मेनू टॉगल करें
Toggle personal menu
लॉग-इन नहीं किया है
Your IP address will be publicly visible if you make any edits.

पाञ्चजन्य

भारतपीडिया से
103.206.51.168 (वार्ता) द्वारा परिवर्तित २२:०१, २८ जून २०२१ का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पाञ्चजन्य भगवान विष्णु का शंख है। विष्णु के बाइसवें अवतार श्रीकृष्ण पाञ्चजन्य नामक एक शंख रखते थे ऐसा वर्णन महाभारत में प्राप्त होता है। श्रीमद्भगवद्गीता जो कि महाभारत का अङ्ग है उस में वासुदेव द्वारा कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान इसका इस्तेमाल किया जाना बताया गया है।[१]

भागवत पुराण के अनुसार सान्दीपनी ऋषि के आश्रम में कृष्ण की शिक्षा पूरी होने पर उन्हें गुरू दक्षिणा लेने का आग्रह किया। तब ऋषि ने कहा समुद्र में डूबे हुये मेरे पुत्र को ले आओ। श्री कृष्ण द्वारा समुद्र तट पर जाकर शंखासुर को मारने पर उसका खोल (शंख) शेष रह गया था। उसी से शंख की उत्पत्ति हुई। शायद उसी शंख का नाम पाञ्चजन्य था।

पाञ्चजन्य विभिन्न अर्थों में प्रयुक्त होता है। इसके कुछ अर्थ इस प्रकार हैं:

1. श्रीकृष्ण के शंख का नाम

2. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का राष्ट्रवादी साप्ताहिक हिन्दी पत्र : पाञ्चजन्य (पत्र)

3. पाँच सर्वाधिक प्राचीन क्षत्रिय जातियाँ

बाहरी कड़ियाँ

साँचा:संघ परिवार