मेनू टॉगल करें
Toggle personal menu
लॉग-इन नहीं किया है
Your IP address will be publicly visible if you make any edits.

सामाजिक विघटन का सिद्धान्त

भारतपीडिया से
WikiDwarf (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित १७:५२, १ अगस्त २०२१ का अवतरण (नया लेख बनाया गया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

साँचा:आधार समाज शास्त्र में सामाजिक विघटन का सिद्धान्त' (Social disorganization theory) सबसे महत्वपूर्ण सिद्धान्तों में एक है। इसका प्रतिपादन 'शिकागो स्कूल' द्वारा किया गया था। यह सिद्धान्त मानता है कि अपराध की दर पड़ोस के पर्यावरणीय विशिष्टताओं के समानुपाती होती है। सामाजिक विघटन सामाजिक संगठन के विपरीत की स्थिति है इसके अंतर्गत व्यक्ति संस्थाएं आदि अपने पद एवं कार्य को छोड़कर कार्य करने लगते हैं इसमें सदस्यों को एकमत होने का नितांत अभाव होता है अर्थात समाज में सामाजिक नियंत्रण एवं सामाजिक संरचना का भाव होता है इससे व्यक्तियों के सामाजिक संबंध अस्थिर एवं विकृत हो जाते हैं सामाजिक विघटन की विभिन्न परिभाषाएं लैंड इसके अनुसार सामाजिक विघटन से हमारा तात्पर्य सामाजिक नियंत्रण का इस प्रकार भंग होना जिससे और अव्यवस्था उत्पन्न हो जाता है पेरिस के अनुसार सामाजिक विघटन मानव संबंधों के प्रति मानव उपक्रमों में पढ़ने वाला विघ्न है इस प्रकार सामाजिक विघटन में समाज की वह स्थिति निर्मित हो जाती है जिससे सामाजिक संरचना में सामाजिक नियंत्रण चीन में भिन्न हो जाते और सामाजिक संबंध टूट जाते हैं