रोज केरकेट्टा
रोज केरकेट्टा (5 दिसंबर, 1940) आदिवासी भाषा खड़िया और हिन्दी की एक प्रमुख लेखिका, शिक्षाविद्, आंदोलनकारी और मानवाधिकारकर्मी हैं। आपका जन्म सिमडेगा (झारखंड) के कइसरा सुंदरा टोली गांव में खड़िया आदिवासी समुदाय में हुआ। झारखंड की आदि जिजीविषा और समाज के महत्वपूर्ण सवालों को सृजनशील अभिव्यक्ति देने के साथ ही जनांदोलनों को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान करने तथा संघर्ष की हर राह में आप अग्रिम पंक्ति में रही हैं। आदिवासी भाषा-साहित्य, संस्कृति और स्त्री सवालों पर डा. केरकेट्टा ने कई देशों की यात्राएं की है और राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं।
पारिवारिक जीवन
रोज केरकेट्टा खड़िया आदिवासी समुदाय से हैं जो झारखंड की पांच प्रमुख आदिवासी समुदायों में से एक है। उनकी मां का नाम मर्था केरकेट्टा और पिता का नाम एतो खड़िया उर्फ प्यारा केरकेट्टा है जो एक लोकप्रिय शिक्षक, समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ और सांस्कृतिक अगुआ थे।
क्रिस्टोफर केरकेट्टा और प्रदीप कुमार सोरेंग (दिवंगत) उनके दो भाई हैं और रोशनी केरकेट्टा (दिवंगत), ग्लोरिया सोरेंग, शशि केरकेट्टा और सरोज केरकेट्टा चार बहने हैं। अपने पिता प्यारा केरकेट्टा की तरह ही रोज ने भी आजीविका के लिए शिक्षकीय जीवन को अपनाया।
उनका विवाह सुरेशचंद्र टेटे से हुआ था। जिनसे उनके वंदना टेटे और सोनल प्रभंजन टेटे दो बच्चे हैं। वंदना टेटे अपने नाना प्यारा केरकेट्टा और मां की तरह झारखंड आंदोलन से जुड़ी हैं और पिछले 30 वर्षों से सामाजिक-सांस्कृतिक व साहित्यिक क्षेत्र में सक्रिय हैं।
शिक्षा
- प्रारंभिक शिक्षा कोंडरा (जिला गुमला), खुँटी टोली एवं सिमडेगा (जिला सिमडेगा) से
 - बी. ए. सिमडेगा कॉलेज, सिमडेगा से
 - एम. ए. रांची विश्वविद्यालय, रांची (झारखंड) से
 - रांची विश्वविद्यालय, रांची (झारखंड) से ‘खड़िया लोक कथाओं का साहित्यिक और सांस्कृतिक अध्ययन’ विषय पर डा. दिनेश्वर प्रसाद के मार्गदर्शन में पीएच. डी.
 
शिक्षण कार्य
- माध्यमिक विद्यालय लड़बा (1966),
 - सिमडेगा कॉलेज, सिमडेगा (1971-72),
 - पटेल मौन्टेसरी स्कूल, एच. ई. सी. रांची (1976),
 - बी. एन. जालान कॉलेज, सिसई (1977-82),
 - जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, रांची विश्वविद्यालय, रांची (झारखंड) (1982-दिसंबर 2000)
 
शिक्षा क्षेत्र में विशेष भागीदारी
ग्रामीण, पिछड़ी, दलित, आदिवासी, बिरहोड़ एवं शबर आदिम जनजाति महिलाओं के बीच शिक्षा एवं जागरूकता के लिए विशेष प्रयास। बिहार एवं झारखंड शिक्षा परियोजना की महिला समाख्या का नेतृत्व और उसकी रिसोर्स पर्सन
मूल्यांकन कार्य
- झारखंड शिक्षा परियोजना सहित अनेक शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्थाओं का मूल्यांकन
 - झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जे. पी. एस. सी.)
 - युनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यू. जी. सी.)
 - अब तक पांच पीएच. डी. शोध उपाधियों (2 संताली, कुड़ुख, खड़िया और नागपुरी एक-एक) का निदेशन
 - शांति निकेतन विश्वविद्यालय में इंटरव्यूवर
 
सामाजिक क्षेत्र में भागीदारी, कार्य एवं संबद्धता
विगत 50 वर्षों से भी अधिक समय से शिक्षा, सामाजिक विकास, मानवाधिकार और आदिवासी महिलाओं के समग्र उत्थान के लिए व्यक्तिगत, सामूहिक एवं संस्थागत स्तर पर सतत सक्रिय। अनेक राज्य स्तरीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ जुड़ाव। आदिवासी, महिला, शिक्षा और साहित्यिक विषयों पर आयोजित सम्मेलनों, आयोजनों, कार्यशालाओं एवं कार्यक्रमों में व्याख्यान व मुख्य भूमिका के लिए आमंत्रित।
- झारखंड नेशनल एलायंस ऑफ वीमेन, रांची (झारखंड)
 - जुड़ाव, मधुपुर, संताल परगना (झारखंड)
 - बिरसा, चाईबासा (झारखंड)
 - आदिम जाति सेवा मंडल, रांची (झारखंड)
 - झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा (झारखंड)
 - प्यारा केरकेट्टा फाउण्डेशन, रांची (झारखंड) की संस्थापक सदस्य
 
