More actions
उपनाम : | प्रा अरुन कांबले | |
---|---|---|
जन्मतिथि: | १४ मार्च, १९५३ | |
जन्मस्थान: | सांगली जिला, महाराष्ट्र, भारत | |
निर्वाण: | २० दिसंबर, २००९ | |
निर्वाणस्थान: | हैदराबाद, आंध्रप्रदेश, भारत | |
धर्म : | बौद्ध | |
पत्रकारिता लेखन : | आंबेडकर भारत | |
आन्दोलन: | दलित आंदोलन | |
संगठन : | दलित पैंथर्स |
अरुण कृष्णाजी कांबले (मराठी: अरुण कृष्णाजी कांबळे) (१४ मार्च, १९५३ -- २० दिसंबर, २००९)। अरुण कृष्णाजी कांबले मराठी साहीत्य में लेखक और दलितों में अग्रणी नेतृत्व थे। अरुण कांबले, दलित पैंथर्स के संस्थापक हैं और वर्तमान में विश्वविद्यालय मुंबई में मराठी विभाग के प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे थे। वह जनता दल के महासचिव थे। उन्होंने दलितों, पिछड़ा वर्ग के लोगों और अल्पसंख्यकों के पक्ष में प्रमुख निर्णय लिये थे।
प्रकाशित साहित्य
नाम | साहित्य | प्रकाशन | प्रकाशन वर्ष (इ.स.) |
---|---|---|---|
धर्मांतराची भीमगर्जना | सांस्कृतिक संशोधन | प्रतिमा प्रकाशन | १९९६ |
वाद-संवाद | वैचारिक | प्रतिमा प्रकाशन | १९९६ |
चिवर[१][२]. | ललित | आशय प्रकाशन | १९९५ |
युगप्रवर्तक आंबेडकर[३] | वैचारिक | आशय प्रकाशन | १९९५ |
रामायणातील सांस्कृतिक संघर्ष | सांस्कृतिक संशोधन | पँथर् प्रकाशन | 1982,1987 |
चळवळीतील दिवस | आत्मकथन | आशय प्रकाशन | १९९५ |
अरुण कृष्णाजी कांबळे | काव्यसंग्रह | संकल्प प्रकाशन | १९८३ |
शुरुवाती दिन
जीवन
अरुन कांबले जी का जन्म १४ मार्च १९५३ को सांगली जिले मे करगनी गाव में हुआ | उनके माता-पिता शिक्षक थे | उनकी स्कूली पडाई करगनी में हुई | कालेज के दिन सांगली जिले मे विलिंग्डन महाविद्यालय में व्यतित हुये |मुंबई के सिद्धार्थ महाविद्यालय मे एम. ए॰ को मराठी विषय से सुवर्ण पदक प्राप्त किया। १९७३ मे प्रोफेसर कर जुडे|
राजकिय कार्य
साँचा:अनुवाद=== दलित पँथर ===
जनता दल
वां मयीन क्षेत्र
अरुन कांबले, एक लेखक, कवि और सम्पादक थे। सांस्कृतिक संघर्ष रामायण, चीवर, वाद संवाद, युग प्रवर्तक अम्बेडकर, चळवळीचे दिवस जैसे कई किताबें लिखी है। उन्हे प्रबुद्ध रत्न पुरस्कार, लाइफ टाइम अचीवमेंट अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनकी कुछ किताबें और लेख अंग्रेज़ी, जर्मन, फ्रेंच, गुजराती, कन्नड़, तेलेगु, मल्याळम, उर्दू (दलित आवाज़) और हिन्दी में (सूरज के वंश-धार) अनुवाद किया गया है |
साहित्य क्षेत्र
दलित साहित्य क्षेत्र
मृत्यु/निर्वाण
अरुण कांबले जी १३ दिसम्बर को हैदराबाद में " अंतरराष्ट्रीय अंबेडकर संस्थान " में एक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने गये थे |उन्हे हैदराबाद में एक झील में मृत पाया गया | एक रहस्यमय तरीके से उनकी सन्दिग्ध मौत की खबर एक बड़े झटके के रूप में आया थी | " उनका जीवन के प्रति बहुत ही सकारात्मक दृष्टिकोण था | उन्होने मुझसे कहा था कि वह १५ दिसम्बर को आयेंगे और उनके छात्रों के अनुसार उसी दिन व्याख्यान होंगे " यह उनकी बहन मंगल तिरमारे जी ने कहा |