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मैरी अपने पिता जेम्स ५ की एकलौती बची हुई संतान थीं जब वह मात्र छ: दिन की आयु की मैरी को पीछे छोडकर चल बसे। मैरी स्कॉटलैंड की गद्दी की उत्तराधिकारी थीं। मैरी ने अपना अधिकांश बचपन घर से दूर फ्रांस में बिताया। १५५८ में फ्रांस के राजा फ्रांसिस २ से शादी और फिर १५६० में उनकी मृत्यु के बाद १९ अगस्त १५६१ को स्कॉटलैंड लौटने से पहले वहाँ कार्यकारी शासक सत्ता संभाल रहे थे। चार साल बाद उन्होंने अपने चचेरे भाई हेनरी स्टुअर्ट, लॉर्ड डार्न्ले से शादी कर ली लेकिन उनका यह रिश्ता खुशियों भरा नहीं था। फरवरी १५६७ में उनका घर एक विस्फोट में ध्वस्त हो गया और डार्न्ले को बागीचे में मृत पाया गया।
ऐसा माना जाता है कि जेम्स हेपबर्न ने डार्न्ले की हत्या की साजिश रची थी लेकिन अप्रैल १५६७ में उसे आरोप मुक्त कर दिया गया, इसके अगले ही महीने उसने मैरी से विवाह कर लिया। इस नवदंपत्ति के विरुद्ध शुरु हुए विरोध के फलस्वरूप मैरी को लोक लेवेन किले में बंदी बना लिया गया। २४ जुलाई १५६७ को उन्हें डार्न्ले से अपने १ वर्षीय प्रथम पुत्र जेम्स ६ के लिये गर्भपात करने को मजबूर किया गया। दुबारा सत्ता हासिल करने के असफल प्रयास करने के बाद वो दक्षिण की तरफ इंग्लैंड में अपनी ममेरी फुआ[२] एलिज़ाबेथ प्रथम से सहायता हासिल करने के लिए भाग गयीं। मैरी ने पहले एलिज़ाबेथ की गद्दी पर अपना अधिकार बताया था और उन्हें ही इंग्लैंड के तमाम कैथोलिक गिरिजाघरों व राइज़िंग ऑफ द नॉर्थ (उत्तर का उदय) संगठन के विद्रोहियों ने इंग्लैंड की सत्ता का उचित व वैद्द उत्तराधिकारी माना था। मैरी को अपने लिए खतरा मानते हुए एलिज़ाबेथ ने उन्हें इंग्लैंड व वेल्स के तमाम किलों व घरों में बंदी बना के रखा। १८.५ वर्षों के कारावास के बाद उन्हें एलिज़ाबेथ की हत्या का साजिश रचने का दोषी पाया गया और परिणामस्वरूप मृत्युदंड दे दिया गया।
बाल्यकाल व शासन
मैरी का जन्म ७ या ८ दिसम्बर १५४२ को लिन्लिथगो, स्कॉटलैंड में हुआ था। उनके पिता जेम्स ५ और माँ फ्रांसीसी मूल की गुइज़ की मैरी थीं। कहा जाता है कि उनका जन्म समय से पहले हो गया था और वो जेम्स की अकेली जिन्दा बची संतान थी जिन्हें उनका उत्तराधिकारी बनना था।[४] वह इंग्लैंड के हेनरी अष्टम की पड़-भतीजी (great-niece) थीं, क्यूंकी उनकी दादी मार्ग्रेट टुडोर हेनरी अष्टम की बड़ी बहन थीं। [५] अपने जन्म के मात्र ६ दिन बाद १४ दिसम्बर को सोल्वे मॉस के युद्ध के बाद पिता जेम्स पंचम की मृत्यु के बाद वह स्कॉटलैंड की रानी (शासक) बन गईं। [६][७]
एक प्रचलित कहानी के अनुसार जिसे सबसे पहले जॉन नॉक्स ने सहेजा बताया था, मृत्युशैय्या पर लेटे हुए जेम्स पंचम को जब यह बताया गया कि उनकी पत्नी ने एक बेटी को जन्म दिया है, उदास होते हुए कहा कि, "It cam wi' a lass and it will gang wi' a lass!"[८] जेम्स के स्टुअर्ट राजघराने ने स्कॉटलैंड की सत्ता रॉबर्ट द ब्रुस की बेटी मार्जोरि ब्रुस की शादी वाल्टर स्टीवर्ट, स्कॉटलैंड के छठें स्टीवर्ड से होने से पायी थी। जेम्स का वक्तव्य इसी संदर्भ में था कि यह मुकुट एक महिला के ही जरिए आया था और एक महिला के जरिय ही उनके परिवार के हाथ से निकल जाएगा। यह प्रसिद्ध कहावत कालांतर में मैरी की वजह से नहीं बल्कि उनकी वंशज ऐने के जरिए सही भी हो गई जब उनकी मृत्यु बिना किसी बच्चे के हो गयी और शासन हैनोवरों के पास चला गया।[९]
जन्म से कुछ ही दिनों बाद मैरी का पास के ही गिरिजाघर सैंट माइकल्स पैरिश चर्च, लिन्लिथगो में बैप्टिज़्म किया गया।[१०] हालांकि अफवाहे थीं की यह सब ढंग से नहीं हुआ था। [११] एक अंग्रेज कोटनीतिज्ञ रैल्फ सैडलर ने मार्च १५४३ में लिन्लिथगो महल में एक नवजात को नर्स के हाथ में देखा था और लिखा कि "इतनी सी उम्र के इस बच्चे की तरह का कोई मैंने पहले कभी नहीं देखा जो जी भी रहा है" it is as goodly a child as I have seen of her age, and as like to live.[१२]
चूंकि सत्ता संभालने के वक्त मैरी एक नवजात ही थीं इसलिए उनके बड़े हो जाने तक स्कॉटलैंड पर कार्यकारी शासकों की नियुक्ति रही जो उनकी तरफ से शासन चलाते थे। इस बक्त सत्ता पर दो लोगों की दावेदारी थी एक कैथोलिक चर्च के डेविड बीटन और दूसरे प्रोटेस्टेंट जेम्स हैमिल्टन, ऐरन के दूसरे अर्ल जो कि सत्ता की दौड़ में दूसरे नंबर पर थे। बीटन की दावेदारी जेम्स पंचम के वसीयतनामे के आधार पर थी जिसमें यह कहा गया था कि उसके विरोधी ठगी में लिप्त होने की वजह से बर्खास्त हो चुके हैं।[१३] अपने मित्रों व समर्थकों की मदद से ऐरन १५५४ में मैरी की माँ द्वारा उसको किसी तरह से हटाए जाने तक कार्यकारी शासक बना रहा।[१४]
ग्रीनविच संधि
इंग्लैंड के राजा हेनरी अष्टम ने इस कार्यकारी शासन की अवधि का फायदा उठाते हुए इस उम्मीद में मैरी की शादी अपने पुत्र एडवर्ड ६ से करने का प्रस्ताव रखा कि इससे इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में संधि हो जाएगी और दोनों प्रांत एक हो जाएंगे। १ जुलाई १५४३ को जब मैरी ६ महीने की थीं तब ग्रीनविच की संधि पर हस्ताक्षर किए गये जिसमें वादा किया गया था कि दस साल की उम्र में मैरी एडवर्ड से शादी करके इंग्लैंड आ जाएँगी, जहाँ हेनरी उनका पालन पोषण करेंगे।[१५] संधि के अनुसार दोनों देश कानूनी रूप से अलग ही रहेंगे और अगर इस नवदंपत्ति को कोई संतान नहीं होती है तो यह अल्पकालीन विलय समाप्त हो जाएगा।[१६] हालांकि कार्डिनल डेविड बीटन के सत्ता संभालने के साथ स्कॉटलैंड में फ्रेंच समर्थित व कैथोलिक समर्थित भावना का उदय होने लगा जिसने हेनरी को नाराज कर दिया। वह स्कॉटलैंड का फ्रांस के साथ गठबंधन तोडना चाहते थे।[१७] बीटन, मैरी को सुरक्षित स्टर्लिंग किला भेजना चाहता था जिसका ऐरन ने विरोध किया लेकिन उसे शांत होना पडा जब लिन्लिथगो में बीटन के सशस्त्र समर्थक जुट गये थे।[१८] लेनॉक्स के अर्ल, मैरी व उनकी माँ को २७ जुलाई १५४३ को ३५०० सशस्त्र सैनिकों के संरक्षण में स्टर्लिंग ले आये।[१९]९ सितम्बर १५४३ को मैरी का किले में राज्याभिषेक हुआ।[२०]रैल्फ सैडलर और हेनरी रे की हेनरी अष्टम को ११ सितम्बर १५४३ को भेजी गई प्रतिवेदना के अनुसार यह आयोजन बेहद गंभीरता और सादगी के साथ हुआ जो बहुत खर्चीला नहीं था।[२१]
मैरी के राज्याभिषेक के कुछ ही समय पहले फ्रांस जा रहे स्कॉटिश व्यापारियों को हेनरी ने गिरफ्तार कर लिया था और उनका सामान जब्त कर लिया था, इससे स्कॉटलैंड नाराज हो गया और ऐरन बीटन के साथ मिलकर एक कैथोलिक बन गया।[२२] दिसंबर में ग्रीनविच की संधि को स्कॉटिश संसद द्वारा निरस्त कर दिया गया।[२३] विवाह संधि को निषेध करने और और फ्राँस के साथ ऑल्ड गठबंधन के नवीनीकरण ने हेनरी को नाराज़ कर दिया और उसने मैरी की शादी अपने बेटे से कराने के लिए एक सैन्य अभियान रफ़ वूईंग चलाया। अंग्रेज फ़ौजों ने मैरी की खोज के लिए स्कॉटिश व फ्रेंच सीमाओं में सेंधमारी की।[२४] मई 1544 में, अंग्रेज एडवर्ड सीमोर हर्टफोर्ड के अर्ल (बाद में सोमरसेट का ड्यूक) ने एडिनबर्ग पर धावा बोला और स्कॉट मैरी को बचाने के लिये उन्हें डंकेल्ड ले कर चले गये।[२५]
