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ऑपरेशन रद्दुल-फ़साद (उर्दू: آپریشن رد الفساد ; operation Radd-ul-Fasāda; देवनागरी: ऑपरेशन् रद्दुल-फ़साद ) 22 फरवरी 2017 (भा॰रा॰कै॰ : 03 सौर फाल्गुन 1938 ) पाकिस्तानी सेना द्वारा चलाया एक व्यापक सैन्य अभियान है। जिसका उद्देश्य पूरे पाकिस्तान में आतङ्कवादी स्लीपर सेल को निरस्त्र करने और नष्ट करने में स्थानीय विधि प्रवर्तन अभिकरणों की सहायता करना है। यह अभियान आतङ्कवाद के लगातार खतरे से निपटने और ऑपरेशन ज़र्ब-ए-अज़्ब के दौरान प्राप्त की गयी सफलताओं को आगे बढ़ाने के लिए चालू किया गया था जो 2014 में एक संयुक्त सैन्य हमले के रूप में चालू हुआ था।
इसके के उद्देश्यों में न केवल आतङ्कवादी खतरों का उन्मूलन शामिल है, अपितु पाकिस्तान की सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करना भी शामिल है। इस अभियान में पाकिस्तानी सेना, पाकिस्तानी वायुसेना, पाकिस्तानी नौसेना, पाकिस्तानी पुलिस सहित सशस्त्र बलों की विभिन्न शाखाओं के साथ-साथ पाकिस्तान सरकार के तहत समन्वित अन्य युद्ध और नागरिक सशस्त्र बलों की सक्रिय भागीदारी शामिल है।
2021 तक इस पहल में 3,75,000 से अधिक आसूचना-आधारित ऑपरेशन किये गये हैं। ऑपरेशन रद्दुल-फ़साद ने ऑपरेशन ज़र्ब-ए-अज़्ब द्वारा रखी गयी परिपाटी को आधार बनाकर राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ाने और आतङ्कवाद का मुकाबला किया। जिसके लिए इस ऑपरेशन की सराहना भी की गयी।
पाकिस्तान का भारत के विरुद्ध राज्य-प्रायोजित आतङ्कवाद, अस्थिर अफगानिस्तान से निकटता, सोवियत-अफगान युद्ध का आरम्भ होना इत्यादि के साथ-साथ इसको अपने ही घर में पनप रहे आतङ्कवाद से गम्भीर सामना करना पड़ा। 1980 के दशक में वैश्विक जिहादी आन्दोलन की मेजबानी करने तथा उनको मूमि देने के कारण पाकिस्तान का सामाजिक ढाँचा बिगड़ गया। जिससे इसके भीतर आतङ्कवादी की स्थायी लहर चल पड़ी और जिसका चरम 2006 से 2014 के बीच में था।
2024 की जून में इस अभियान के तहत ऑपरेशन ज़र्ब-ए-अज़्ब नामक ऑपरेशन चालू किया गया।
इस ऑपरेशन ने नगरीय केन्द्रों तथा दूरदराज क्षेत्रों में आतङ्कवादी ठिकानों, प्रशिक्षण शिविरों, भर्ती स्थलों को प्रभावी ढँग से निशाना बनाया और उन्हें नष्ट कर दिया।
पृष्ठभूमि
उग्रवादी समूह जमात-उल-अहरार ने फरवरी 2017 में पाकिस्तान में कई आत्मघाती हमले किये और मीडिया रिपोर्टों से यह स्पष्ट हो गया था कि इसी उग्रवादी समूह ने किये आत्मघाती हमले किये थे। पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन सनराइज़् में इस समूह से जुड़े हुए एक प्रमुख व्यक्ति अब्दुल राशिद गाज़ी की लाल मस्जिद में हत्या कर दी और परिणामस्वरुप पाकिस्तान में हमलों की तीव्रता कम हो गयी।
इसके बाद अन्य उग्रवादी गुटों ने देशभर में हिंसा बढ़ा दी। जिससे पाकिस्तानी सरकार ने आतङ्कवाद का मुकाबला करने के लिए ऑपरेशन रद्दुल-फ़साद चालू किया। 22 फरवरी 2021 (भा॰रा॰कै॰ : 03 सौर फाल्गुन 1942 ) को इस ऑपरेशन की चौथी वर्षगाँठ के मौके पर अधिकारियों ने आतङ्कवाद की घटना, सैन्य ऑपरेशन, अभियानों के दौरान दर्ज हताहतों का प्रलेखीकरण करने वाले एक व्यापक डाटाबेस का अनावरण किया। यह डाटाबेस ऑपरेशन रद्दुल-फ़साद की अवधि के समय हुई सभी घटनाओं का एक विस्तृत सङ्ग्रह है।