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मोहिनी-रूपी विष्णु, अमृत कलश धारण किए हुए
अमृत का शाब्दिक अर्थ 'अमरता' है। भारतीय ग्रंथों में यह अमरत्व प्रदान करने वाले रसायन (nectar) के अर्थ में प्रयुक्त होता है। यह शब्द सबसे पहले ऋग्वेद में आया है जहाँ यह सोम के विभिन्न पर्यायों में से एक है। व्युत्पत्ति की दृष्टि से यह यूनानी भाषा के 'अंब्रोसिया' (ambrosia) से संबंधित है तथा समान अर्थ वाला है।