मई 1546 में, बीटन को प्रोटेस्टेंटों ने मार दिया।[२६] और १० सितम्बर १५४७ को हेनरी ८ की मृत्यु के ९ महीने बाद स्कॉटिशों को पिंकी क्लेफ़ का युद्ध में करारी शिकस्त का सामना करना पडा। मैरी के अभिभावकों को उनकी सुरक्षा चिंता हुई और उन्होंने उन्हें ३ हफ्तों के लिये इंक्माहोम प्रॉयरी भेज दिया और फ्राँसीसियों से सहायता मांगी।[२७]
फ्रांस के राजा, हेनरी II ने फ्रांस और स्कॉटलैंड को एक करने के लिये अपने ३ वर्षीय पुत्र फ्रांसिस २ से मैरी की शादी का प्रस्ताव रखा। अपने लिये फ्रंसीसी ड्यूकडॉम और फ्रांसीसी सैन्य सहायता का वादाम मिलने पर ऍरन ने शादी के लिये हाँ कर दी।.[२८] फरवरी 1548 में, मैरी को एक बार फिर उनकी सुरक्षा के लिये डंबर्टन किला ले जाया गया।[२९] अंग्रेजों ने एक बार फिर कत्लेआम मचा दिया और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर हैडिंगटन पर कब्ज़ा कर लिया। जून में हैडिंगटन को दुबारा पाने के लिये फ्रांसीसी सहायता लीथ पहुंची। ७ जुलाई १५४८ को एक स्कॉटिश संसदीय बैठक में फ्रांसीसी विवाह संधि को मान्यता दे दी गई। [३०]
फ्रांस में जीवन
अपनी विवाह संधि होने के बाद ५ वर्षीय मैरी को अपने अगले १३ वर्ष बिताने के लिये फ्रांस भेज दिया गया। १४ अगस्त १५४८ के आसपास मैरी फ्रांस के शहर ब्रिट्टनी आ गयीं।[३१]
मैरी अपनी कनीज़ों और सहयोगियों के साथ रहती थीं जिसमें से २ उनके नाज़ायज़ भाई थे और चार अन्य हम उम्र लडकियाँ जिन सबका नाम भी मैरी ही था और जो स्कॉटलैंड के प्रबुद्ध घरानों की बेटियाँ थीं। : बीटॉन, सेटॉन, फ्लेमिंग और लिविंग्स्टॉन.[३२] जैनेट, लेडी फ्लेमिंग, जो कि मैरी फ्लेमिंग की माँ और जेम्स पंचम की सौतेली बहन थीं राज्यपाल चुनीं गईं थी।[३३]
तत्कालीन संदर्भों के अनुसार ज़िंदादिल, खूबसूरत व चालाक मैरी का बचपन बहुत ही सुहाना था।[३४] फ्रांसीसी दरबार में हेनरी २ की पत्नी कैथरीन डे मेडिसि के अलावा वह सबकी पसंदीदा थी।[३५] मैरी ने सारंगी बजाना सीखा था, वह गद्द्य लेखन, कविता लेखन, घुडसवारी, बाज पालन और कढाई बुनाई में निपुण हो गई थीं। उन्हें स्कॉटिश के अलावा फ्रेंच, इतालवी, लैटिन, स्पेनिश और यूनानी भाषाएँ सिखायी गई थीं।[३६] भविष्य की उनकी ननद वैलोइज़ की एलिज़ाबेथ मैरी की बेहद करीबी सहेली थीं जिनकी पुरानी यादें मैरी ने आजीवन संजोए रखी और कई बार उनका जिक्र किया।[३७] उनकी नानी एंटोइनेट्टे डे बॉर्बोन का भी उनके बचपन पर गहरा प्रभाव था, [३८] जो बहुत समय तक उनकी प्राथमिक सलाहकार रहीं।[३९]
मैरी के चित्र दिखाते हैं कि उनका एक छोटा अंडाकार सिर था, एक लंबी आकर्षक गर्दन, चमकीले सुनहरे बाल, हल्की भूरी आँखें, आकर्षक पलकों पर करीने से बनाई हुई भौंहें, मुलायम व सपाट पीली त्वचा, उँचा माथा और सुव्यवस्थित मुखाकृति थी। वो एक प्यारी सलोनी बच्ची और बाद में एक बेहद आकर्षक व खूबसूरत महिला के तौर पर जानी गईं।[४०]
मैरी बेहद वाकपटु व सोलहवीं शताब्दी के मानकों के अनुसार बेहद लंबी (५ फीट ११ इंच) थी जबकि हेनरी २ के पुत्र व आगामी शासक फ्रांसिस अपेक्षाकृत छोटे थे।[४१] हेनरी ने कहा था कि जबसे मैरी और मेरे पुत्र एक दूसरे से मिले हैं व एक दूसरे से इतने घुलमिल गये हैं जैसे एक दूसरे को लंबे समय से जानते हों।[४२] ४ अप्रैल १५५८ को मैरी ने एक गुप्त संधि पर हस्ताक्षर किए जो उनके बच्चे ना होने पर स्कॉटलैंड व इंग्लैंड पर उनके उत्तराधिकार के दावे को फ्रांस को स्थानांतरित करता था।[४३] २० दिनों बाद मैरी ने डौफिन से पेरिस में शादी कर ली और फ्रांसिस फ्रांस के राजा व स्कॉटलैंड के पटराजा (king consort) बन गये। [४४][४५]
अंग्रेजी सिंघासन पर दावा
नवम्बर 1558 में, हेनरी अष्टम की बड़ी बेटी मैरी १ के बाद हेनरी की एकमात्र बची हुई संतान एलिज़ाबेथ ने इंग्लैंड की सत्ता संभाली। तीसरा उत्तराधिकार कानून, जो की 1543 में इंग्लैंड की संसद द्वारा पारित हुआ था के अनुसार, एलिज़ाबेथ को उनकी बहन का उत्तराधिकारी माना गया। हेनरी अष्टम की वसीयत और अंतिम इच्छा के अनुसार कोई भी स्टुअर्ट इंग्लैंड की सत्ता नहीं संभाल सकता था। फिर भी, तमाम कैथोलिकों की नज़र में एलिज़ाबेथ जायज़ नहीं थीं और हेनरी की बड़ी बहन की वंशज स्कॉटलैंड की मैरी ही इंग्लैंड की सही रानी बनने के काबिल थी।[४६] फ्राँस के हेनरी २ ने अपने बेटे और बहू को इंग्लैंड के राजा और रानी के रूप में प्रस्तावित किया और फ्राँस में इंग्लैंड के शाही चिन्ह को फ्राँसिस और मैरी के शाही बिल्ले में एक चौथाई जगह दे दी गई।[४७] इंग्लैंड की सत्ता पर मैरी का दावा उनके और एलिज़ाबेथ प्रथम के मध्य टकराव का मुख्य कारण बना।[४८]
10 जुलाई 1559 को जब एक युद्धाभ्यास के दौरान लगी चोटों से हेनरी २ की मृत्यु हो गई तब पंद्रह वर्षीय फ्राँसिस को फ्राँस का राजा बनाया गया और १६ वर्षीय मैरी शासक की पत्नी के रूप में फ्राँस की रानी बनीं।[४९]अब फ्राँसीसी राजनीती में मैरी के दोनों अंकल ड्यूक ऑफ गुईज़ और लोरेन का कार्डिनल की भूमिका अहम हो गई थी [५०] और फ्राँस में उनका प्रभुत्व स्थापित होने लगा था।[५१]
स्कॉटलैंड की रानी और फ्राँस की पटरानी के तौर पर मैरी का शाही बिल्ला।
१५६० में स्कॉटलैंड, फ्राँस के साथ इंग्लैँड का चिन्ह लगे हुए मैरी का शाही बिल्ला जिसे एडिनबर्ग की संधि होने से पहले फ्राँस में इस्तेमाल किया जाता था।
स्कॉटलैंड की रानी और फ्राँस की विधवा रानी के तौर पर मैरी का शाही बिल्ला।
इस बीच स्कॉटलैंड में प्रोटेस्टैंट इसाईयों का प्रभुत्व बढ़ता ही जा रहा था।[५२] प्रोटेस्टैंट नेताओं ने प्रोटेस्टैंटिज़्म की रक्षा के लिए स्कॉटलैंड में अंग्रेज सेनाओं को बुला लिया। इसके बाद फ्राँस ने स्कॉटलैंड में शासन कर रही गुईज़ की मैरी को और सहायता भेजी जो फ्राँसीसी सैन्य मदद से स्कॉटलैंड पर शासन कर रहीं थी।[५३][५४]11 June 1560, को गुईज़ की मैरी की मृत्यु के बाद फ्राँसीसी और स्कॉट रिस्तों के भविश्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया था। एडिनबर्ग की संधि जिस पर मैरी के प्रतिनिधियों ने ६ जुलाई १५६० को हस्ताक्षर किया था के प्रभाव से फ्राँस और इंग्लैंड की सेनाएँ स्कॉटलैंड से हट गयीं और फ्राँस ने एलिज़ाबेथ प्रथम को इंग्लैंड की रानी मान लिया। हाँलांकि, १७ वर्षीय मैरी जो फ्राँसिस की मृत्यु से शोकाकुल थी ने इस संधि को मानने से इंकार कर दिया और इंग्लैंड की सत्ता पर अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं हुईं।[५५]
स्कॉटलैंड वापसी

राजा फ्राँसिस II की ५ दिसम्बर १५६० को कान के इंफेक्शन से मृत्यु के बाद मैरी बेहद दुखी हो चुकी थीं।[५७] उनकी सास कैथरीन डे मेडिसि ने कार्यवाहक शासक के तौर पर फ्राँस की सत्ता संभाली जब तक की फ्राँसिस के उत्तराधिकारी उनके १० वर्षीय छोटे भाई चार्ल्स ९, शासन करने लायक नहीं हो गये।[५८]
