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जैन धर्म में कुलकर उन बुद्धिमान पुरुषों को कहते हैं जिन्होंने लोगों को जीवन निर्वाह के श्रमसाध्य गतिविधियों को करना सिखाया।साँचा:Sfn जैन ग्रन्थों में इन्हें मनु भी कहा गया है। जैन काल चक्र के अनुसार जब अवसर्पिणी काल के तीसरे भाग का अंत होने वाला था तब दस प्रकार के कल्पवृक्ष (ऐसे वृक्ष जो इच्छाएँ पूर्ण करते है) कम होने शुरू हो गए थे,साँचा:Sfn तब १४ महापुरुषों का क्रम क्रम से अंतराल के बाद जन्म हुआ। इनमें अंतिम कुलकर नाभिराज थे, जो प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के पिता थे।
चौदह कुलकर
प्रतिश्रुति
प्रतिश्रुति पहले कुलकर थे। जब प्रकाश देने वाले कल्पवृक्षों की आभा कम हो रही थी तब सूर्य और चंद्रमा दिखाई देने लगे थे। जिन्हें पहली बार देख कर लोग चिंतित होने लगे थे। कुलकर प्रतिश्रुति ने अपने अवधिज्ञान से इसका कारण समझ लोगों को समझाया के रोशनी प्रदान करने वाले वृक्षों का प्रकाश इतना अधिक था कि सूर्य और चंद्रमा दिखाई नहीं देते थे, लेकिन अब इन वृक्षों की आभा कम हो रही है। प्रतिश्रुति कुलकर के समय से दिन और रात का भेद माना जाता है।
सन्मति
असंख्यत करोडों वर्ष बीतने के बाद दूसरे कुलकर सन्मति हुए थे। उनके समय में प्रकाश प्रदान करने वाले वृक्षों की आभा प्रभावहीन हो गयी थी, जिसके कारण सितारे आकाश में दिखाई देने लगे थे। इस बात का ज्ञान उन्होंने जनता को कराया क्यूँकि वह अवधि ज्ञान के धारी थे।
क्षेमंकर
असंख्यात करोड़ों वर्ष बीतने के पश्चात क्षेमंकर कुलकर का जन्म हुआ था। इनके समय में जानवरों ने उपद्रव मचाना शुरू कर दिया था। अब तक कल्पवृक्षों ने पुरुषों और जानवरों की आपूर्ति के लिए पर्याप्त भोजन प्रदान किया था लेकिन अब स्थिति बदल रही थी और हर एक को खुद के लिए व्यवस्था करनी थी। घरेलू और जंगली जानवरों का अंतर क्षेमंकर कुलकर के समय से माना जाता है।
क्षेमंधर
क्षेमंधर चौथे मनु थे। इन्होंने जंगली जानवरों को दूर भगाने के लिए लकड़ी और पत्थर के हथियारों का प्रयोग करना सिखाया।साँचा:Sfn
सीमंकर
सीमंकर पाँचवे मनु थे। इनके समय में कल्पवृक्षों को ले कर झगड़े शुरू हो गए थे।साँचा:Sfn इन्हें सीमंकर इसलिए कहा जाता है क्यूँकि उन्होंने सीमाओं का स्वामित्व तय किया था।
सीमन्धर
सीमन्धर छटे कुलकर थे। इनके समय में कल्पवृक्षों को लेकर झगड़ा अधिक तीव्र हो गया था। उन्होंने प्रति व्यक्ति पेड़ों के स्वामित्व की नींव रखी और निशान भी लगाए।
विमलवाहन
विमलवाहन सातवें मनु थे। इन्होंने घरेलू पशुओं की सेवाएँ कैसे ली जाए यह बताया। इन्होंने हाथी आदि सवारी योग्य पशुओं को कैसे नियंत्रण में कर उनकी सवारी की जाए, यह सिखाया।
चक्षुमान
असंख्यात करोड़ों वर्ष बीत जाने पर चक्षुमान कुलकर का जन्म हुआ। इनके समय में भोगभूमि की व्यवस्था बदल गयी था अर्थात अब माता पिता अपने संतान का जन्म देख सकते थे। कुछ लोगों ने चकित हो कर इसका कारण चक्षुमान कुलकर से पूछा, तो उन्होंने उचित रूप से समझाया।
यशस्वान्
जैन ग्रंथों के अनुसार यशस्वान् नौवें कुलकर थे। साँचा:Sfn
अभिचन्द्र
अभिचन्द्र दसवें मनु थे। इनके समय में पुरानी व्यवस्था में बहुत अधिक परिवर्तन आ गया था। अब लोग अपने बच्चों के साथ खेलने लगे थे। सर्वप्रथम अभिचन्द्र ने चाँदनी में अपने बच्चों के साथ खेल खेला था जिसके कारण उनका यह नाम पड़ा। साँचा:Sfn
चन्द्राभ
चन्द्राभ ग्यारहवें मनु थे जिनके समय में माता पिता बच्चों को आशीर्वाद दे कर बहुत प्रसन्न होते थे।
मरुद्धव
मरुद्धव बारहवें मनु थे। साँचा:Sfn
प्रसेनजित
प्रसेनजित तेरहवें कुलकर थे। जैन ग्रंथों के अनुसार इनके समय में बच्चे प्रसेन (भ्रूणावरण या झिल्ली जिसमें एक बच्चे का जन्म होता है) के साथ पैदा होने लगे थे। साँचा:Sfn इनके समय पहले बच्चे झिल्ली में नहीं लिपटे होते थे। साँचा:Sfn
नाभिराय
नाभिराय अंतिम कुलकर थे। वह ऋषभदेव के पिता थे। कुलकर नाभिराय ने लोगों को नाभि काटना सिखाया।साँचा:Sfn जैन ग्रंथों के अनुसार इनके समय में घने बादल स्वतंत्र रूप से आकाश में इकट्ठा होने लगे थे।साँचा:Sfn
सन्दर्भ
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