आद्य बिंब

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युंग ने उन सामूहिक विचारों को आद्य बिंब आद्य रूप या मूल प्रारूप कहा है जो मनुष्य के प्रजातीय अवचेतन में सृष्टि के आरंभ से अंत तक के संस्कारों की दीर्घ परंपरा के रूप में संरक्षित रहती हैं। प्रजातीय अवचेतन मन में मनुष्य की सहज वृत्तियाँ समाहित रहती है। पूर्वजों की जीवाणु कोशिकाएं उनके वंशजों में अवतरित हो जाती हैं। ये कोशिकाएं अपने साथ साथ प्रजातीय अवचेतन में सुरक्षित अनुभवों और प्रतिक्रिया प्रणालियों को भी ले आती हैं।