अपने पति की मृत्यु के नौ महीने बाद मैरी १९ अगस्त १५६१ को स्कॉटलैंड वापस आ गयीं।[५९] चूँकि मैरी ५ वर्ष की उम्र से ही फ्राँस में रह रही थी इसलिए उन्हें स्कॉटलैंड की राजनीति में चल रही खतरनाक उठापटक का जरा भी अंदाजा व अनुभव नहीं था।[६०] एक कैथोलिक होने की वजह से उन्हें प्रोटैस्टेंटों का गढ़ बन चुके स्कॉटलैंड में उनके तमाम शासन सहयोगियों और बुआ एलिज़ाबेथ प्रथम द्वारा शक्की निगाहों से देखा जाता था।[६१] स्कॉटलैंड का कैथोलिक और प्रोटेस्टैंटों के समुदायों के बीच एक वैचारिक विभाजन सा हो गया था और मैरी के नाज़ायज़ भाई जेम्स स्टीवर्ट प्रोटेस्टैंटों का नेता था। [६२] प्रोटैस्टैंट सुधारक जॉन नॉक्स ने कैथोलिक मैरी के खिलाफ़ कई भाषण दिए, उसे मास सुनने, नृत्य करने व बेहद सुसज्जित वेषभूशाएँ पहनने के लिये लताड़ लगाई और आलोचना की।[६३] मैरी ने उसे अपने सामने प्रतिवाद करने के लिए बुलाया लेकिन वह इसमें सफल नहीं हुईं और बाद में उस पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया। लेकिन बाद में सुनवाई हुई और नॉक्स बरी हो गया।[६४]
कैथोलिकों को निराश करते हुए मैरी ने इस नए प्रोटेस्टैंट वर्ग के खिलाफ मैरी ने कोई कदम नहीं उठाया और अपने नाज़ायज़ भाई लॉर्ड मोरे को अपना शीर्ष स्लाहकार बनाए रखा।[६५][६६]सितम्बर में पुनर्गठित १६ पुरुषों की उनकी शाही सलाहकार समिति में सिर्फ चार कैथोलिक और बाकी सभी प्रोटेस्टैंट थे जिन्हें उनके पदों पर बनाए रखा गया था।[६७] आधुनिक इतिहासकार जेनी वोर्माल्ड इसे महत्वपूर्ण मानते हैं और कहते हैं कि मैरी का अपनी सलाहकार समिति में कम कैथोलिकों को रखना उनकी स्कॉटलैंड के अंदरूनी मसलों पर ध्यान देने के बजाए इंग्लैंड का सिंहासन पाने के उनके लक्ष्य का संकेत देता है। बाद में दिसम्बर १५६३ में अपनी सलाहकार समिति में उन्होंने एक और व्यक्ति (पैट्रिक रुथवेन) को शामिल किया और वो भी प्रोटेस्टैंट था जिसे मैरी व्यक्तिगत तौर पर पसंद नहीं करती थीं।[६८]ना चाहते हुए भी प्रोटेस्टैंट सामन्तों व कुलीन व्यक्तियों को प्राथमिकता देकर इस तरह से वह प्रोटेस्टैंट सामन्तों के सामने अपनी कमजोर सैन्य शक्ति को मान रही थीं। लेकिन यह नीति इंग्लैंड से उनके संबंद्धों को मजबूत भी कर रही थी। स्कॉटलैंड के प्रमुख कैथोलिक नेता लॉर्ड हंटली जो कि उनके विद्रोह में उतर आये थे को खत्म करने में उन्होंने अपने भाई लॉर्ड मोरे से हाथ मिला लिया था।[६९]
मैरी ने लेथिंग्टन के विलियम मैटलैंड को अपना दूत बनाकर अंग्रेजी दरबार में वहाँ की सत्ता पर अपना दावा पेश करने के लिये भेजा। एलिज़ाबेथ ने अपने बाद किसी भी उत्तराधिकारी का एलान करने से इस डर से मना कर दिया कि ऐसा करने से होने वाला शासक जल्द सत्ता पाने के लिए उनके कत्ल या उनके खिलाफ विद्रोह की साजिशें रच सकता है।[७०] हालाँकि एलिज़ाबेथ ने मैटलैंड को आशवस्त किया की उनकी सही उत्तराधिकारी मैरी ही हो सकती हैं क्योंकि इंग्लैंड के सिहाँसन पर उनसे ज्यादा जायज़ दावा किसी और का नहीं है।[७१] १५६१ के अंत और १५६२ के शुरुवाती महीनों में दोनों रानियों के अगस्त १५६२ में यॉर्क या नॉटिंघम में मिलने की व्यवस्था की गई, लेकिन एलिज़ाबेथ ने जुलाई में ही फ्राँसीसी गृह युद्ध आरंभ होने के कारण यह मुलाकात रद्द कर दी।[७२]
इस बीच मैरी ने अपना ध्यान यूरोप के कुलीन व शाही परिवारों में से अपने लिए एक नया पति ढूंढने में लगाया। लेकिन जब उनके अंकल लोरेन के कॉर्डिनल, चार्ल्स ने बिना उनकी अनुमति के उनकी शादी के लिये समझौते करने लगे तो उन्होंने कड़ा विरोध किया।[७३]स्पेन के होने वाले शासक, अस्तुरिआ के राजकुमार डॉन कार्लोस से विवाह करने की उनकी कोशिशों को फिलिप २, स्पेन के राजा ने नाकाम कर दिया।[७४] एलिज़ाबेथ ने मैरी को अपने नियंत्रण में करने के लिये उन्हें अंग्रेज प्रोटेस्टैंट रॉबर्ट डुडले से विवाह करने का सुझाव दिया। डुडले एलिज़ाबेथ के पसंदीदा व्यक्तियों में से एक थे जिनपर एलिज़ाबेथ भरोसा करती थीं और समझती थीं कि उन्हें नियंत्रित कर सकती हैं। [७५] एलिज़ाबेथ ने राजदूत थॉमस रैंडाल्फ को यह प्रस्ताव लेकर मैरी के पास भेजा और कहलवाया कि अगर वह एक कुलीन घराने वाले अंग्रेज व्यक्ति से शादी कर लेती हैं तो वो अपने उत्तराधिकारी के तौर पर अंग्रेज सिंहासन पर उनके दावे पर विचार करेंगी।[७६] यह प्रस्ताव बेनतीजा रहा क्यूंकि प्रस्तावित दुल्हे की इस विवाह में कोई दिलचस्पी नहीं थी।[७७]
इसके विपरीत, मैरी के दरबार में एक फ्राँसीसी कवि पियरे डी बोस्कोसेल मैरी से आकर्षित था।[७८] १५६३ के शुरुवाती महीनों में उसे एक सुरक्षा तलाशी के दौरान मैरी के बिस्तर के नीचे पाया गया था। वह मैरी को एकांत में अचम्भित कर उनके प्रति अपने प्रेम का इज़हार करना चाहता था।मैरी इससे क्षुब्ध हो गयीं और उसे स्कॉटलैंड से निकाल दिया। उसने आदेश की अवज्ञा करते हुए दो दिन बाद फिर से रानी के कक्ष में तब प्रवेश करने की कोशिश की जब वह अपने कपड़े उतारने वाली थीं। वह भय और गुस्से से तमतमा गई और जब मोरे बचाव के लिये पुकारे जाने पर उनके कक्ष में पहुँचे तब उन्होंने चिल्लाकर कहा अपना चाकू इस खलनायक में घोंप दो, जिसे मोरे ने करने से मना कर दिया क्यूंकि पियरे पहले से ही नियंत्रण में था। पियरे पर देशद्रोह का मुकदमा चला और उसका सर कलम कर दिया गया।[७९] हालाँकि अंग्रेज राजदूत मैटलैंड दावा करता है कि पियरे का उत्साह और मैरी के प्रति ललक झूठी थी और वह ह्युगनॉट द्वारा रची गई एक शाजिश का हिस्सा था जो मैरी को चरित्रहीन साबित करके दरबार व प्रजा में उसकी इज़्ज़त खत्म करना चाहता था।[८०]
लॉर्ड डार्नले से विवाह

मैरी अपने अंग्रेज़ भाई हेनरी स्टुअर्ट, लॉर्ड डार्न्ले से फरवरी 1561 में कुछ अवधि के लिये ही मिली थीं जब वह अपने पहले पति फ्राँसिस की मौत के वक्त उन्हें ढाँढस बंधाने आए थे। डार्न्ले के माता-पिता, अर्ल और लेन्नॉक्स की काउंटेस, जो कि स्कॉटिश कुलीन समाज से थे और जिनके पास इंग्लैंड में ढेरो जमीनें भी थीं ने अपने बेटे को मैरी के पास फ्राँस में अपनी संवेदना जताने और विवाह की संभावनाएँ बनाने के लिये भेजा था।[८१] मैरी और डार्न्ले दोनों ही हेनरी अष्टम की बहन मार्गरेट टुडोर के नाती थे और स्कॉटलैंड के प्रमुख स्टीवर्ड के पैतृक वंशज थे। डार्न्ले स्टीवर्ट वंशावली में ज्यादा करीब थे जेम्स २ की बेटी मैरी स्टीवर्ट, ऐरन की काउंटेस के वंशज थे। उनकी अगली मुलाकात शनिवार की शाम १७ फरवरी १५६५ को स्कॉटलैंड के वेमिस किला में हुई।[८२] जिसके बाद मैरी को "लंबे कद के सामंत" (जैसाकी रानी एलिज़ाबेथ उनहें कहती थीं क्यूंकि वह ६ फ़ीट से ज्यादा लंबे थे) डार्न्ले से प्रेम हो गया।[८३] उन्होंने होलीरूड महल में २९ जुलाई १५६५ को शादी कर ली वो भी तब जब वो दोनों ही कैथोलिक थे और चचेरे भाई-बहनों के लिए शादी की अनुमति नहीं थी।[८४][८५]
विवाह के पश्चात डार्न्ले इंग्लैंड के अपने घर से मैरी के पास स्कॉटलैंड चले गये। लेकिन इस विवाह ने एलिज़ाबेथ को चिंतित कर दिया क्योंकि डार्न्ले और मैरी दोनों ही उसकी बुआ मार्गरेट के वंशज थे और इसलिये इंग्लैंड के सिंहासन पर दोनों का सामूहिक दावा ज्यादा प्रभावशाली था[८६] और जिनके बच्चे अंग्रेज़ी सिंहासन के प्रबल और प्रमुख दावेदार हो जाते।[८७] हालांकि मैरी का विवाह के लिये राजी होना सत्ता के लिये राजनितिक गुणा-भाग से ज्यादा डार्न्ले के प्रति उनके आकर्षण से ज्यादा प्रभावित था। अंग्रेज राजदूत निकोलस थ्रॉकमोर्टन ने कहा था कि कहा जा रहा है कि रानी मैरी निश्चित रूप से सम्मोहित हो चुकी हैं [८८]और इस विवाह को अब हिंसा के द्वारा ही रोका जा सक्ता है। [८९] इस मिलन ने एलिज़ाबेथ को क्षुब्ध कर दिया जिसका मानना था कि यह विवाह उसकी मर्ज़ी के बिना नहीं होना चाहिए था क्योंकि डार्न्ले उनके चचेरे भाई और एक अंग्रेज थे।[९०]
