सम्पत्ति-शास्त्र

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सम्पत्ति-शास्त्र महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित अर्थशास्त्र संबंधी हिंदी की पहली पुस्तक है। इसका पुस्तक रूप में प्रकाशन सन् १९०८ में हुआ। इसके पूर्व १९०७ की सरस्वती के विभिन्न अंकों में सम्पत्ति-शास्त्र के अंश प्रकाशित हो चुके थे।


वर्ण्य-विषय

इस पुस्तक में तत्कालीन भारत की आर्थिक स्थिति का वर्णन है। इसमें खेती, मजदूरी आदि के साथ ही महाजनी और पूंजीपतियों से संबंधित विषयों का विस्तारपूर्वक विवेचन किया गया है। ब्रितानी सरकार द्वारा अपनाई गई कर और व्यापार संबंधी नीतियों का भी उल्लेख किया गया है और उनका भारतीयों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का भी। [१]

आलोचना

सम्पत्ति-शास्त्र का महत्त्व स्थापित करने वाले हिंदी के आलोचकों में रामविलास शर्मा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं। वे महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण में इसके संबंध में लिखते हैं कि- "इसके अंश १९०७ में 'सरस्वती' में प्रकाशित हुए और पूरी पुस्तक १९०८ में प्रकाशित हुई।"[२] मधुरेश महावीरप्रसाद द्विवेदी के प्रसंग में लिखते हैं कि- "यदि उन्होंने आर्य-समाज और भाषा पर लिखा है तो सन् 1908 में ही 'सम्पत्तिशास्त्र' भी लिखा जो नस्लवादी ब्रिटिश साम्राज्यवाद द्वारा भारतीय जनता के शोषण का अप्रतिम और भावात्मक दस्तावेज है।"[३]

इन्हें भी देखें

संदर्भ

  1. महावीरप्रसाद, द्विवेदी. "सम्पत्ति-शास्त्र". विकिस्रोत. इण्डियन प्रेस, प्रयाग.साँचा:Dead link
  2. साँचा:Cite book
  3. साँचा:Cite book