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अचलभ्राता भगवान महावीर के ९ वें गणधर थे। ये भी ब्राह्मण थे तथा उनके ३०० ब्राह्मण शिष्य भी भगवान महावीर के संघ में दीक्षित हो गये थे। ७२ वर्ष कि आयु मे इन्होने निर्वाण प्राप्त
अचलभ्राता की शंका
प्रत्येक गणधर को अपने ज्ञान में कोई ना कोई शंका थी, जिसका समाधान भगवान महावीर ने किया था, अचलभ्राता के मन में शंका थी कि, क्या पाप और पुण्य होता है?