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नफिल रोज़ा

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साँचा:इस्लाम नफिल ,नफ़्ल (बहुवचन: नवाफिल) का शाब्दिक अर्थ है कुछ अतिरिक्त, इस्लाम में पैग़म्बर मुहम्मद ने कभी कभी जो इबादत की उसे नफिल[१] कहते हैं। सवाब (पुण्य,नेकी) बढ़ाने के लिए अतिरिक्त नफिल रोजा (उपवास) और नफिल नमाज़ भी होती हैं।
नफिल को फ़र्ज़ और सुन्नत की तरह अनिवार्य घोषित नहीं किया गया है। इस्लाम में वर्ष में 20[२] रोजे नफिल कहे जाते हैं, कुछ के नाम यह हैं। नफिल रोजों की मुसलमानों में बहुत मान्यता है [३] :

सूची:

  • शव्वाल के रोज़े : ईद के बाद लगातार 6 दिन
  • शबे मैराज : चन्द्र वर्ष के महीने
  • शाबान की 15 का रोज़ा
  • मोहर्रम का रोज़ा : चन्द्र वर्ष के महीने मुहर्रम की 10 को अय्यामे बीज़ का रोज़ा: यानी हर चन्द्र वर्ष के महीने की तेहरवीं, चौदहवीं, पन्द्रहवीं तारीखों के रोजे़ पीर के दिन और जुमेरात के दिन का रोज़ा

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