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साँचा:Multiple issues प्रस्ताव, व्यापारिक विधि में, जब एक पक्षकार औपचारिक अथवा अनौपचारिक रूप से, अपनी इच्छा किसी कार्य को करने या उससे प्रविरत कहने (न करने) के आशय से दूसरे पक्षकार से उसकी रजामंदी (सहमति/सम्मति) प्राप्त करने के लिए संज्ञापित व्यक्त करता है तो वह प्रस्ताव करता है।
प्रस्ताव के प्रकार
सामान्यतः प्रस्ताव २ प्रकार के होते हैं: सामान्य प्रस्ताव और विशिष्ट प्रस्ताव। ऐसा प्रस्ताव जो किसी समूह को एक से अधिक व्यक्तियों को या सर्वभौमिक (सार्वजनिक) होता है उन्हें सामान्य प्रस्ताव कहा जाता है। इस प्रकार का लीडिंग केस, कार्लिल बनाम कारबोलिक स्मोक बाल कंपनी के केस में देखने को मिलता है। वहीँ विशिष्ट प्रस्ताव ऐसा प्रस्ताव होते हैं जो कार्य विशेष के लिए व्यक्ति विशेष को किया जाता है।
अन्य प्रस्ताव
इसके अलावा ३ अन्य प्रकार के प्रस्ताव होते है:
- प्रति प्रस्ताव : प्रस्ताव के लिए आमंत्रण (मोल भाव)
- स्थायी प्रस्ताव निविदा : कम से कम कीमत पर वस्तु उपलब्ध करने हेतु निविदा
• प्रतिप प्रस्ताव : उसी संविदा को उसी संविदा को पूरा करने के लिये प्रस्ताव देना प्रतिप प्रस्ताव कहलायेगा। उदाहरणतः किसी मकान के एवज में अन्य मकान देना
वैध प्रस्ताव की शर्तें
विधिक रूप से किसी भी प्रस्ताव को वैद्य सिद्ध होने हेतु प्रस्ताव का निश्चित एवं स्पष्ट होना तथा पक्षकारों का मेनी रूप से संसूचित होना आवश्यक है। साथ ही यह भी देखा जाता है की उक्त प्रस्ताव किसी प्रकार की विधिक संबंध बनाने निर्मित करने के आशय से किया जाना चाहिए/विधि प्रस्ताव स्वचन है या नहीं। पक्षकारों के संसूचित नहीं होने पर प्रस्ताव को अवैध माना जाता है, भारतीय वोधिशास्त्र में ऐसा बालफर बनाम बालफर के केस में देखा जा सकता है। साथ ही विधिक संबंध बनाने की आशय न होने पर भी अवैध ठहराया जा सकता है, इसका अच्छा उदाहरण लालमन शुक्ल बनाम गौरीदत्त के मामले में दीखता है, जिसमें बच्चे को ढूंढ कर लाने पर इनाम प्राप्त करने की राशि न मिलने पर प्रस्ताव को अवैध घोषित कर दिया गया था।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
बाहरी सन्दर्भ
- साँचा:Cite book
- Binda Zane, Edoardo; (2016), Writing Proposals: A Handbook Of What Makes Your Project Right For Funding साँचा:ISBN
- साँचा:Cite book
- साँचा:Cite book
- Ricci, Laura; (2014), The Magic of Winning Proposals (publisher Help Everybody Everyday) साँचा:ISBN.
- Riley, Patrick G.; (2002), The One Page Proposal: How to Get Your Business Pitch onto One Persuasive Page (New York: HarperCollins) साँचा:ISBN.