"महाजनपद": अवतरणों में अंतर
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'''महाजनपद''' [[प्राचीन भारत]] में छठी से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व तक अस्तित्व में रहने वाले 16 प्रमुख राज्यों को कहा जाता था। ये राज्य भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न भागों में फैले हुए थे और राजनीतिक तथा सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण थे। | '''महाजनपद''' [[प्राचीन भारत]] में छठी से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व तक अस्तित्व में रहने वाले 16 प्रमुख राज्यों को कहा जाता था। ये राज्य भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न भागों में फैले हुए थे और राजनीतिक तथा सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण थे। | ||
२१:४९, १४ फ़रवरी २०२५ के समय का अवतरण
| अस्तित्व | 600 ईसा पूर्व – 340 ईसा पूर्व |
| स्थान | भारतीय उपमहाद्वीप |
| पूर्ववर्ती | वैदिक सभ्यता, जनपद |
| उत्तरवर्ती | नंद वंश, मौर्य राजवंश आदि |
| राजधानियाँ | विभिन्न |
| प्रमुख भाषाएँ | संस्कृत, प्राकृत |
| धर्म | हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म |
| शासन प्रणाली | गणराज्य, राजतन्त्र |
महाजनपद प्राचीन भारत में छठी से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व तक अस्तित्व में रहने वाले 16 प्रमुख राज्यों को कहा जाता था। ये राज्य भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न भागों में फैले हुए थे और राजनीतिक तथा सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण थे।
सोलह महाजनपद
प्राचीन ग्रंथों, विशेषकर अंगुत्तर निकाय और महावस्तु, में सोलह महाजनपदों का उल्लेख मिलता है:
- अंग (वर्तमान बिहार)
- मगध (वर्तमान बिहार)
- काशी (वर्तमान उत्तर प्रदेश)
- कोशल (वर्तमान उत्तर प्रदेश)
- वज्जि (वर्तमान बिहार)
- मल्ल (वर्तमान उत्तर प्रदेश)
- चेदि (वर्तमान मध्य प्रदेश)
- वत्स (वर्तमान उत्तर प्रदेश)
- कुरु (वर्तमान हरियाणा और दिल्ली)
- पंचाल (वर्तमान उत्तर प्रदेश)
- मत्स्य (वर्तमान राजस्थान)
- शूरसेन (वर्तमान उत्तर प्रदेश)
- अश्मक (वर्तमान महाराष्ट्र)
- अवन्ती (वर्तमान मध्य प्रदेश)
- गंधार (वर्तमान पाकिस्तान और अफगानिस्तान)
- कामरूप (वर्तमान असम)
शासन प्रणाली
महाजनपदों में दो प्रकार की शासन प्रणालियाँ थीं –
- **राजतंत्रीय महाजनपद**: जहाँ राजा वंशानुगत रूप से शासन करते थे, जैसे मगध और कोशल।
- **गणतंत्रीय महाजनपद**: जहाँ एक सभा के माध्यम से शासन चलता था, जैसे वज्जि और मल्ल।
अर्थव्यवस्था
महाजनपदों की अर्थव्यवस्था कृषि, व्यापार और कारीगरी पर आधारित थी। मगध और अवन्ती जैसे महाजनपद विशेष रूप से समृद्ध थे। सोने और चाँदी की मुद्राओं का प्रचलन भी इसी समय में हुआ।
पतन के कारण
महाजनपदों का पतन मुख्य रूप से मगध साम्राज्य के उदय के कारण हुआ। बिंबिसार, अजातशत्रु और महापद्मनंद जैसे शासकों ने अन्य महाजनपदों को अपने साम्राज्य में मिला लिया।