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जानकी प्रसाद (१८२६ - १८९८) एक संगीतकार थे जिन्होने कत्थक के बनारस घराने की प्रतिष्ठा की थी। वे वाराणसी निवासी थे और सुप्रसिद्ध तबला के वादक पं. राज सहाय जी के भाई थे।
बनारस घराने में नटवरी का अनन्य उपयोग होता है एवं पखवाज और तबला का इस्तेमाल कम होता है। यहाँ ठाट और ततकार में अंतर होता है। न्यूनतम चक्कर दाएं और बाएं दोनों पक्षों से लिया जाता है।[१]
जानकी प्रसाद के तीन मुख्य शिष्य थे- चुन्नीलाल, दुल्हा राम और गणेशीलाल।
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
- जानकी प्रसाद (हिन्दी साहित्यकार)