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"ऑपरेशन रद्दुल-फ़साद": अवतरणों में अंतर

भारतपीडिया से
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पाकिस्तान का भारत के विरुद्ध राज्य-प्रायोजित आतङ्कवाद, अस्थिर अफगानिस्तान से निकटता, सोवियत-अफगान युद्ध का आरम्भ होना इत्यादि के साथ-साथ इसको अपने ही घर में पनप रहे आतङ्कवाद से गम्भीर सामना करना पड़ा। 1980 के दशक में वैश्विक जिहादी आन्दोलन की मेजबानी करने तथा उनको मूमि देने के कारण पाकिस्तान का सामाजिक ढाँचा बिगड़ गया। जिससे इसके भीतर आतङ्कवादी की स्थायी लहर चल पड़ी और जिसका चरम 2006 से 2014 के बीच में था।
पाकिस्तान का भारत के विरुद्ध राज्य-प्रायोजित आतङ्कवाद, अस्थिर अफगानिस्तान से निकटता, सोवियत-अफगान युद्ध का आरम्भ होना इत्यादि के साथ-साथ इसको अपने ही घर में पनप रहे आतङ्कवाद से गम्भीर सामना करना पड़ा। 1980 के दशक में वैश्विक जिहादी आन्दोलन की मेजबानी करने तथा उनको मूमि देने के कारण पाकिस्तान का सामाजिक ढाँचा बिगड़ गया। जिससे इसके भीतर आतङ्कवादी की स्थायी लहर चल पड़ी और जिसका चरम 2006 से 2014 के बीच में था।
2024 की जून में इस अभियान के तहत ''ऑपरेशन ज़र्ब-ए-अज़्ब'' नामक ऑपरेशन चालू किया गया।
इस ऑपरेशन ने नगरीय केन्द्रों तथा दूरदराज क्षेत्रों में आतङ्कवादी ठिकानों, प्रशिक्षण शिविरों, भर्ती स्थलों को प्रभावी ढँग से निशाना बनाया और उन्हें नष्ट कर दिया।

१५:४८, ३१ मार्च २०२५ का अवतरण

ऑपरेशन रद्दुल-फ़साद (उर्दू: آپریشن رد الفساد‎ ; operation Radd-ul-Fasāda; देवनागरी: ऑपरेशन् रद्दुल-फ़साद ) 22 फरवरी 2017 (भा॰रा॰कै॰ : 03 सौर फाल्गुन 1938 ) को पाकिस्तानी सेना द्वारा चलाया एक व्यापक सैन्य अभियान है। जिसका उद्देश्य पूरे पाकिस्तान में आतङ्कवादी स्लीपर सेल को निरस्त्र करने और नष्ट करने में स्थानीय विधि प्रवर्तन अभिकरणों की सहायता करना है। यह अभियान आतङ्कवाद के लगातार खतरे से निपटने और ऑपरेशन ज़र्ब-ए-अज़्ब के दौरान प्राप्त की गयी सफलताओं को आगे बढ़ाने के लिए चालू किया गया था जो 2014 में एक संयुक्त सैन्य हमले के रूप में चालू हुआ था।

इसके के उद्देश्यों में न केवल आतङ्कवादी खतरों का उन्मूलन शामिल है, अपितु पाकिस्तान की सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करना भी शामिल है। इस अभियान में पाकिस्तानी सेना, पाकिस्तानी वायुसेना, पाकिस्तानी नौसेना, पाकिस्तानी पुलिस सहित सशस्त्र बलों की विभिन्न शाखाओं के साथ-साथ पाकिस्तान सरकार के तहत समन्वित अन्य युद्ध और नागरिक सशस्त्र बलों की सक्रिय भागीदारी शामिल है।

2021 तक इस पहल में 3,75,000 से अधिक आसूचना-आधारित ऑपरेशन किये गये हैं। ऑपरेशन रद्दुल-फ़साद ने ऑपरेशन ज़र्ब-ए-अज़्ब द्वारा रखी गयी परिपाटी को आधार बनाकर राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ाने और आतङ्कवाद का मुकाबला किया। जिसके लिए इस ऑपरेशन की सराहना भी की गयी।

पाकिस्तान का भारत के विरुद्ध राज्य-प्रायोजित आतङ्कवाद, अस्थिर अफगानिस्तान से निकटता, सोवियत-अफगान युद्ध का आरम्भ होना इत्यादि के साथ-साथ इसको अपने ही घर में पनप रहे आतङ्कवाद से गम्भीर सामना करना पड़ा। 1980 के दशक में वैश्विक जिहादी आन्दोलन की मेजबानी करने तथा उनको मूमि देने के कारण पाकिस्तान का सामाजिक ढाँचा बिगड़ गया। जिससे इसके भीतर आतङ्कवादी की स्थायी लहर चल पड़ी और जिसका चरम 2006 से 2014 के बीच में था।

2024 की जून में इस अभियान के तहत ऑपरेशन ज़र्ब-ए-अज़्ब नामक ऑपरेशन चालू किया गया।

इस ऑपरेशन ने नगरीय केन्द्रों तथा दूरदराज क्षेत्रों में आतङ्कवादी ठिकानों, प्रशिक्षण शिविरों, भर्ती स्थलों को प्रभावी ढँग से निशाना बनाया और उन्हें नष्ट कर दिया।