कण्टक शनि

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जब किसी व्यक्ति की कुण्डली में उसकी चन्द्रराशि से चतुर्थ भाव या अष्टम भाव में शनि का गोचर होता है तब उसे कण्टक शनि के नाम से जाना जाता है। कण्टक का अर्थ है कांटा. कई बार समय या दशा अनुकूल ना होने के कारण कण्टक शनि कांटे के समान चुभने का कार्य करता है। इस कारण शनि के इस गोचर को कण्टक शनि के नाम से पुकारा जाता है। साँचा:वैदिक साहित्य