मेनू टॉगल करें
Toggle personal menu
लॉग-इन नहीं किया है
Your IP address will be publicly visible if you make any edits.

छाया गीत

भारतपीडिया से
चित्र:Chaya geet.png
विविध भारती पर आने वाला हिन्दी चलचित्रो के गीत।

छाया गीत - विविध भारती से प्रसारित होने वाला फ़िल्मी गीतों का एक अनूठा कार्यक्रम। वैसे फ़िल्मी गीत तो विविध भारती पर बजते ही रहते है, जिनमें अधिकतर गीत श्रोता अपनी पसन्द से ही सुनते है पर छाया गीत ही एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें उदघोषक अपनी पसन्द के गीत सुनवाते है और इन गीतों को मेरे अलावा शायद और भी बहुत से ऐसे श्रोता होंगे जो अन्य कार्यक्रमों में बजने वाले गीतों से ज्यादा पसन्द करते है।

श्रोताओं की पसंद

उदघोषक सिर्फ़ अपने पसन्द के गीत ही नहीं सुनवाते बल्कि अपने मन की बात श्रोताओं तक पहुँचाते हैं। उनके भाव उनके विचार सुन्दर साहित्यिक शब्दावली में सज कर गीतों के मोतियों के साथ जब श्रोता तक पहुँचते है तब कौन ऐसा श्रोता होगा जो इसे नापसन्द करें।

स्वरूप

छाया गीत का स्वरूप है ही इतना आकर्षक कि सभी वर्ग के श्रोताओं को लुभाता है, तभी तो यह कार्यक्रम सुनना अच्छा लगता है नहीं तो यह गीत किसी भी कार्यक्रम में सुना जा सकता है पर प्रोफ़ेसर साहब मन चाहे गीत सुनना तो पसन्द नहीं करेंगे ना…

बरसों से सुन रहे है छाया गीत रात में दस से साढे दस बजे तक विविध भारती से। मैनें तो बचपन से सुना। कई नाम गूँजने लगते है - बृजभूषण साहनी, राम सिंह पवार, विजय चौधरी, एम एल गौड़, चन्द्र भारद्वाज, कान्ता गुप्ता, अनुराधा शर्मा, मोना ठाकुर और भी नाम है। एक नाम ऐसा भी है जिनके कार्यक्रम तो बहुत कम हुए पर बहुत ही स्तरीय हुए - डा अचला नागर। कभी-कभार अन्य केन्द्रों के उदघोषकों के भी छायागीत सुनवाए जाते। इसी क्रम में हैदराबाद से अशफ़ां जबीं के कार्यक्रम भी सुने।

उदघोषकों के नाम तो बदलते गए पर कार्यक्रम की प्रस्तुति का स्वरूप नहीं बदला। कभी यादों का सिलसिला तो कभी मौसम का लुत्फ़ तो कभी ज़िन्दगी के अलग-अलग रंग।

पिछली बार रेणु (बंसल) जी ने कम चर्चित कलाकारों पर फ़िल्माए गए गीत सुनवाए जैसे हमराही - कलाकार जमुना, प्रोफ़ेसर - कल्पना पर इस श्रृंखला में मीनाकुमारी का नाम खटकने लगा। ख़ैर… जब हम प्रोफ़ेसर का गीत सुन रहे थे तो हमें याद आए बहुत पहले सुने हुए छाया गीत जिसमें एक बार ऐसे युगल गीत सुनवाए गए थे जिनमें युगल स्वर गायिकाओं के थे और शुरूवात प्रोफ़ेसर के इस गीत से हुई थी - हमरे गाँव कोई आएगा। इसी तरह एक बार केवल ग़ज़लें सुनवाई गई और एक बार शास्त्रीय संगीत का पुट लिए गीत।

बहरहाल किसी विषय पर उदघोषक की भावनाएँ हो या फ़िल्मी गीतों की कोई श्रेणी हो, गीत और प्रस्तुति में अच्छा ही होता है छाया गीत।

साँचा:विविध भारती कार्यक्रम