मेनू टॉगल करें
Toggle personal menu
लॉग-इन नहीं किया है
Your IP address will be publicly visible if you make any edits.

कुल्ली संस्कृति

भारतपीडिया से
कुल्ली की बसाहट योजना

कुल्ली संस्कृति दक्षिण बलूचिस्तान के कोलवा प्रदेश के कुल्ली नाम स्थान के पुरातात्विक उत्खनन से ज्ञात एक कृषि प्रधान ग्रामीण संस्कृति जो सिंधु घाटी में हड़प्पा-मुहँ-जो-दड़ों आदि के उत्खनन से ज्ञात नागरिक संस्कृति की समकालिक अथवा उससे कुछ पूर्व की अनुमान की जाती है।

यह संस्कृति उत्तरी बलूचिस्तान के झांब नामक स्थान के उत्खनन से ज्ञात संस्कृति तथा दक्षिणी बलूचिस्तान के अन्य स्थानों की पुरातन संस्कृति से सर्वथा भिन्न है। इस संस्कृति की विशिष्टता और उसका निजस्व मिट्टी के बर्तनों के आकार, उनपर खचित चित्र, शव दफनाने की पद्धति तथा पशु और नारी मूर्तियों से प्रकट होता हैं। यहाँ से उपलब्ध मृत्भांड हिरवँजी रंग के है और उनपर ताँबे के रंग की चिकनी ओप है और काले रंग से चित्रण हुआ हैं। कुछ भांड राख के रंग के भी हैं। इन भांडों में थाल, गोदर उदर के गड़ वे तथा बोतल के आकार के सुराही आदि मुख्य हैं। बर्तनों पर बैल, गाय, बकरी, पक्षी, वृक्ष आदि का चित्रण हुआ है। शव दफनाने के लिए वहाँ के निवासी मृत्भांडों का उपयोग करते थे। उसमें मृतक की अस्थि रखकर गाड़ते थे और उसके साथ ताँबे की वस्तुएँ, बर्तन आदि रखते थे। नारी मूर्तियों के संबंध में अनुमान किया जाता है कि वे मातृका की प्रतीक हैं। उनकी पूजा वहाँ के निवासी करते रहे होंगे।

बाहरी कड़ियाँ