संस्कृति पर एक व्याख्यान, दिल्ली:मोतीलाल बनारसीदास.
- सोर्स फ़ॉर प्रोजेनी'
- सोर्स फ़ॉर प्रोजेनी