मेनू टॉगल करें
Toggle personal menu
लॉग-इन नहीं किया है
Your IP address will be publicly visible if you make any edits.

वामदेव

भारतपीडिया से
WikiDwarf (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०३:१७, ३ सितम्बर २०२० का अवतरण (नया लेख बनाया गया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वामदेव ऋग्वेद के चतुर्थ मंडल के सूत्तद्रष्टा, गौतम ऋषि के पुत्र तथा "जन्मत्रयी" के तत्ववेत्ता हैं जिन्हें गर्भावस्था में ही अपने विगत दो जन्मों का ज्ञान हो गया था और उसी अवस्था में इंद्र के साथ तत्वज्ञान पर इसकी चर्चा हुई थी। वैदिक उल्लेखानुसार सामान्य मनुष्यों की भाँति जन्म न लेने की इच्छा से इन्होंने माता का उदर फाड़कर उत्पन्न होने का निश्चय किया। किंतु माता द्वारा अदिति का आवाहन करने और इंद्र से तत्वज्ञानचर्चा होने के कारण ये वैसा न कर सके। तब यह श्येन पक्षी के रूप में गर्भ से बाहर आए (ऋ. 4.27.1)।

एक बार यह कुत्ते की आंत पका रहे थे। उसी समय इंद्र श्येन पक्षी (बाज) के रूप में अवतीर्ण हुए। युद्ध में इन्होंने इंद्र को परास्त किया और उन्हें ऋषियों के हाथ बेच दिया (बृहद्देवता 4,126, 131)। ये सारी कथाएँ प्रतीकात्मक तथा रूपकात्मक होने के कारण असंगतियों से युक्त और अस्पष्ट हैं।

वामदेव नाम के अन्य व्यक्ति

इस नाम के अनेक पुराणेतिहासिक व्यक्तियों का उल्लेख प्राप्त होता है जिनमें मनु-शतरूपा के पुत्र रूप में शिवावतार (मत्स्यपुराण 4.27. 30-21), अंगिरस और सुरूपा का पुत्र (ब्रह्मांड. 3.1); रामचंद्र के समय के एक ऋषि और ग्यारह रुद्रों में से दसवें रुद्र (भाग. 2,12,7) आदि उल्लेखनीय हैं।

साँचा:ऋग्वेद