मैरी के एक कैथोलिक से विवाह करने से उनका नाज़ायज़ भाई जेम्स स्टीवर्ट, मोरे का अर्ल बेहद नाराज़ हो गया और वह मैरी के खिलाफ एक खुले विद्रोह में अन्य प्रोटेस्टैंट सामंतों से मिल गया।[९१] मैरी २६ अगस्त १५६५ को एडिनबर्ग से उसे मनाने के लिये रवाना हुई और ३० को मोरे एडिनबर्ग पहुँच गया लेकिन किला ना हथिया पाने की वजह से जल्द ही वहाँ से चला गया। अगले महीने मैरी अपने सैनिकों की संख्याँ बढाने के लिए एडिनबर्ग पहुँची।[९२] इसके बाद मैरी के सैनिक और जेम्स स्टीवर्ट के साथ विद्रोही गुटों में लुका-छिपी का खेल चलता रहा और छिटपुट झड़पें होती रहीं लेकिन कोई बड़ी लड़ाई नहीं हुई। हंटली के पाँचवें अर्ल जॉर्ज़ गॉर्डन की रिहाई और फ्राँस में का जीवन व्यतीत कर रहे बोथवेल के चौथे अर्ल, जेम्स हेप्बर्न के लौटने से मैरी की सैन्य शक्ति बढ गयी।[९३] ज्यादा सहयोग ना जुटापाने की वजह से मोरे ने स्कॉटलैंड छोड़ दिया और इंग्लैंड में शरण ले ली।[९४] मैरी ने अपनी सलाहकार समिति का विस्तार किया और इस बार उसमें कैथोलिक और प्रोटेस्टैंटों दोनों को बराबर जगह दी।[९५]
ज्यादा समय नहीं बीता था कि डार्न्ले घमंडी होता गया। रानी के पति के रूप में अपनी हदों को पार करते हुए वह वैवाहिक ताज (क्राउन मैट्रीमोनियल) की मांग करने लगा। ऐसा होने से वह स्कॉटलैंड के सिंहांसन का सह अधिकारी हो जाता और स्वयँ से पहले अपनी पत्नी यानी रानी की मृत्यु होने पर स्कॉटलैंड का कानूनी राजा हो जाता। [९६] मैरी ने उसके इस अनुरोध को खारिज़ कर दिया और इसके बाद से उनके वैवाहिक संबंधों में कटुता आती गई। डार्न्ले, मैरी के उसके निज़ी कैथोलिक सेक्रेट्री डेविड रिज़्ज़िओ जिसे वह मैरी के पुत्र का पिता भी समझता था, से अच्छी दोस्ती होने से जलता था।[९७]मार्च 1566 तक, डार्न्ले मैरी के खिलाफ विद्रोह करने वाले प्रोटेस्टैंट सामंतो के साथ एक गुप्त षडयंत्र में शामिल हो गया।[९८] ९ मार्च को, षडयंत्रकारियों के एक समूह ने डार्न्ले के साथ मिलकर होलीरूड महल में एक रात्रिभोज के दौरान गर्भवती रानी के सामने ही रिज़्ज़िओ का कत्ल कर दिया।[९९] अगले दो दिनों तक डार्न्ले पाला बदलता रहा और मैरी का नाज़ायज़ भाई मोरे का अर्ल, होलीरूड आ गया।[१००] 11–12 मार्च की रात, डार्न्ले और मैरी महल से भाग गये और १८ मार्च को एडिनबर्ग लौटने से पहले डनबार किले में कुछ दिनों के लिए शरणार्थी बन गये।[१०१]
डार्नले की हत्या
डार्न्ले से मैरी के पुत्र, जेम्स का जन्म १९ जून १५६६ को एडिनबर्ग में हुआ लेकिन रिज़्ज़िओ के कत्ल ने मैरी और डार्न्ले के रिश्तों में खटास ला दी और उनका विवाह टूटने की कगार पर पहुँच गया।[१०२] अक्टूबर 1566 में, स्कॉटिश सीमा पर जेडबर्ग में अपने प्रवास के दौरान मैरी ८ घंटे की थकान भरी घुड़सवारी कर के हर्मिटेज़ के किले में बोथवेल के अर्ल से मिलने गयीं, जहाँ वह एक लड़ाई में घायल हो गया था और आराम कर रहा था।[१०३] इस यात्रा को जो की एक महिला के लिये बेहद कठिन थी को मैरी के दुश्मनों द्वारा बाद में उसे और बोथ्वेल के अर्ल को एक दूसरे का प्रेमी साबित करने के लिए उनके खिलाफ सबूत के तौर पर पेश किया गया। हालाँकि उस समय किसी को ऐसा कोई शक नहीं हुआ था क्योंकि मैरी अपने सुरक्षाकर्मियों और सलाहकारों के साथ गयी थीं।[१०४] जेडबर्ग लौटने के तुरंत बाद मैरी को गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया। वो लगातार उल्टियों, कम दृश्यता, मूक और बेहोशी के झटकों का शिकार हो गई। उन्हें मरणावस्था में समझा जाने लगा। लेकिन २५ अक्टूबर के बाद उनकी तबियत में सुधार हुआ और इसका श्रेय उनके फ्रेंच चिकित्सकों को दिया गया।[१०५] उनकी बीमारी का कारण अंजान था, फिर भी जाँच के अनुसार उन्हें ऐसा मानसिक दबाव और शारीरिक थकान की वजह से हुआ था।[१०६]
नवंबर १५६६ में एडिनबर्ग के समीप क्रेगमिलर के किले में मैरी और अन्य कुलीन व्यक्ति "डार्न्ले को हो रही समस्या" को समझने और चर्चा करने के लिए मिले।[१०७] तलाक के बारे में चर्चा हुई, लेकिन फिर वहाँ मौजूद सामंतों में डार्न्ले को अन्य तरीकों से रास्ते से हटाने के उपायों पर चर्चा होने लगी।[१०८] "आमजन के भले के लिये यह ही सही और विद्वतापूर्ण है कि;... एक ऐसा मूर्ख और घमंडी तानाशाही व्यक्ति उनपर शासन ना करे; ... और उसे किसी ना किसी तरीके से सत्ता से दूर किया जाए; और ऐसा करने की हिम्मत जो भी करे सब उसकी रक्षा करें व उसका साथ दें।"[१०९] डार्न्ले को अपनी जान की फिक्र होने लगी और अपने पुत्र जेम्स ६ के बाप्तिज़्म समारोह के बाद वह ग्लास्गो में अपने पिता के जायदाद में रहने चला गया।[११०] यात्रा की शुरुवात में वह बीमार था, शायद चेचक से पीड़ित या फिर किसी जहरखुरानी का शिकार वह कुछ हफ्तों तक बीमार रहा।[१११]
जनवरी 1567 में, मैरी ने अपने पति को वापस एडिनबर्ग आने के लिये मना लिया। वह मैरी से अलग एक अन्य घर में रह रहा था और अपनी बीमारी से उबरने की कोशिश कर रहा था।[११२] मैरी उससे रोज मिलने जाती थीं और उनके बीच संबंध सुधरने लगे थे।[११३] 9–10 फरवरी 1567, की रात को मैरी अपने पति से शाम को मिलने के बाद एक पारिवारिक विवाह समारोह में चली गयीं।[११४] अल सुबह कर्क-ओफ़ील्ड में जहाँ डार्न्ले रहता था एक भीषण विस्फोट हुआ और डार्न्ले बगीचेमें मृत पाया गया।[११५] उसके शरीर पर चोट या हिंसा के कोई निशान नहीं थे।[११६][११७] बोथवेल का अर्ल, जेम्स स्टीवर्ट, मंत्री मैटलैंड, मोर्टन का अर्ल और स्व्यँ मैरी पर भी हत्या करवाने का शक था।[११८]
फरवरी के अंत तक डार्न्ले की हत्या का गुनाहगार बोथ्वेल को माना जाने लगा था। [११९] डर्न्ले के पिता लेन्नॉक्स ने बोथवेल पर स्कॉटलैंड की संसद में मुकदमा चलाने की मांग की जिसे मैरी ने मान लिया लेकिन सबूत जुटाने के लिये वक्त देने से इंकार कर दिया। लेन्नॉक्स के गैरमौजूदगी और सबूतोंके अभाव में बोथवेल को ७ घंटों की सुनवाई के बाद १२ अप्रैल को मुक्त कर दिया गया।[१२०] एक हफ्ते के बाद बोथवेल ने एक दर्जन से ज्यादा सामंतो, पादरियों और प्रबुद्ध जनों को मना लिया कि वे उसकी रानी से शादी करवाने में मदद करेंगें।[१२१]
स्कॉटलैंड में कारावास व अपहरण

२१ और २३ अप्रैल १५६७ के बीच में मैरी अपने बेटे से अंतिम बार स्टर्लिंग में मिलीं। २४ अप्रैल को एडिनबर्ग वापस जाते हुए मैरी का बोथवेल और उसके सिपाहियों के द्वारा अपहरण हुआ था, बह स्वयँ उसके साथ गयीं थी या उन्हें जबरदस्ती डनबार के किले ले जाया गया यह ज्ञात नहीं है। 6 मई को मैरी और बोथवेल एडिनबर्ग लौट गये और १५ मई को उन्होंने होलीरूड महल या होलीरूड ऐबे में प्रोटेस्टैंट रिवाजों से शादी कर ली।[१२२] बोथवेल और उसकी पहली पत्नी जीन गॉर्डन, बोथवेल की काउंटेस जो सामंत हंटली की बहन थी का बारह दिन पहले ही तलाक हुआ था।[१२३]
