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अल-जाहिज़

भारतपीडिया से

साँचा:Infobox scholar

अल-जाहिज़ एक अरब गद्य लेखक और साहित्य के काम के लेखक, मुताज़िला धर्मशास्त्र और राजनीतिक-धार्मिक नीतिशास्त्र के लेखक थे।[१]

जीवन-काल

अल-जाहिज़ द्वारा किताब-उल-हैवान (जानवरों की पुस्तक) से एक जिराफ़।

साँचा:Main जाहिज़ का पूरा नाम अबू अस्मान उमरो बहरुल-किनानी अल-बसरी था और वह 776 ईस्वी में बसरा (इराक़) में पैदा हुए थे। उनका ख़ानदान बेहद ग़रीब था और उनके दादा ऊंट चराते थे। उस ज़माने में मुताज़िला संप्रदाय जड़ पकड़ रहा था। ये ख़िलाफ़त ए अब्बासिया के उदय का समय था। अब्बासी ख़लीफ़ा हारून अल रशीद और मामून अल रशीद का दौर, किताबघरों, शैक्षिक बहसों का दौर था। अल-जाहिज़, उन लोगों के लिए भी आलोचनात्मक था जो मौखिक हदीसों का अनुसरण करते थे, अपने हदीसवादी विरोधियों को अल-नबीता ("अवमानना") के रूप में संदर्भित करते थे।[२]

किताब

अंडे के साथ एक घोंसले में एक शुतुरमुर्ग (स्ट्रूथियो कैमलस) का चित्रण अल-जाइतो की किताब-उल-हैवान का एक पृष्ठ। बसरा
  • किताब-उल-हैवान - इस इंसाइक्लोपीडियाई किताब में उन्होंने साढ़े तीन सौ जानवरों का हाल बयान किया है।[३] जाहिज़ इस बात पर सहमत थे कि जानवरों की एक नस्ल विभिन्न कारणों से दूसरी नस्ल में बदल सकती है। जाहिज़ का विचार था कि भोजन, पर्यावरण और जगह ऐसे कारक हैं जो जानवरों को प्रभावित कर सकते हैं और उन्हीं के प्रभाव से जानवरों की विशेषताएं बदल जाती है।[४] अल-जाहिज़ इसके अलावा अस्तित्व और प्राकृतिक चयन के लिए संघर्ष का वर्णन करता है।[५][६]
  • किताब अल-बुख़लाई

मृत्यु

दिसंबर 868 / जनवरी 869 में 92 साल की उम्र में आलमारी से एक किताब निकालते समय एक भारी-भरकम आलमारी उन पर आ गिरी और और वह मर गया।[७][८]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