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उत्तोलक

भारतपीडिया से
सरौता, उत्तोलक के सिद्धान्त पर कार्य करता है।

भौतिकी, यांत्रिकी और यांत्रिक प्रौद्योगिकी में उत्तोलक या लीवर (फ्रेंच में लीव्रे का अर्थ उठाना होता है) को एक सरल यंत्र कहा जाता है। उत्तोलक कई रूपों में विद्यमान होते हैं। अपने सरलतम रूप में यह एक लम्बी छड़ हो सकती है जिसके एक सिरे के पास एक अवलम्ब (fulcrum) लगाकर किसी भारी वस्तु को उठाने के काम में लिया जा सकता है। उत्तोलक, बलाघूर्ण के सिद्धान्त (theory of moments) पर कार्य करता है। आम जीवन में उत्तोलक का बहुत ही महत्व है और हर जगह इसे देखा जा सकता है। सी-सा झूला, एक उत्तोलक है।

  1. प्रथम श्रेणी का उत्तोलक :- कैंची , पिलाश , कील उखाड़ने की मशीन , साईकिल का ब्रेक l
  2. द्वितीय श्रेणी का उत्तोलक :- सरौता , नींबू निचोड़ने की मशीन l
  3. तृतीय श्रेणी का उत्तोलक :- चिमटा , किसान का हल , मनुष्य का हाथ , मुह का जावड़ा।


  • जिस यंत्र या मशीन के बीच में आलम्ब हो वह हमेशा प्रथम श्रेणी का उत्तोलक होगा* । ।

इन्हें भी देखें

साँचा:विज्ञान-आधार