शुरु में मैरी को लगा कि बहुत सारे प्रभुद्ध जनों ने उसके बोथवेल के साथ विवाह को सही माना है और समर्थन किया है लेकिन बोथवेल जो कि अब रानी का पति बन चुका था और उसका ओहदा दूसरों से उँचा हो गया था का दरबार में अन्य मंत्रियों और दरबारियों के साथ संबंध कटु होने लग गया था। यह विवाह लोगों के बीच बेहद अलोकप्रिय हो गया था। कैथोलिकों ने शादी को गैर कानूनी माना क्यूंकि वो बोथ्वेल के तलाक और प्रोटेस्टैंट रिवाजों से हुई शादी को वाजिब नहीं मानते थे। प्रोटेस्टैंट और कैथोलिक दोनों को ही इस बात का यकीन नहीं था कि मैरी अपने पूर्व पति के हत्यारोपी से शादी कर लेंगी।[१२४] शादी से मैरी की जिंदगी में तूफान आ गया था और वह बेहद निराश व हताश हो गयीं थीं।[१२५] २६ दरबारी व सामंत जो की स्कॉटलैंड में विभिन्न शहरों या रियासतों के स्वामी थे मैरी और बोथवेल के खिलाफ हो गये और उन्के खिलाफ सेना बनाने लगे। मैरी और बोथवेल का इन सामंतो से कैर्बेरी हिल पर सामना हुआ लेकिन वहाँ कोई युद्ध नहीं हुआ क्यूंकि समझौता वार्ता के दौरान ही मैरी की सेना के बहुत सारे सैनिक पलायन कर गये और उनकी संख्या बहुत कम हो गयी।[१२६] बोथवेल को युद्ध के मैदान से सुरक्षित जाने दिया गया लेकिन सामंतों ने मैरी को बंदी बना लिया व उन्हें एडिनबर्ग ले गये जहाँ भीड ने उन के चरित्र पर सवाल उठाते हुए उनपर फब्तियाँ कसीं। उन्हें व्यभिचारिणी व हत्यारिन जैसे संभोधन सुनने को मिले।[१२७] अगली रात को मैरी को लोक लेवन द्वीप के बीचो बीच स्थित लोक लेवन किला में जेल में डाल दिया गया।.[१२८]20 और 23 जुलाई के बीच मैरी को गर्भपात हुआ।[१२९]१४ जुलाई को उन्हें अपने १ वर्षीय पुत्र जेम्स ६ के लिये रानी के अपने पद को त्यागने को मजबूर किया गया।[१३०] जेम्स ६ राजा व मोरे (मैरी का नाज़ायज़ भाई) कार्यवाहक शासक बना।[१३१] जबकि जेम्स हेपबर्न यानी बोथवेल को देशनिकाला दिया जा चुका था। उसे डेनमार्क में कारावास में डाल दिया गया जहाँ पागलपन से उसकी 1578 में मौत हो गई।[१३२]
इंग्लैंड में जेल और वहां से भागना
साँचा:Location map+ 2 मई 1568 को जॉर्ज़ डगलस की मदद से मैरी लॉक लेवेन किले के अपने कारावास से भाग गयीं।[१३३] 6,000 सैनिकों की टुकड़ी के साथ वह लैंगसाइड में १३ मई को मोरे की छोटी सेना से भिड़ीं।[१३४] हारने की वजह से दक्षिण की तरफ चली गयीं और नाव से सोल्वे फर्थ को पार करते हुए १६ मई को इंग्लैंड पहुँच गयीं।[१३५] वह उत्तरी इंग्लैंड में वर्किंग्टन पहुँची और वर्किंगटन के किले में रात बितायी।[१३६] 18 मई को क्षेत्रीय अधिकारियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और कार्लिस्ले महल ले गये।[१३७]
मैरी ने सोचा था कि एलिज़ाबेथ वापस स्कॉटलैंड की सत्ता पाने में उनकी मदद करेंगी। [१३८] लेकिन एलिज़ाबेथ सतर्क थीं, उन्होंने २६ दरबारियों द्वारा मैरी के खिलाफ किये गये विद्रोह और डार्न्ले की मौत में मैरी का हाथ होने की किसी भी संभावनाओं को जांचने के लिए जाँचदल गठित किया।[१३९] जुलाई 1568 के मध्य में अंग्रेज अधिकारियों ने मैरी को स्कॉटिश सीमा से बेहद दूर बोल्टन के किले में स्थानान्तरित कर दिया। [१४०] अक्टूबर १५६८ और जनवरी १५६९ के बीच पहले यॉर्क व बाद में वेस्टमिंस्टर में एक जाँच दल ने बैठकें कीं।[१४१] जबकि स्कॉटलैंड में उनके समर्थक कार्यवाही शासक मोरे व उसके उत्तराधिकारियों के खिलाफ गृहयुद्ध करते रहे।[१४२]
संदूक की चिठ्ठियाँ

एक रानी होने के नाते मैरी ने किसी भी अदालत में अपने उपर मुकदमा चलाने की ताकत होने से और यॉर्क में सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत उपस्थिति दर्ज़ कराने से इंकार कर दिया। मैरी ने अदालत में अपने प्रतिनिधि भेजे लेकिन एलिज़ाबेथ ने उनकी उपस्थिति को निषेध कर दिया। [१४३] मैरी के खिलाफ सबूतों के तौर पर मोरे ने कुछ अत्र दिखाये जिन्हें संदूक की चिठ्ठियाँ या (कॉस्केट लेटर्स) कहा जाता है।[१४४]—ये वो ८ अहस्ताक्षरित संदूक की चिठ्ठियाँ थीं जिनके बारे में कहा गया कि मैरी ने बोथवेल को भेजी हैं। इनमें शादी के दो अनुबन्ध पत्र थे, और १४ पंक्तियों की एक प्रेम कविता थी जो एक राजा फ्रांसिस २ की मुहर से सुसज्जित एक फुट लंबे चांदी के संदूक में पाई गयीं थीं।[१४५] मैरी ने इन चिठ्ठियों से अन्भिज्ञता जताई और कहा कि उनकी लेखनी का अनुसरण कर के वैसा ही लिखना कोई मुश्किल काम नही है और चिठ्ठियों पर उनके हस्ताक्षर भी नहीं हैं [१४६] इसलिये ये झूठे हैं।[१४७] इन चिठ्ठियों को बेहद अहम माना गया क्योंकि इनमे मैरी के डार्न्ले के कत्ल को लेकर आत्मग्लानि की भावनाएँ वर्णित थीं।[१४८] जाँच दल के अध्यक्ष नॉर्फ्लॉक के ड्यूक ने इन पत्रों को बेहद गंभीर और भयंकर और नाना प्रकार के प्रेमपूर्ण गीतों वाला माना और एलिज़ाबेथ को उनकी प्रतियाँ यह कह्ते हुए भिजवा दीं कि अगर ये असली हैं तो मैरी दोषी हैं।[१४९]
संदूक के इन पत्रों की प्रमाणिकता इतिहासकारों के बीच विवाद का विषय रही है। अब तो इनके बारे में कुछ साबित कर पाना भी नामुम्किन है। फ्रेंच भाषा में लिखी गई यह चिठ्ठियाँ संभवत: मैरी के पुत्र द्वारा १५८४ में नष्ट कर दी गयीं थीं। [१५०] कुछ बची हुई प्रतियाँ जिनका अंग्रेजी में अनुवाद है भी वो भी पूर्ण नहीं हैं।[१५१] अन्य दस्तावेज जिनकी जाँच हुई उनमें बोथवेल के गॉर्डन को दिये तलाक की प्रतियाँ थीं जिन्हें मोरे ने डनबार से मंगवाई थीं।[१५२]
मैरी के जीवनी के लेखक जैसे की, एंटोनिया फ्रेज़र, एलिसन वेइर और जॉन गाइ यह नतीजा निकालते हैं कि या तो ये पत्र पूरी तरह से नकली थे[१५३] या इनमें जानबूझ के कुछ ऐसे अनुच्छेद जोड़े गये थे जो मैरी के खिलाफ सबूत बन सकते थे।[१५४]या फिर इन पत्रों को किसी और शक्स ने बोथवेल को या फिर मैरी ने किसी और शक्स को लिखा था।[१५५] गाइ कहते हैं कि पत्र की भाषा एक दूसरे से अलग सी लगती है और फ्रेंच में लिखे हुए वाक्यों और अनुच्छेदों में इतनी व्याकरण की गलतियाँ है जिनकी उम्मीद मैरी जैसी पढी-लिखी और फ्रेंच भाषा की जानकार से नही की जा सकती।[१५६] हालाँकि पत्रों में मौजूद कुछ अनुभाग और अर्धवाक्य (रोन्सार्ड की शैली में लिखे हुए गद्य) और कुछ लेखन शैलियाँ मैरी की लेखन शैली से मेल खाती हैं।[१५७]
संदूक के पत्रों को १५६८ की सम्मेलन से पहले कभी जारी नहीं किया गया था। हालाँकि स्कॉटिश दरबारियों ने इन्हें १५६७ में ही देख लिया था। मैरी को जबरन अपना पद त्याग करने को कहा गया और लगभग एक वर्ष तक उन्हें जेल में रहना पड़ा। मैरी को जेल भेजने और रानी पद से वंचित करने की कार्यवाई को सही ठहराने के लिए इन चिठ्ठियों को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया।[१५८] इतिहासकार जेनी वोर्मैल्ड का विश्वास है कि स्कॉटिशों का इन चिठ्ठियों को सार्वजनिक ना करना और १५८४ में उन्हें नष्ट कर देना इस बात का संकेत है कि इनमें मैरी के खिलाफ पुख्ता सबूत थे [१५९] जबकि वेइर सोचते हैं कि यह घटनाक्रम दर्शाता है कि स्कॉटिश सामंत जो मैरी के विरोधी थे उन्होंने इतना समय इन चिठ्ठियों को बनाने में लगाया। [१६०] हालाँकि मैरी के समकालीन कुछ ऐसे व्यक्ति भी हैं जिन्होंने इन चिठ्ठियों को देखा था और वो इनकी सच्चाई पर यकीन करते हैं जैसे की नॉर्फ्लॉक के ड्यूक जिसने सुनवाई के दौरान मैरी से शादी करने की गुप्त योजना बनाई थी लेकिन एलिज़ाबेथ के द्वारा इसका ज़िक्र किए जाने पर यह कहते हुए इससे इससे इंकार कर दिया कि वह ऐसी महिला के साथ शादी करने के बारे में नहीं सोचता है जिसके साथ रहने का अभी कुछ नहीं पता।[१६१][१६२][१६३]
