मेनू टॉगल करें
Toggle personal menu
लॉग-इन नहीं किया है
Your IP address will be publicly visible if you make any edits.

लिनस पाउलिङ्

भारतपीडिया से
WikiDwarf (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०२:३१, ४ फ़रवरी २०२१ का अवतरण (नया लेख बनाया गया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

साँचा:स्रोतहीन

लिनस पाउलिं।

लिनुस कार्ल पाउलिङ (फर्वरी २८,१९०१-अगस्त १९,१९९४) एक अम्रीकी रसायनज्ञ, बायोकेमीज्ञानी, शांति कार्यकर्ता, लेखक और शिक्षक थे। उन्होने १२०० से ज्यादा सामग्री और पुस्तकें प्रकाशित कियें है। उन्में से लगभग ८५० वैज्ञानिक विषयों थे। "न्यू सयिन्टिस्ट" पत्रिका उन्को सर्वकाल की महानतम वैज्ञानिकों में एक कहतें है। आज की युग में पाउलिङ को इतिहास के 16 वीं सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक का स्तान दिया गया है। पाउलिङ क्वांटम रसायन विज्ञान और आणविक जीव विज्ञान के स्ंस्थापक थे। उन्की वैज्ञानिक कामों के लिये उन्को सन १९५४ में नोबेल पुरस्कार मिली। सन १९६२ में उन्को शान्ती का नोबेल पुरस्कार भी मिली। इससे वे दो अविभाजित नोबेल पुरस्कारों दिया हुआ इकलौता आदमी हो गया। डीएनए की संरचना पर भी पाउलिङ ने अनुसंधान किये थे।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

पाउलिङ औरिगन के पोर्ट्लेंड में हेर्मन हेन्री विल्लियम पाउलिङ और लूसी इस्बेल्ली को पैदा हुआ। लूसी के पिताजी लिनस और हेर्मन के पिताजी कार्ल को जोडकर उन्को "लिनस कार्ल" का नाम दिया गया। सन १९०६मे> ले पिताजी हेर्मन मर गये। उस्के बाद लूसी, पाउलिङ, और उन्की दो बहनें कान्डान, ओरेगन में रहने लगे। पाउलिङ को एक रसायनज्ञ दनने का रुची उनका दोस्त लोइड जेफ्फर से मिली, जो हमेशा अपने साथ एक रसायन विज्ञान प्रयोगशाला किट रखता था। हाई स्कूल के समय पाउलिङ अपना एक दोस्त लोइड साइमन के साथ साइमन के घर की तहखाना में एक प्रयोगशाला बना थ। फिर उस शहर के डेयरियों को सस्ती दर मक्खन वसा नमूने की प्रस्ताव दिये। मगर उस व्यापार नष्ट हो गयी। पाउलिङ अपनी परिवार की आमदनी के लिये कयी काम किये। उन्होनें एक किराने की दुकान प्रति सप्ताह 8 डॉलर के लिये काम किये। फिर प्रति महीने ४० डालर के लिये इंजीनियर का काम भी किये। सन १९१७ सितम्बर को ओरेगन राज्य विश्वविद्यालय में उन्को दाखिला मिली। इस्लिये वे अपनी इंजीनियर का काम छोड्कर पढ्ने लगे। औरिगन राज्य विश्वविद्यालय में उन्होनें रसायन विज्ञान, गणित, यांत्रिक ड्राइंग, खनन और विस्फोटकों आदि कि चोउर्से पढे। दूसरे वर्ष के बाद वह गुणात्मक विश्लेषण में एक शिक्षक के रूप में काम किया औरन एक माह 100 डॉलर की कमाई की। अंतिम दो वर्षों में उन्होंने लुईस और लंमऊइर् के कामों से प्रेरित हो गया। वह फिर परमाणुओं की संरचना में पदार्थों की भौतिक और रासायनिक गुणों संबंधित की खोज में अनुसंधान करने का फैसला किया। वह नए विज्ञान क्वांटम रसायन शास्त्र की संस्थापकों में से एक बन गया। सन १९२२ में, पॉलिंग ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी से स्नातक की उपाधि पायी। फिर वह कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एक्स रे विवर्तन और क्रिस्टल संरचना पर अनुसन्धान किये। उनको सन १९२५ में भौतिक रसायन शास्त्र और गणितीय भौतिकी में पीएचडी की डिग्री मिला।

