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उत्तर प्रदेश विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, २०२० उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा बलात् धर्म-परिवर्तन को बन्द करने तथा इस प्रकार के कृत्य करने वालों पर कार्रवाई करने करने के लिए बनायी गयी एक विधि है। उत्तर प्रदेश के राज्य-मन्त्रिमण्डल ने २४ नवम्बर २०२० को इस अध्यादेश को स्वीकृति दी। जिसके बाद राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल द्वारा २८ नवम्बर २०२० को स्वीकृत और हस्ताक्षरित किया गया।
भारत गणराज्य की वापपन्थी मीडिया तथा भाजपा-विरोधी मीडिया द्वारा इस अध्यादेश को “लव जिहाद विधि” भी कहा जाता है और इस मीडिया के अनुसार यह अध्यादेश मुस्लिम-विरोधी है। वहीं भारत गणराज्य के कई लोगों का यह भी कहना कि इस अध्यादेश में किसी भी धर्म/पन्थ को वरीयता नहीं दी गयी है। इसीलिए यह अध्यादेश पन्थनिरपेक्ष है।
यह विधि धर्म संपरिवर्तन को गैर-जमानती अपराध बनाता है। यदि धर्म संपरिवर्तन गलत जानकारी, अवैध तरीके, बलपूर्वक, प्रलोभन या अन्य कथित कपटपूर्ण साधनों के माध्यम से किया जाता है, तो इसके लिए 10 वर्ष तक का कारावास का दण्ड हो सकता है। इस कानून में यह भी आवश्यक है कि उत्तर प्रदेश में विवाह के लिए धर्म संपरिवर्तन को जनपद मजिस्ट्रेट से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। इस कानून में सामूहिक धर्म संपरिवर्तन के लिए कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है, जिसमें सामूहिक धर्म संपरिवर्तन में शामिल सामाजिक सङ्गठनों की पञ्जीकरण निरस्त करना भी शामिल है।
जुलाई २०२४ में अध्यादेश में संशोधन किया गया जिससे इसे कठोर बना दिया गया। अब इस विधि में आजीवन कारावास जैसे कठोर प्रावधान होंगे। कानून में बदलाव किया गया है ताकि विशेष रूप से उन लोगों पर लागू हो जो स्त्रियों, अवयस्क को धमकाते हैं, हमला करते हैं, शादी करते हैं, शादी करने का वादा करते हैं, षड्यन्त्र करते हैं या तस्करी करते हैं या किसी को धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से उपर्युक्त कृत्हैंय करते हैं। इन कार्यों को अब गम्भीर अपराधों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ऐसे अपराधों के लिए 20 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकता है।
प्रावधान
अध्यादेश में निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या -
(क) प्रलोभन का तात्पर्य
- नगद या वस्तु के रूप में किसी उपहार, परितोषण, सुलभ धन या भौतिक लाभ;
- रोजगार, किसी धार्मिक निकाय द्वारा संचालित प्रतिष्ठित शिक्षा विद्यालय में निःशुल्क शिक्षा; या
- बेहतर जीवन शैली, दैवी अप्रसाद या अन्यथा के रूप में प्रलोभित करने के प्रस्ताव से है और उसमें वे सम्मिलित हैं;
(ख) प्रपीड़न का तात्पर्य मनोवैज्ञानिक दबाव या भौतिक बल प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरूद्ध कार्य करने के लिए बाध्य करने से है, जिसमें शारीरिक क्षति या धमकी सम्मिलित है;
(ग) धर्म संपरिवर्तन का तात्पर्य किसी व्यक्ति द्वारा स्वधर्म का त्याग करने और अन्य धर्म को ग्रहण करने से है;
(घ) बल में धर्म संपरिवर्तित या धर्म संपरिवर्तित होने हेतु इप्सित व्यक्ति या किसी अन्य व्यक्ति या सम्पत्ति के लिये बल प्रदर्शित करना या किसी प्रकार की क्षति की धमकी देना सम्मिलित है;
(ङ) कपटपूर्ण साधन में किसी प्रकार का प्रतिरूपण, मिथ्या नाम, उपनाम, धार्मिक प्रतीक या अन्यथा द्वारा प्रतिरूपण किया जाना सम्मिलित है;
(च) सामूहिक धर्म संपरिवर्तन का तात्पर्य जहाँ दो या दो से अधिक व्यक्ति धर्म संपरिवर्तित किये जायें से है;
(छ) अवयस्क का तात्पर्य अट्ठारह वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति से है;
(ज) धर्म का तात्पर्य भारत में या उसके किसी भाग में प्रचलित और तत्समय प्रवृत्त किसी विधि या परम्परा के अधीन यथा परिभाषित पूजा पद्धति, आस्था, विश्वास, पूजा या जीवन शैली की किसी सङ्गठित प्रणाली से है;
(झ) धर्म परिवर्तक का तात्पर्य किसी ऐसे धार्मिक व्यक्ति से है, जो एक धर्म से दूसरे धर्म में संपरिवर्तन का कोई कार्य सम्पादित करता है और जिसे किसी भी नाम से पुकारा जाय, यथा पादरी, कर्मकाण्डी, मौलवी या मुल्ला इत्यादि;
(ञ) असम्यक असर का तात्पर्य ऐसे असर का प्रयोग करने वाले व्यक्ति की इच्छा के अनुसार कार्य करने हेतु अन्य व्यक्ति को प्रेरित करने के उद्देश्य से किसी व्यक्ति द्वारा अपनी शक्ति का अंतःकरण के विरूद्ध प्रयोग करने या अन्य व्यक्ति पर असर डालने से है;