जांचदल के अधिकांश लोगो ने इन चिठ्ठियों की सामग्री के अध्धयन और उनके मैरी की लिखावट से मिलान के बाद इन्हें सही माना। [१६४] एलिज़ाबेथ ने अपने चाहत के अनुसार जांच खत्म करते हुए फैसला दिया कि मैरी या उसके विरोधी स्कॉटिश सामंतों के खिलाफ कुछ भी पक्के सबूत नहीं हैं और कुछ भी साबित नहीं होता।[१६५] राजनैतिक कारणों से एलिज़ाबेथम् मैरी को डार्न्ले की हत्या का ना ही तो दोषी और नाही निर्दोष मानना चाहती थीं और वो इस सिलसिले में न्यायिक प्रक्रिया के साथ नहीं जाना चाहती थीं। इसलिये इस जाँच को सिर्फ एक राजनैतिक शिगूफा ही समझा गया। अंतत: मोरे स्कॉटलैंड लौट गया और मैरी को कारावास में ही रखा गया। इस तरह से एलिज़ाबेथ स्कॉटलैंड में वहाँ की रानी से नाही मित्रता और नाही शत्रुता प्रदर्षित करते हुए एक प्रोटेस्टैंट सरकार बनाए रखने में कामयाब रहीं।[१६६] फ्रेज़र की राय में यह इतिहास के सबसे अजीबोगरीब मुकदमों में से एक था जिनमें वादी और प्रतिवादी दोनों के ही खिलाफ कुछ भी नहीं साबित हुआ लेकिन एक को स्कॉटलैंड लौटने दिया गया जबकि दूसरे को कारावास में बंदी बना के रखा गया।[१६७]
कथानक

26 जनवरी 1569 को मैरी को टुटबरी किले ले जाया गया।[१६८] और ज़ॉर्ज टैल्बोट (श्रेयुशबरी का ६ठा अर्ल) व उसकी पत्नी की निगरानी में रखा गया। [१६९] एलिज़ाबेथ ने अंग्रेजी सिहाँसन के लिये मैरी के विचारों वकार्यों को अपने लिये खतरा माना और इसलिये उन्हे श्रेव्सबरी के महलों में बंदी बना के रखा।[१७०] ये सभी किले वमहल स्कॉटलैंड की सीमा और लंदन से दूर थे। [१७१] मैरी को अपने निज़ी सहायक व सेवक रखने की अनुमति थी जिनकी संख्या १६ से अधिक रहती थी।[१७२][१७३] उनके कक्षों को नए-नए चित्रों, सजावटी वस्तुओं व चटाईयों से सजाया गया रखता था। उनके कक्ष में उनका राजसी कपड़ा जिसपर फ्राँसीसी में मेरे अंत में मेरी शुरुआत है गुथा रहता था भी हमेशा सुसज्जित रहता था।[१७४] उनके नौकर उनकी देखभाल करते, चादरें व कपडे रोज धोते बदलते व उनकी पसंद के ३२ पकवान उनकी मर्ज़ी से बनाते जो उन्हें चांदी के बर्तनों में परोसे जाते। [१७५][१७६] उन्हें कड़ी निगरानी में कभी कभी बाहर भी निकलने दिया जाता था।[१७७] उन्होंने अपना अधिकतर वक्त सिलाई कढ़ाई करने में बिताया। [१७८] व्यायाम की कमी, बाहर कम निकलने और अन्य अज्ञात वजहों से उनकी तबियत खराब होती गयी, स्वास्थ गिरता रहा और १५८० आते आते उनके घुटनों और जोड़ों मे दर्द रहने लगा था।[१७९] कुल मिला कर यह कहा जा सकता है कि एलिज़ाबेथ ने उन्हें जेल में तो नहीं डाला, उन्हें तमाम राजसी सुविधाएँ दीं लेकिन उनकी आज़ादी छीन ली व अपने विश्वस्त लोगों के भरोसे उन्हें विभिन्न किलों में नज़रबंद रखा।
मई 1569 में एलिज़ाबेथ ने मैरी के स्कॉटलैंड वापसी के लिये रास्ता निकालने के लिये वहाँ प्रोटेस्टैंट धर्म की सुरक्षा व विस्तार की गारंटी मांगी जिसे स्कॉटलैंड के पर्थ में आयोजित एक सम्मेलन में सिरे से खारिज़ कर दिया गया।[१८२] नॉर्फॉक मैरी से विवाह करने की रणनीतियाँ बनाता रहा जिससे क्षुब्ध होकर एलिज़ाबेथ ने उसे लंदन टॉवर में अक्टूबर 1569 से अगस्त 1570 तक कारावास में डाल दिया।[१८३] अगले वर्ष की शुरुआत में मोरे की हत्या हो गई व साथ ही साथ कैथोलिकों के नेतृत्व में स्कॉटलैंड व उत्तरी इंग्लैंड में विद्रोह शुरु हो गया। कैथोलिकों के इस विद्रोह से एलिज़ाबेथ को लगने लगा कि मैरी उनके लिये कह्तरा बन सकती हैं। अंग्रेज सेनाओं ने स्कॉटिश गृहयुद्ध में हस्तक्षेप करते हुए मोरे समर्थक विद्रोहियों को एकजुट किया।[१८४] इस बीच एलिज़ाबेथ ने अपने गुप्तचरों की मदद से मैरी पर नज़र बनाए रखी। [१८५]
1571 में एलिज़ाबेथ के मंत्रियों, सेसिल और वालसिंघम ने रिडोल्फ़ी षडयंत्र का पर्दाफाश किया जिसका उद्देश्य स्पेनी सेना और नॉर्फॉक के ड्यूक की मदद से एलिज़ाबेथ को हटाकर मैरी को इंग्लैंड की रानी बनवाना था। नॉर्फॉक को मृत्युदंड दे दिया गया और अंग्रेज संसद ने मैरी के अंग्रेजी सिंहासन के दावे को निरस्त करने वाला कानून प्रस्तावित किया जिसे एलिज़ाबेथ ने नामंज़ूर कर दिया। [१८६] मैरी को बदनाम करने के लिये लंदन में सदूक की चिठ्ठियों का मुद्रण और वितरण किया गया।[१८७] मैरी को केंद्र में रखकर ऐसे कई घटनाएँ होती रहीं। पोप ग्रेगरी १३ ने १५७० के पूर्वार्ध में एक योजना बनाई जिसमें मैरी का विवाह स्पेन के राजा फिलिप २ के नाज़ायज़ भाई और एक प्रांत के राज्यपाल ऑस्ट्रिया के डॉन जॉन से करने का प्रस्ताव था जो स्पेनी सेना की मदद से नीदरलैंड की तरफ से इंग्लैंड पर आक्रमण की अगुवाई करने वाला था।[१८८] १५८३ के थ्रॉकमॉर्टन षडयंत्र के बाद वाल्सिंघम ने (सेफ्टी ऑफ द क़्वीन ऐक्ट, १५८४) रानी सुरक्षा कानून बनाने का प्रस्ताव रखा जिसमें एलिज़ाबेथ के खिलाफ षडयंत्र रचने वाले किसी भी शक्स को मृत्युदंड देने और किसी भी काल्पनिक उत्तराधिकारी को एलिज़ाबेथ की हत्या का फायदा उठाकर सिहांसन हासिल करने से रोकने के कानूनी धाराएँ थीं। [१८९]फरवरी 1585 में विलियम पैरी जो कि एक जासूस था को एलिज़ाबेथ की हत्या का षडयंत्र रचते हुए गिरफ्तार किया गया। इसकी जानकारी मैरी को नहीं थी लेकिन उनके प्रतिनिधि थॉमस मॉर्गन इस मामले में फंसे थे। इससे एलिज़ाबेथ को लगा कि मैरी अपने वफादारों की मदद से उनकी हत्या करने की साजिश रच रही हैं।[१९०] अप्रैल में मैरी को सर अमियास पाउलेट की और कड़ी निगरानी में रखा गया[१९१] और क्रिसमस में उन्हें कार्टली किले में स्थानांतरित कर दिया गया।[१९२]
मृत्यु
सुनवाई
११ अगस्त १५८६ को बेबिंग्टन षडयंत्र में दोषी पाए जाने पर मैरी को गिरफ्तार कर के टिक्सियाल के सरकारी भवन ले जाया गया।[१९३]मैरी को दोषी साबित करने के एक सफल प्रयास के तहत वैल्सिंघम ने जानबूझ कर ऐसी व्यवस्था करवाई की मैरी की चिठ्ठियाँ चार्टली के उनके आवास से बाहर निकाली जा सकें। मैरी को बताया गया कि उनकी चिठ्ठियाँ सुरक्षित हाथों में हैं लेकिन वास्तविकता में वैलसिंघम ने उनका कूट खोज लिया था और वह उन्हें पढ लेता था।[१९४] इन चिठ्ठियों से यह स्पष्ट था कि मैरी ने एलिज़ाबेथ कीहत्या की योजना को मंजूरी दी थी।[१९५] उन्हें चार दिनों की यात्रा पर फोथरिंघे किला ले जाया गया और अक्टूबर में उनपर रानी सुरक्षा कानून के तहत ३६ न्यायधीशों के सामने, जिनमें से एक वैलसिंघम खुद था, देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया।[१९६][१९७][१९८] अपने बचाव में मैरी ने इन आरोपों को नकार दिया। [१९९] उन्होंने अपने विरोधियों को कहा साँचा:Quote[२००] उन्होंने न्यायधीशों को ध्यान दिलाया कि उन्हें उनके खिलाफ पेश किये गये सबूतों को जाँचने भी नहीं दिया गया, उन्हें वकील करने की आजादी नहीं दी गई और एक विदेशी रानी होने के नाते उनपर कभी भी इंग्लैंड की न्याय व्यवस्था के अंतर्गत देशद्रोह का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता था।[२०१]
