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साँचा:पूजनीय ज्ञानसन्दूक राजा नाभिराज इस काल के चौदहवें और आख़िरी कुलकर थे।साँचा:Sfn[१] इनकी ऊँचाई 525 धनुष (१५७५ मी०)साँचा:Efn[२] थी। वे जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर एवं भगवान विष्णु के छठेे अवतार ऋषभदेव जी केे पिता थे ।[३]
कुलकर
जैन आगम के अनुसार, समय के चक्र के दो भाग होते है: अवसर्पणी और उत्सर्पणी। अवसर्पणी में जब भोगभूमि का अंत होने लगता है, तब कल्पवृक्ष ख़त्म होने लगते है। तब १४ कुलकर जन्म लेते है। कुलकर अपने समय के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति होते है। वह लोगों को संसरी किर्याये सिखाते है।साँचा:Sfn
परिचय
इनकी रानी का नाम मरुदेवी था। तीर्थंकर ऋषभदेव के जन्म से पूर्व माता मरुदेवी ने १६ स्वप्न देखे थे जिनका अर्थ राजा नाभिराज ने समझाया था।साँचा:Sfn
नाभिराज ने १७ लाख वर्ष की आयुसाँचा:Citation needed के बाद जैन मुनि बनकर मोक्ष को प्राप्त किया था।