आदि अनेक संगठनों व संस्थाओं से जुड़ाव।
मुद्दों पर कार्य
आदिवासी महिलाओं का विस्थापन, पलायन, उत्पीड़न, शिक्षा, जेन्डर संवेदनशीलता, मानवाधिकार एवं सम्पत्ति पर अधिकार.
राज्य स्तर पर भागीदारी
- झारखंड आदिवासी महिला सम्मेलन की संस्थापक और 1986 से 1989 तक अन्य संस्थाओं एवं संगठनों के सहयोग से उसका संयोजन-संचालन
 - झारखंड गैर-सरकारी महिला आयोग की अध्यक्ष (2000 से 2006 तकद्ध
 
राष्ट्रीय स्तर पर भागीदारी
- राष्ट्रीय नारी मुक्ति संघर्ष सम्मेलन, पटना, रांची और कोलकाता में
 - रांची सम्मेलन का संयोजन
 - मानवाधिकार पर मुम्बई, बंगलोर, दिल्ली, कोलकाता और छत्तीसगढ़ में
 
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भागीदारी
- एशिया पैसिफिक वीमेन लॉ एंड डेवलेपमेंट कार्यशाला, चेन्नई 1993 में
 - बर्लिन में आयोजित आदिवासी दशक वर्ष के उद्घाटन समारोह 1994 में
 - वर्ल्ड सोशल फोरम में
 - इंडियन सोशल फोरम में
 
भाषायी-साहित्यिक योगदान
- पाठ्यक्रम निर्माण, जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, रांची विश्वविद्यालय
 - खड़िया प्राइमर निर्माण, एन. सी. ई. आर. टी., नई दिल्ली
 - खड़िया भाषा ध्वनिविज्ञान, भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर
 
प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें
- खड़िया लोक कथाओं का साहित्यिक और सांस्कृतिक अध्ययन (शोध ग्रंथ),
 - प्रेमचंदाअ लुङकोय (प्रेमचंद की कहानियों का खड़िया अनुवाद),
 - सिंकोय सुलोओ, लोदरो सोमधि (खड़िया कहानी संग्रह),
 - हेपड़ अवकडिञ बेर (खड़िया कविता एवं लोक कथा संग्रह),
 - खड़िया निबंध संग्रह,
 - खड़िया गद्य-पद्य संग्रह,
 - प्यारा मास्टर (जीवनी)
 - पगहा जोरी-जोरी रे घाटो (हिंदी कहानी संग्रह),
 - जुझइर डांड़ (खड़िया नाटक संग्रह),
 - सेंभो रो डकई (खड़िया लोकगाथा)
 - खड़िया विश्वास के मंत्र (संपादित),
 - अबसिब मुरडअ (खड़िया कविताएं)
 - स्त्री महागाथा की महज एक पंक्ति (निबंध)
 - बिरुवार गमछा तथा अन्य कहानियां (हिंदी कहानी संग्रह)
 
विगत कई वर्षों से झारखंडी महिलाओं की त्रैमासिक पत्रिका ‘आधी दुनिया’ का संपादन।
इसके अतिरिक्त विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, समाचार पत्रों, दूरदर्शन तथा आकाशवाणी से सभी सृजनात्मक विधाओं में हिन्दी एवं खड़िया भाषाओं में सैंकड़ों रचनाएँ प्रकाशित एवं प्रसारित। आपकी रचनाओं का अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनुवाद हो चुका है।
सम्मान
2008 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रथम रानी दुर्गावती राष्ट्रीय सम्मान और समय-समय पर अनेक क्षेत्रीय व राज्य स्तरीय पुरस्कारों-सम्मानों से सम्मानित।
संप्रति
जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, राँची विश्वविद्यालय, राँची से सेवानिवृत्ति के पश्चात् स्वतंत्र लेखन एवं विभिन्न नागरिक संगठनों में सक्रिय भागीदारी।
और जानकारी
- She's A Professor And, For Her Tribe, The Keeper Of A Way Of Life
 - This Rose chose to pluck the thorns from Jharkhand's oppressed women
 - Rose Kerketta at Women's Tribunal Against Poverty New Delhi
 
सन्दर्भ
- Zealous Reformers, Deadly Laws
 - The Master Speaks
 - Reinventing Revolution: New Social Movements and the Socialist Tradition in India (Google eBook)
 - डॉ रोज केरकेट्टा को मिला रानी दुर्गावती सम्मान
 - डॉ रोज केरकेट्टा के कहानी संग्रह पगहा जोरी-जोरी रे घाटो .का विमोचन
 - आदिवासी लेखिका रोज केरकेट्टा को अयोध्या प्रसाद खत्री सम्मान
 - रोज केरकेट्टा को प्रभावती सम्मान