२५ अक्टूबर को मैरी को गुनाहगार मानते हुए १ को छोड सभी न्यायधीशों ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। [२०२] इसके बावजूद एलिज़ाबेथ उन्हें मौत की सजा देने से हिचक रही थीं। अंग्रेजी संसद के दबाव के बावजूद वो इस बात से चिंतित थीं कि किसी रानी को मौत की सजा देने से एक गलत परंपरा की शुरुआत हो सकती है, और इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं, खासकर तबजब मैरी का बेटा और स्कॉटलैंड का राजा जेम्स ६ कैथोलिक समूहों के साथ गठजोड कर के इंग्लैंड पर आक्रमण कर दे।[२०३] एलिज़ाबेथ ने मैरी के अंतिम रक्षक पौलेट से पूछा कि क्या वो मैरी को मृत्युदंड देने की बजाए उनकी उम्र कम करने का कोई और अवैध तरीका ढूंढ सकते हैं, जिसे उसने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि उसकी अंतरात्मा ऐसा करने की इज़ाजत नहीं देती और ऐसा कर के वो अपने वंशजों के नाम पर काला धब्बा नहीं छोडना चाहता।[२०४] १ फरवरी १५८७ को एलिज़ाबेथ ने मृत्युडंड के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिये और अपने दरबारी विलियम डेविसन के सुपुर्द कर दिये।[२०५] ३ फरवरी को [२०६] इंग्लैंड के दरबार के १० सदस्यों को सेसिल ने बिना एलिज़ाबेथ की जानकारी के बुलावा भेजा और तुरंत सजा का अनुकरण करने का फैसला लिया।[२०७]साँचा:Clear
मृत्युदंड
फोथरिंघे में ७ फरवरी १५८७ की शाम को मैरी को उन्हें अगली सुबह मृत्युदंड दिए जाने की सूचना दे दी गई।[२०८]उन्होंने अपने जीवन के अंतिम घंटे प्रार्थना करते हुए, अपने व्यक्तिगत सामानों को लोगों में बाँटते हुए और फ्रांस के राजा को संबोधित अपनी आखिरी इच्छा व पत्र लिखते हुए बिताये।[२०९] फाँसी का तख्ते को ग्रेट हॉल में बनाया गया, यह २ फीट उँचा काले रंग में रंगा हुआ चबूतरा था। वहाँ ३ स्टूल रखे थे, एक मैरी, और बाकी दो श्र्युशबेरी व केंट के अर्लों के लिये जो सजा होते देखने के लिये बैठने वाले थे। चबूतरे पर एक तकिया था जिसपर मैरी को झुक कर बैठना था और सिर लकडी के साँचे में फंसाना था। [२१०] जल्लादों ने मैरी को झुक कर प्रणाम किया और क्षमा माँगी। मैरी ने जवाब दिया मैं तुम्हें पूरे दिल से क्षमा करती हूँ, मैं उम्मीद करती हूँ कि अब तुम मेरे सारे दुखों का अंत कर दोगे। [२११] उनके सेवकों जेन केनेडी, एलिज़ाबेथ कर्ल और जल्लादों ने मैरी को शाही कपडे, जेवर व अन्य राजसी निशानियों को उतारने में मदद की। मैरी अब कैथोलिकों के शहादत के रंग, कत्थई-गाढे भूरे रंग के आस्तीन व मखमली पेटीकोट में थीं। [२१२][२१३]केनेडी ने उनकी आँखों पर पट्टी बाँध दी और स्वर्ण जडित एक सफेद शॉल खाँचे के सामने रखे तकिये पर चढा दिये गये। साँचे पर अपना सिर रखते हुए मैरी ने अपनी भुजाएँ फैलायीं और अपना अंतिम वाक्य कहा कि हे भगवान! मैं अपनी आत्मा आपके हाथों में देती हूँ। ("In manus tuas, Domine, commendo spiritum meum")[२१४]
मैरी का सिर एक ही झटके में धड से अलग नहीं हुआ और दूसरे वार में ही जल्लाद उनका सिर अलग कर सका। कटे हुए सिर को उठाते हुए चिल्लाया गॉड सेव द क्वीन यानी "ईश्वर रानी की रक्षा करें"। इस वक्त मैरी का सिर नीचे गिर गया और जल्लाद के हाथ में विग रह गया जो यह बताता है कि अपने अंतिम वर्षों में मैरी के बाल बहुत छोटे और भूरे रंग के थे। [२१५] कहा जाता है कि मैरी का पालतू कुत्ता उनके पास ही खडा था और खून में भीगने के बाद उसने वहाँ से जाने से इंकार कर दिया व अपने मालिक के मृत शरीर के पास हि बैठा रहा। [२१६]अंतिम समय में मैरी के द्वारा पहने हुए गहनों, कपडों व उनसे सम्बंधित अन्य वस्तुओं जिनपर उनके खून के छींटे पडे थे को ग्रेट हॉल की चिमनी में जला दिया गया ताकि भविष्य में अवशेष खोजी दल उन्हें ढूंढकर उसकी यादगार ना बना सकें। [२१७][२१६]
विरासत
जब यह सूचना एलिज़ाबेथ के पास पहुँची तो वो बेहद क्रुद्ध हो गयीं और कहा कि डेविडसन ने वारंट दरबारियों को दिखाकर उनके आदेश की अवहेलना की है और दरबारियों (प्राइवी काउंसिल) ने बिना उनकी मर्ज़ी के यह कार्यवाई की है। [२१८] हालाँकि एलिज़ाबेथ की अनिश्चितता, इधर-उधर की बातों व अस्पष्ट निर्देशों से वह मैरी के कत्ल के इल्ज़ाम से कुछ हद तक ही बच पायीं।[२१९] डेविसन को गिरफ्तार करे के [[लंदन टावर] में डाल दिया गया। सेसिल व वैलसिंघम ने उसकी पैरवी की व आरोपी ना पाए जाने पर उसे १९ महीनों बाद जेल से आजाद कर दिया गया।[२२०]
फ्रांस में दफनाए जाने के मैरी की चाहत को एलिज़ाबेथ ने ठुकरा दिया।[२२१] उनके शव को संलेपित करके एक सुरक्षित शीशे के कॉफिन में तब तक रखा गया जब जुलाई १५८७ में प्रोटेस्टैंट रिवाजों के तहत पीटरबोरो कैथेड्रल में उसका अंतिम संस्कार ना कर दिया गया।[२२२] संलेपन प्रकिया के तहत निकाली गई उसकी अंतडियों व अंदरूनी हिस्सों को फोथरिंघे महल में चोरी छुपे दफना दिया गया।[२२३] उनका शरीर १६१२ में उनके पुत्र व इंग्लैंड के नए राजा जेम्स १ के आदेश पर खोद कर निकाला गया व वेस्टमिंस्टर ऐबी में एलिज़ाबेथ प्रथम की कब्र के सामने ससम्मान दफनाया गया। [२२४] लगभग ढाई सौ सालों बाद 1867 में उनके मकबरे को इस उम्मीद में दुबारा खोला गया ताकि उनके पुत्र जेम्स प्रथम की कब्र का पता लगाया जा सके जो बाद में हेनरी सप्तम की कब्र के पास मिली। लेकिन उनके तमाम अन्य वंशज जिसमें बोहेमिया की एलिज़ाबेथ व ऱाइन का राजकुमार रूपर्ट व महारानी ऐने के बच्चों की कब्र मैरी के शव-कक्ष (मेहराब) में मिली।[२२५]
Assessments of Mary in the sixteenth century divided between Protestant reformers such as George Buchanan and John Knox, who vilified her mercilessly, and Catholic apologists such as Adam Blackwood, who praised, defended and eulogised her.[२२६] After the accession of James I in England, historian William Camden wrote an officially sanctioned biography that drew from original documents. It condemned Buchanan's work as an invention,[२२७] and "emphasized Mary's evil fortunes rather than her evil character".[२२८] Differing interpretations persisted into the eighteenth century: William Robertson and David Hume argued that the casket letters were genuine and that Mary was guilty of adultery and murder, while William Tytler argued the reverse.[२२९] In the later half of the twentieth century, the work of Antonia Fraser was acclaimed as "more objective ... free from the excesses of adulation or attack" that had characterised older biographies,[२३०] and her contemporaries Gordon Donaldson and Ian B. Cowan also produced more balanced works.[२३१] Historian Jenny Wormald concluded that Mary was a tragic failure, who was unable to cope with the demands placed on her,[२३२] but hers was a rare dissenting view in a post-Fraser tradition that Mary was a pawn in the hands of scheming noblemen.[२३३] There is no concrete proof of her complicity in Darnley's murder or of a conspiracy with Bothwell. Such accusations rest on assumptions,[२३४] and Buchanan's biography is today discredited as "almost complete fantasy".[२३५] Mary's courage at her execution helped establish her popular image as the heroic victim in a dramatic tragedy.[२३६]साँचा:Clear