व्यक्तिगत जीवन

पॉलिंग १७ जून १९२३ को एवा हेलेन मिलर को शादी कर ली। उन्के चार बच्चें थे। लीनुस कार्ल जूनियर एक मनोचिकित्सक बन गया; पीटर जेफ्फ्रेस्स् एक क्र्स्तल्लोग्राफर्; एडवर्ड क्रेल्लिन् एक जीवविज्ञानी; और लिंडा हेलेन।

व्यवसाय

सन १९२६ में उन्को यूरोप की यात्रा करने के लिये गुग्नेइनिम फैलोशिप दिया गया थ। उधर उन्को अर्नोल्ड सोमर्फील्ड, नीइल्स बॉह्र,और एर्विन स्क्रोडिङर- इन तीनों वैज्ञानिकों के साथ काम करने का मौका मिला। वह क्वांटम रसायन विज्ञान के क्षेत्र का प्रतम वैज्ञानिकों में से एक बन गया। सन १९२७ में पॉलिंग कैलटेक विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम करना शुरू किया। उन्होंने पांच वर्ष में लगभग पचास पत्रों प्रकाशित किया और पांच नियमों को बनाया जिसे हम पॉलिंग के नियमों कहते हैं। सन १९३०में पॉलिंग नेअपना सबसे महत्वपूर्ण लेख को प्रकाशित किये थे, जिसमें उन्होंने "हैब्रिडैसेशन ऑफ अटामिक आर्बटल्स" और "कार्बन की टेट्रावेलन्सी" पर काम किये थे।सन १९३२ में पॉलिंग ने वैद्युतीयऋणात्मकता की अवधारणा की शुरू की। तत्वों के विभिन्न गुणों का उपयोग, उन्होंने एक पैमाने, और अधिकांश तत्वों के लिए एक संबद्ध संख्यात्मक मूल्य की स्थापना की। सन १९३६ में पाउलिङ को कैलटेक के रसायन विज्ञान और केमिकल इंजीनियरिंग के विभाजन के अध्यक्ष का पदोन्नित मिला। सन १९३७ में उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र के प्राध्यापक के रूप में काम किया। उस समय, वह अपनी प्रसिद्ध पुस्तक "रासायनिक बंधन का स्वभाव" पूरा किया। रासायनिक बंधन का स्वभाव में उन्की अनुसन्धान के लिये उन्को सन १९५४ में नोबेल पुरस्कार मिली। सन १९३० के बाद पाउलिङ ने प्रोटीन, अमिनो एसिड और डीएनए आदि की संरचनाओं की अनुसंधान में अपनी रुची दिखाने लगे। नवंबर १९४९ में, पॉलिंग, हार्वे इटानो, एस जे सिङर और इबर्ट वेल्स ने "सिकल सेल एनीमिया" नामक एक आण्विक रोग के बारे में "साइंस" जर्नल में प्रकाशित किये। सन १९५१ में, पॉलिंग "आण्विक चिकित्सा " के हकदार पर एक व्याख्यान दिया। सन १९५० के बाद पॉलिंग मस्तिष्क समारोह में एंजाइमों की भूमिका पर काम किया।

सक्रियता

पॉलिंग एक कार्यकर्ता भी थे। मैनहट्टन परियोजना की परिणाम और उनकी पत्नी की शुक्रिया शांतिवाद गहराई से पॉलिंग के जीवन एक शांति कार्यकर्ता बन गया। सन १९४६ में अल्बर्ट आइंस्टीन की अध्यक्षता में परमाणु वैज्ञानिकों की आपातकालीन समिति में शामिल हो गए। इसका उद्देश्य था की जनता को परमाणु के विकास के साथ जुड़े खतरों हथियार को आगाह करना। सन १९५८ में, पॉलिंग ने अपनी पुस्तक " नो मोर वार" का प्रकाशित किया। उन्की इन कार्यकर्ताओं के लिये सन १९६२ में उन्को शान्ती का नोबेल पुरस्कार मिली।

सन्दर्भ