मेनू टॉगल करें
Toggle personal menu
लॉग-इन नहीं किया है
Your IP address will be publicly visible if you make any edits.

अभिहितान्वयवाद

भारतपीडिया से

अभिहितान्वयवाद कुमारिल भट्ट द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत है। इस सिद्धांत के अनुसार पद और वाक्य में पद की सत्ता है और वाक्य सार्थक पदों के योग से बनता है। इन्होंने इस‌ सिद्धांत के केंद्र में तात्पर्य शक्ति को रखा अर्थात हमारे कहने का जो तात्पर्य है जो वाच्य है उसके अनुसार हम पदों को सजाकर वाक्य बनाते हैं। इसके अनुसार पद ही महत्वपूर्ण है जो हमारे भावानुकूल वाक्य बनाते हैं।

इनके शिष्य प्रभाकर ने बाद में इनके मत‌ का विरोध किया और अन्विताभिधानवाद सिद्धांत का प्रतिपादन किया।[१][२][३][४]

संदर्भ