वंश वृक्ष
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इन्हें भी देखें
- en:Act Anent the demission of the Crown in favour of our Sovereign Lord, and his Majesty's Coronation 1567
- मैरी का सांस्कृतिक चित्रण
नोट्स
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- ↑ जिसे इसकी मूल भाषा अंग्रेजी में ऐसे भी लिखा जाता है Marie और Steuart या Stewart
- ↑ (देखें वंशवृक्ष)
- ↑ साँचा:Harvnb
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- ↑ (देखें वंशवृक्ष)
- ↑ साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb
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- ↑ यह संसकरण रॉबर्ट लिंडसे के The History of Scotland from 21 February 1436 to March 1565 नामक पुस्तक से लिया गया है जिसे १५७० में लिखा गया था। इस वाक्य को सबसे पहले जॉन नॉक्स ने १५६० में सुना और लिखा था "The devil go with it! It will end as it began: it came from a woman; and it will end in a woman" यानि राक्षस इसके साथ जाएगा! यह वैसे ही खत्म होगा जैसे शुरु हुआ था: यह एक महिला से आया; और एक महिला में ही खत्म होगा। (साँचा:Harvnb).
- ↑ साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb
- ↑ साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb
- ↑ साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb
- ↑ हेनरी ८ को सैडलर का खत, 23 मार्च 1543, लिखा हुआ है साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb में
- ↑ साँचा:Harvnb; [जॉन नॉक्स ने कहा के राजा ने एक रिक्त पन्ने पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें बाद में बीटन ने घोषणा लिख ली जबकि ऐरन का दावा था कि बीटन ने मरते हुए राजा का हाथ अपने हाथ में जबरिया ले लिया और हस्ताक्षर बनवा लिया। (साँचा:Harvnb). यह विवादास्पद वसीयत साँचा:Cite book में मुद्रित है।
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- ↑ रिपोर्ट के अंश साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb में मुद्रित हैं।
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- ↑ साँचा:Harvnb; जीन डी संत मौरिस नीदरलैंड की राज्यपाल को २५ अगस्त १५४८ को साँचा:Cite book; लिखते हैं। साँचा:Cite journal
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- ↑ साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb; कैथरीन की मैरी के प्रति नापसंदगी हेनरी २ की मृत्यु के बाद ही सबके सामने आई(साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb)। कैथरीन के हित गुइज़ परिवार के हितों से टकराते थे और दोनों रानियों में एक संभावित ईर्ष्या व प्रतिद्वंदिता की भावना रही होगी।(साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb).
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- ↑ टिप्पणी और उनकी लंबाई के लिए देखें साँचा:Harvnb और साँचा:Harvnb; प्रेम में पड़ने की बात के लिए देखें साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb और साँचा:Harvnb
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- ↑ papal dispensation; A dispensation, backdated to 25 May, was granted in Rome on 25 September (साँचा:Harvnb).
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- ↑ साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb में से (संदर्भ: रॉबर्ट पिटकेयर्न (एंटीक्वेरी) की पुस्तक Ancient Criminal Trials in Scotland from AD 1488 to AD 1624 से) १३ दिसम्बर १५७३ को बोथवेल के एक सहयोगी जेम्स ऑर्मिस्टन की स्वीकारोक्ति।
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- ↑ पोस्ट मार्टम प्रतिवेदना में अंदरूनी घावों का जिक्र था जिसे विस्फोट का नतीजा माना गया। जॉन नॉक्स ने दावा किया कि जिन चिकित्स्कों ने डार्न्ले के शरीर की जाँच की थी वो झूठ बोल रहे थे और डार्न्ले की हमला कर के हत्या हुई थी। लेकिन सभी सबूत यही इशारा कर रहे थे की कहीं भी चोट के कोई निशान नहीं थे और चिकित्सकों के झूठ बोलने का कोई कारण नहीं था क्योंकि वैसे भी उसकी हत्या तो हुई ही थी चाहे जैसे भी हुई हो। (साँचा:Harvnb).
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- ↑ साँचा:Harvnb; मैरी ने बाद में वेस्टमिंस्टर में उपस्थित होने की गुहार लगाई जिसे एलिज़ाबेथ ने खारिज़ कर दिया। परिणामस्वरूप मैरी के आयुक्त सुनवाई से हट गये।(साँचा:Harvnb).
- ↑ साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb
- ↑ दस्तावेजों की सूची के लिए देखें, उदाहरण, साँचा:Harvnb और साँचा:Harvnb; संदूक के बारे में जानए के लिए देखेंसाँचा:Cite book और साँचा:Harvnb.
- ↑ साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb
- ↑ साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb
- ↑ उदा., साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb
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- ↑ साँचा:Cite book
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- ↑ अंग्रेजी में- "he meant never to marry with a person, where he could not be sure of his pillow".
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- ↑ यह उनकी माँ का सूत्र वाक्य था।(साँचा:Harvnb).
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- ↑ साँचा:Royal Collection
- ↑ मैरी द्वारा की गई कढाईयाँ विक्टोरिया और एल्बर्ट संग्रहालय और हार्डविक हाल में भी रखी हुई हैं। (Marian Hanning साँचा:Webarchive, Oxburgh Hangings साँचा:Webarchive)
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- ↑ दो जाँचकर्ता कैथोलिक भी थे। (साँचा:Harvnb)
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- ↑ साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb
- ↑ साँचा:Cite book
- ↑ साँचा:Harvnb
- ↑ साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb
- ↑ २१६.० २१६.१ साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb
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- ↑ साँचा:Cite book
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- ↑ साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb: साँचा:Harvnb
- ↑ साँचा:Harvnb; see also साँचा:Harvnb
- ↑ साँचा:Harvnb; साँचा:Harvnb
सन्दर्भ
- साँचा:Cite book
- साँचा:Cite book
- साँचा:Cite book
- साँचा:Cite book
- साँचा:Cite book
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- साँचा:Cite encyclopedia साँचा:ODNBsub
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