मेनू टॉगल करें
Toggle personal menu
लॉग-इन नहीं किया है
Your IP address will be publicly visible if you make any edits.

प्रबल अन्योन्य क्रिया

भारतपीडिया से
WikiDwarf (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०५:५९, ३ मार्च २०२० का अवतरण (नया लेख बनाया गया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

साँचा:मानक प्रतिकृती प्रबल अन्योन्य क्रिया (अक्सर प्रबल बल, प्रबल नाभिकीय बल और कलर अन्योन्य क्रिया के नाम से भी जाना जाता है) (साँचा:Lang-en) प्रकृति की चार मूलभूत अन्योन्य क्रियाओं में से एक है, अन्य तीन अन्योन्य क्रियाएं गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया और दुर्बल अन्योन्य क्रिया हैं। नाभिकीय स्तर पर यह अन्योन्य क्रिया विद्यत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया से १०० गुना प्रबल है अतः दुर्बल व गुरुत्वीय अन्योन्य क्रियाओं से यह बहुत ज्यादा प्रबल है। इस अन्योन्य क्रिया को प्रोटोनों व न्यूट्रोनों के बन्धन बल के रूप में भी पहचाना जाता है।

इतिहास

सत्तर के दशक से पहले भौतिकविद आण्विक नाभिक की बन्धन प्रक्रिया के बारे में अनिश्चित थे। यह उस समय भी ज्ञात था कि नाभिक प्रोटोनों व न्यूट्रॉनों से मिलकर बना है जहाँ प्रोटॉन धनावेशित कण हैं और न्यूट्रॉन अनावेशित (आवेश विहीन) कण हैं। अतः ये प्रभाव एक दुसरे के विरोधी दिखाई देते थे। तत्कालीन भौतिक ज्ञान के अनुसार, धनावेशित कण एक दुसरे को प्रतिकर्षित करते हैं और अतः नाभिक का विघटन बहुत ही जल्दी होना चाहिए अथवा नाभिक अस्थित्व में नहीं होना चाहिए। यद्यपि यह कभी प्रेक्षित नहीं किया गया। अतः इस प्रक्रिया को समझने के लिए नये भौतिकी की जरुरत थी।

प्रोटॉनों के परस्पर विद्युत चुम्बकीय प्रतिकर्षण के के बावजूद आण्विक नाभिक को समझने के लिए एक नया प्रबल आकर्षण बल का अभिगृहित दिया गया। इस कल्पित बल को प्रबल बल (Strong force) नाम दिया गया, जिसे एक मूलभूत बल माना गया जो नाभिक पर आरोपित होता है जहाँ नाभिक प्रोटॉनों व न्यूट्रॉनों से बना होता है। यहाँ इस बल का वाहक π± व π0 को माना गया। साथ ही इन कणों के द्रव्यमान के आधार पर इस बल की परास फर्मी (१०−१५) कोटि की मानी जाने लगी।

इसका आविष्कार बाद में हुआ कि प्रोटॉन व न्यूट्रॉन मूलभूत कण नहीं हैं बल्कि अपने घटक कणों क्वार्क से मिलकर बने हैं। नाभिकीय कणों के मध्य लगने वाला प्रबल आकर्षण बल प्रोटॉन व न्यूट्रॉन के अन्दर स्थित क्वार्कों को बांधे रखने वाले मूलभूत कण का पार्श्व प्रभाव मात्र है। क्वांटम क्रोमो गतिकी के सिद्धान्तानुसार क्वार्क रंगीन आवेश रखते हैं यद्यपि यह रंग सामान्य रंगो से सम्बन्धित नहीं है।[१] अलग वर्ण आवेश वाले क्वार्क प्रबल अन्योन्य क्रिया के प्रभाव में एक दूसरे को आकर्षित करते हैं जिसके वाहक ग्लुओन नामक कण हैं।

विवरण

इस अन्योन्य क्रिया को प्रबल कहने का मुख्य कारण इसका सभी अन्योन्य क्रियाओं में प्रबलतम होना है। यह बल विद्युत चुम्बकीय बलों से १० गुणा, दुर्बल बल से १० गुणा और गुरुत्वीय बल से १०३९ गुणा प्रबल होता है।

प्रबल बल का व्यवहार

इस बल का अध्ययन मुख्यतः क्वांटम क्रोमो गतिकी (QCD) में किया जाता है जो की मानक प्रतिमान का एक महत्वपूर्ण भाग है। गणितीय रूप से क्वांटम क्रोमो गतिकी सममिति समूह SU(3) पर आधारित अक्रमविनिमय आमान सिद्धान्त है।

क्वार्क व ग्लुओन ही केवल ऐसे मूलभूत कण हैं जो विलुप्त नहीं होने वाला वर्ण-आवेश रखते हैं अतः प्रबल अन्योन्य क्रिया में भाग लेते हैं। प्रबल बल प्रत्यक्ष रूप से केवल क्वार्क व ग्लुओन से ही क्रिया करता है।

सन्दर्भ

ये भी देखें

साँचा:मूलभूत अन्योन्य क्रियाएं