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उत्तर प्रदेश विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, २०२०

भारतपीडिया से
Adarshatva (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित २३:३५, ५ मई २०२५ का अवतरण

उत्तर प्रदेश विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, २०२० उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा बलात् धर्म-परिवर्तन को बन्द करने तथा इस प्रकार के कृत्य करने वालों पर कार्रवाई करने करने के लिए बनायी गयी एक विधि है। उत्तर प्रदेश के राज्य-मन्त्रिमण्डल ने २४ नवम्बर २०२० को इस अध्यादेश को स्वीकृति दी। जिसके बाद राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल द्वारा २८ नवम्बर २०२० को स्वीकृत और हस्ताक्षरित किया गया।

भारत गणराज्य की वापपन्थी मीडिया तथा भाजपा-विरोधी मीडिया द्वारा इस अध्यादेश को “लव जिहाद विधि” भी कहा जाता है और इस मीडिया के अनुसार यह अध्यादेश मुस्लिम-विरोधी है। वहीं भारत गणराज्य के कई लोगों का यह भी कहना कि इस अध्यादेश में किसी भी धर्म/पन्थ को वरीयता नहीं दी गयी है। इसीलिए यह अध्यादेश पन्थनिरपेक्ष है।

यह विधि धर्म संपरिवर्तन को गैर-जमानती अपराध बनाता है। यदि धर्म संपरिवर्तन गलत जानकारी, अवैध तरीके, बलपूर्वक, प्रलोभन या अन्य कथित कपटपूर्ण साधनों के माध्यम से किया जाता है, तो इसके लिए 10 वर्ष तक का कारावास का दण्ड हो सकता है। इस कानून में यह भी आवश्यक है कि उत्तर प्रदेश में विवाह के लिए धर्म संपरिवर्तन को जनपद मजिस्ट्रेट से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। इस कानून में सामूहिक धर्म संपरिवर्तन के लिए कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है, जिसमें सामूहिक धर्म संपरिवर्तन में शामिल सामाजिक सङ्गठनों की पञ्जीकरण निरस्त करना भी शामिल है।

जुलाई २०२४ में अध्यादेश में संशोधन किया गया जिससे इसे कठोर बना दिया गया। अब इस विधि में आजीवन कारावास जैसे कठोर प्रावधान होंगे। कानून में बदलाव किया गया है ताकि विशेष रूप से उन लोगों पर लागू हो जो स्त्रियों, अवयस्क को धमकाते हैं, हमला करते हैं, शादी करते हैं, शादी करने का वादा करते हैं, षड्यन्त्र करते हैं या तस्करी करते हैं या किसी को धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से उपर्युक्त कृत्हैंय करते हैं। इन कार्यों को अब गम्भीर अपराधों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ऐसे अपराधों के लिए 20 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकता है।

प्रावधान

अध्यादेश में निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या -