कलिस्टो (उपग्रह)
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कलिस्टो हमारे सौर मण्डल के पाँचवे ग्रह बृहस्पति का दूसरा सब से बड़ा उपग्रह है और यह पूरे सौर मंडल का तीसरा सब से बड़ा चन्द्रमा है (बृहस्पति के ही गैनिमीड और शनि के टाइटन के बाद)। इसका व्यास (डायामीटर) लगभग 4,820 किमी है, जो बुध ग्रह का 99% है लेकिन बुध से काफ़ी घनत्व होने के कारण इसका द्रव्यमान बुध का केवल एक-तिहाई है।
अन्य भाषाओँ में
कलिस्टो को अंग्रेज़ी में "Callisto" लिखा जाता है। कलिस्टो प्राचीन यूनानी धार्मिक कथाओं में एक तरह की अप्सरा ("निम्प्फ़") थी।
बनावट
कलिस्टो लगभग बराबर मात्रा के पत्थर और पानी की बर्फ़ का बना हुआ है। मुमकिन है के इसके केंद्र में एक पत्थरीला गोला हो। यह भी संभव है के सतह से क़रीब 100 किमी की गहराई पर एक पानी का महासागर हो।[१] कलिस्टो की सतह गाढ़े रंग की है और उसपर बहुत से प्रहार क्रेटर नज़र आते हैं। वैज्ञानिक अनुमान लगते हैं के यह सतह अरबों वर्षों पहले बनी थी और तब से बरक़रार है। कलिस्टो पर एक "वलहाला" नाम का विशाल प्रहार क्रेटर मशहूर है जिका व्यास (डायामीटर) लगभग 3,800 किमी है।
विकिरण
वैसे तो बृहस्पति से बहुत ही भयंकर विकिरण (रेडियेशन) पैदा होती है, जिस से उसके आसपास कभी भी मनुष्यों का रह पाना मुश्किल लगता है (क्योंकि इस स्तर की विकिरण जानलेवा हो सकती है)। लेकिन बृहस्पति के इर्द-गिर्द परिक्रमा करते कलिस्टो की कक्षा कुछ ऐसी है के कलिस्टो पर विकिरण कम है। इसलिए वैज्ञानिक मानते हैं के भविष्य में यदि मानव बाहरी सौर मंडल में फैलेंगे तो कलिस्टो उनके लिए एक महत्वपूर्ण अड्डा हो सकता है।[२][३]
वायुमंडल
कलिस्टो का एक बहुत ही पतला वायुमंडल है जिसमें अधिकतर कार्बन डाईऑक्साइड और बहुत कम मात्रा में आणविक आक्सीजन (O2) मौजूद है।
औपनिवेशिकरण
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:Cite journal
- ↑ Trautman, Pat; Bethke, Kristen (2003). "Revolutionary Concepts for Human Outer Planet Exploration (HOPE)" (pdf). NASA. मूल से 2 जुलाई 2012 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 12 जून 2011.
- ↑ साँचा:Cite journal